बसपा विधायकों का मामला एक बार फिर हाइ कोर्ट में
एडवोकेट हेमंत नाहटा की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका में विधानसभा चुनाव के बाद 12 दिसंबर, 2018 को जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन के अनुसार बनी दलों की स्थिति पुन: बहाल करने की मांग की गई है। इसके साथ ही बसपा के सभी 6 विधायकों के विधानसभा परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने, विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने, विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितंबर, 2019 के आदेश को अपास्त करने, विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने व विलय से जुड़े सभी दस्तावेजों को अमान्य घोषित करने की मांग की गई है।
राजस्थान(ब्यूरो):
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुये 6 विधायकों का मामला एक बार फिर हाई कोर्ट पहुंच गया है. अधिवक्ता हेमंत नाहटा की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका पर आज हाई कोर्ट जस्टिस सबीना की खण्डपीठ में सुनवाई होगी. याचिका में विधानसभा में दलीय स्थिति परिवर्तन को चुनौती दी गई है. वहीं इस याचिका में यह भी मांग की गई है कि विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले में भी अदालत फैसला ले.
दो दिन पहले ही हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनाया है फैसला
बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में हाई कोर्ट जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने दो दिन पहले सोमवार को ही दो याचिकाकर्ताओं की याचिका को निस्तारित कर अपना फैसला सुनाया था. बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर की याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई कर ऑनलाइन सुनाये गये अपने फैसले में कहा था कि स्पीकर ही इस मामले की सुनवाई करे. कोर्ट ने कहा था कि बसपा और दिलावर की विधायकों के विलय को रद्द करने तथा विधायकों को अमान्य घोषित करने सहित अन्य मांगों पर स्पीकर ही सुनवाई करे. इसके साथ ही कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी को यह आदेश भी दिया था कि वे 3 महीने में इस मामले में सुनवाई कर फैसला करें. कोर्ट ने स्पीकर के 22 जुलाई के फैसले को रद्द कर दिया था.
उल्लेखनीय है कि यह पूरा मामला गत विधानसभा चुनाव में बसपा के सिम्बल पर जीतकर विधानसभा पहुंचे उन 6 विधायकों से जुड़ा है, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गये थे. इन विधायकों ने गत वर्ष विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के समक्ष एक प्रार्थना-पत्र पेश कर कांग्रेस में विलय की मंजूरी मांगी थी. इस पर विधानसभा स्पीकर ने उनके प्रार्थना-पत्र को स्वीकार विलय को मंजूरी दे दी थी. बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने भी इस विलय को गलत बताते हुए इसे हाई कोर्ट में चैलेंज किया था.
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