कोरोना महामारी ने तोड़ी किसानों की कमर : राजेन्द्र आर्य
मनोज त्यागी करनाल – 10 जुलाई
आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आहवान् पर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के तत्त्वाधान में किसानों ने सेक्टर-12 स्थित फव्वारा पार्क में किसान पंचायत का आयोजन किया। पंचायत में करनाल के डेयरी फार्मर भी डेयरी सिलिंग का मुद्दा लेकर पहुंचे। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के प्रदेशाध्यक्ष राजेन्द्र आर्य दादुपुर के नेतृत्व में किसानों ने फव्वारा चौंक से सचिवालय तक मार्च निकाला। धरना प्रदर्शन व नारेबाजी के बाद जिला सचिवालय में अपनी मांगों को लेकर तहसीलदार राज बख्श अरोड़ा को ज्ञापन सौंपा। किसान नेता राजेन्द्र आर्य दादूपुर ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन को सभी के समक्ष तहसीलदार की उपस्थिति में पढक़र सुनाया और कहा कि आज दिनाक 09 अगस्त 2020 हम भारत के किसान, अपने संगठन ’अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, एआईकेएससीसी’, जिसके 250 से अधिक किसान तथा कृषि मजदूर संगठन घटक हैं, आपको यह पत्र लिखकर यह उम्मीद कर रहे हैं कि भारत की सरकार हमारी समस्याओं को सम्बोधित करेगी और और इन्हें हल करने के लिए तुरंत कदम उठाएगी।
अब कई सालों से हम इन समस्याओं को उठाते रहे हैं और आपके समक्ष रखते रहे हैं। इस बीच हमने कड़ी मेहनत करके यह सुनिश्चित किया है कि देश के खाद्यान्न भंडार भरे रहें तथा इतना पर्याप्त अनाज देश में मौजूद है कि किसी भी नागरिक को भूखा रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जैसे-जैसे कोविड-19 महामारी आगे बढ़ती गयी है, हमने अपना काम जारी रखा है और यह सुनिश्चित किया है कि ऐसे संकट के समय पर भी खाने के भंडार भरे रहें। यही वह आधार है जिसपर हम खड़े होकर उम्मीद करते हैं कि आपकी सरकार ऐसे उचित कदम जरूर उठाएगी, जो सुनिश्चित करेंगे कि देश के कड़ी मेहनत करने वाले किसान व मजदूर, जो देश की कुल श्रमशक्ति का आधे से ज्यादा हिस्सा हैं, इस वजह से संकट का सामना ना करें कि उनकी समस्याओं को किसी ने सुना ही नहीं।
पर हमें इस बात से बहुत निराशा हुई कि जब आपकी सरकार ने अपने कृषि सुधार पैकेज की घोषणा की तो उसमें ना केवल हमारी समस्याओं को सम्बोधित नहीं किया गया, बल्कि उन्हें बढ़ा दिया गया है। इस वजह से हम आपके समक्ष अपनी समस्याओं को प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि ये वास्तविक समाधान तुरंत अमल किये जा सकें।
- अमल किये गये किसान विरोधी अध्यादेश वापस लिये जाएं’ दिनांक 05-06-2020 को जारी तीनो अध्यादेशों ( क) कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020( ख) मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020( ग) आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को वापस लिया जाना चाहिए। ये अध्यादेश अलोकतांत्रिक हैं और कोविड-19 तथा राष्ट्रीय लॉकडाउन के आवरण में अमल किये जा रहे हैं। ये किसान विरोधी हैं। इनसे फसल के दाम घट जाएंगे और बीज सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। इससे उपभोक्ताओं के खाने के दाम बढ़ जाएंगे। खाद्य सुरक्षा तथा सरकारी हस्तक्षेप की सम्भावना समाप्त हो जाएगी। ये अध्यादेश पूरी तरह भारत में खाने तथा खेती व्यवस्था में कॉरपोरेट नियंत्रण को बढ़ावा देते हैं और उनके जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा देंगे तथा किसानों का शोषण बढ़ाएंगे। किसानों को वन नेशन वन मार्केट नहीं वन नेशन वन एमएसपी चाहिए।
- सभी किसानों के लिए कर्जदारी से मुक्ति की गारंटी सुनिश्चित करो आपकी सरकार को एआईकेएससीसी द्वारा प्रस्तावित कर्जदारी से मुक्ति कानून जो सभी किसानों को इसके लिए अधिकृत करेगा, पारित करना चाहिए, हम यह भी आग्रह करते हैं कि सरकार इस साल कोरोना दौर के लिए सभी किसानों का रबी 2019-20 फसल का कर्ज माफ करे और खरीफ फसल 2020 के लिए ब्याज मुक्त केसीसी जारी करे। समूहों के तथा माइक्रोफाइनेन्स संस्थाओं से लिये गये कर्ज का ब्याज माफ कर उनकी वसूली पर रोक लगाए।
