पाढ़ा गांव के पंचदेव तीर्थ का है पौराणिक महत्व

मनोज त्यागी करनाल 7 अगस्त :

              कुरूक्षेत्र की 48 कोस भूमि में अनेक तीर्थ विद्यमान है, कई तीर्थों का सम्बंध महाभारत काल से है। परिणामस्वरूप हजारों साल बीत जाने के बाद भी इनका महत्व आज भी बरकरार है। करनाल जिला में 32 तीर्थों की श्रृंखला है। इन्हीं में से एक पंचदेव तीर्थ पाढ़ा गांव में स्थित है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि प्राचीन काल में इस तीर्थ में शैव, सौर, शाक्त, वैष्णव एवं गाणपत्य मतांतरों के प्रमुख देवताओं जैसे शिव, सूर्य, शक्ति, विष्णु एवं गणेश के मंदिर स्थाापित रहे होंगे, जो कि कालांतर में कई कारणो से लुप्त प्राय हो गए होंगे। वर्तमान में पंचदेव तीर्थों में से रामकुण्डी, श्योरगढ़ी एवं डेरा संतराम ही ज्ञात हैं, जो तीन प्रमुख देवताओं के उपासना स्थल रहे होंगे, शेष दो स्थल लुप्त प्राय हो गए हैं। तीर्थ सरोवर की विशालता को देखते हुए इसकी पौराणिक महत्ता प्रकट होती है।

                  शुक्रवार को जिला के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने पंचदेव तीर्थ स्थल का दौरा किया और इसके जीर्णोद्धार को लेकर किए जा रहे विकास कार्यों का अवलोकन किया। उनके साथ असंध के उपमण्डलाधीश साहिल गुप्ता, एसीयूटी नीरज कादियान, पंचायती राज विभाग के अधीक्षण अभियंता रामफल भी मौजूद रहे।

                  दौरे के दौरान उपायुक्त ने बताया कि वर्तमान हरियाणा सरकार की ओर से कुरूक्षेत्र सहित करनाल के भी सभी तीर्थों की सुध लेकर इनकी कायाकल्प की जा रही है, ताकि धर्म-संस्कृति से जुड़े तीर्थ जन भावनाओं की श्रद्धा और उपासना का केन्द्र बने रहें। कुरूक्षेत्र डव्लपमेंट बोर्ड की ओर से पंचदेव तीर्थ के जीर्णोद्धार के लिए 1 करोड़ 81 लाख रूपये की फंडिंग की गई है, जिससे करनाल का पंचायती राज विभाग तीर्थ का विकास करने में लगा है। उपायुक्त ने बताया कि पंचदेव तीर्थ के अधीन 26 एकड़ 7 कनाल भूमि लगती है, जिस पर विशाल सरोवर पसरा है। अब इसकी बाउंडरी तथा दक्षिणी भाग में एक बड़ा बरामदा व महिलाओं के लिए स्नान घाट निर्माणाधीन है। घाट के मुहाने पर शिव मंदिर विद्यमान है। वर्ष में दो बार शिव रात्रि के पावन अवसर पर यहां मेला लगता है, जिसमे आस-पास के गांवो के लोग भी इकठ्ठे होते हैं और सरोवर में स्नान कर अपने-आप को पुण्य का भागी बनाते हैं। इसके पिछवाड़े उदासीन सम्प्रदाय के साधु संतराम का डेरा है। पूर्व में मॉडल पौंड और दक्षिण-उत्तर में पशुओं के लिए तालाब बनाया गया