- यह सुनिश्चित करो कि पूरा, लाभकारी मूल्य हर किसान का कानूनी अधिकार बने: आपकी सरकार को एआईकेएससीसी द्वारा प्रस्तुत सभी किसानों के लिए लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून पारित करना चाहिए, इसके लिए आवश्यक है कि सभी कृषि उत्पादों सब्जी, फल और दूध समेत का एमएसपी कम से कम सी-2 लागत और उस पर 50 फीसदी अधिक घोषित हो। आपकी सरकार को इस दाम पर फसल खरीद की गारंटी देनी चाहिए और सभी किसानों को विभिन्न तरीके से कानूनी अधिकारी भी। एमएसपी से कम रेट पर खरीद करना फौजदारी जुर्म घोषित हो।
- बिजली बिल 2020 वापस लो: आपकी सरकार को यह बिल वापस लेना चाहिए कोरोना दौर का किसानों, छोटे दुकानदारों, छोटे व सूक्ष्म उद्यमियों तथा आमजन का बिजली का बिल माफ करना चाहिए। डीबीटी योजना को नहीं अमल करना चाहिए।
- इस साल हुए फसल के नुकसान का किसानों को मुआवजा: फरवरी से जून 2020 के बीच ओलावृष्टि, बिन मौसम बरसात और लॉक डाउन के कारण किसानों की सब्जी, फल, फसल एवं दूध के नुकसान का आपकी सरकार को पूरा मुआवजा देना चाहिए।
- डीजल का दाम तुरंत कम करो, डीजल का दाम तुरंत आधा किया जाए, अंतरराष्ट्रीय रेट 2014 से 60 फीसदी घटा है लेकिन भारत सरकार का टैक्स दो गुना बढ़ा है।
- मनरेगा में काम के दिन बढाया जाय, मनरेगा में कम से कम 200 दिन काम की गारंटी की जाय और न्यूनतम मजदूरी की दर से भुगतान किया जाय ताकि खेतिहर मजदूर, छोटे किसान, मजदूरी छोड़ गाँव वापिस आये प्रवासी किसान को इस संकट में काम मिल सके।
- हर व्यक्ति को राशन में पूरा खाना दिया जाए और परिवारों को अतिरिक्त नकद समर्थन दिया जाए: किसानों द्वारा पैदा किये गये अनाज का लाभ लोगों को खाना देने और यह सुनिश्चित करने कि कोई भूखा ना रहे के लिए किया जाना चाहिए। कोरोना संकट के पूरे दौर में सरकार को हर व्यक्ति को पूरा राशन उपलब्ध कराना चाहिए – राशन में हर महीने प्रति यूनिट, 15 किलो अनाज, 1 किलो तेल, 1 किलो दाल, 1 किलो चीनी सरकार को देना चाहिए। इसके अतिरिक्त परिवारों की मौलिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नकद हस्तांतरण किया जाना चाहिए।
- आदिवासियों व अन्य किसानों की जमीन व वन संसाधन की रक्षा करो – कम्पनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण करने पर रोक लगाओ, सरकार को एक पीढ़ी से ज्यादा खेती कर रहे किसानों को नहीं उजाडऩा चाहिए। कैम्पा कानून के नाम पर जंगल की जमीन पर जबरन प्लान्टेशन लगाना बंद किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय स्तरीय 9 मांगों के अलावा करनाल की स्थानीय ज्वलंत समस्या जो कि जबरदस्ती डेयरी शिफटिंग है। इसको लेकर भी ज्ञापन सौंपा व किसानों ने जिला व नगरनिगम प्रशासन को चेताया कि अगर जल्द ही प्रशासन ने जबरदस्ती डेयरी शिफटिंग के अपने कार्यक्रम को रद्द नहीं किया तो करनाल के सभी डेयरी संचालक राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेतृत्व में जिला सचिवालय पर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन शुरु कर देंगे। किसान नेता राजेन्द्र आर्य ने आरोप लगाया कि डेयरियों में निगम प्रशासन पुलिस बल लेकर जबरदस्ती घुस रहा है। करनाल से सैंकड़ो मवेशियों को जब्त कर डेयरी संचालकों पर भारी जुर्माना लगाया गया है। जिन डेयरीयों में पशु नहीं थे उनको भी जबरन सील किया गया है। डेयरी प्रधान महेन्द्र गुर्जर व पप्पु प्रधान ने आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम ज्वांइट कमीशनर गगनदीप सिंह की कार्य प्रणाली संदेहास्पद है। किसान नेता राजेन्द्र आर्य ने कहा कि पिंगली डेयरी कम्पलैक्स में मूलभूत सुविधाओं का अभाव व कोरोना महामारी के चलते डेयरी संचालकों को 31 मार्च तक का समय दें। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मामले का संज्ञान लेते हुए प्रायोजित पिंगली डेयरी क म्पलैक्स को औचक निरिक्षण करके वहां मौजूद सुविधाओं का जायजा लेना चाहिए।
हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि जिस तरह से 9 अगस्त 1942 का उद्घोष ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ था उसी तरह से 9 अगस्त 2020 को देश के किसान ‘कॉरपोरेट भगाओ किसानी बचाओ’ के नारे के तहत गोलबंद होंगे।
इस बीच हम उम्मीद करते हैं के आपकी सरकार उपरोक्त समस्याओं को हल करने के लिए प्रभावी कदम उठाएगी।
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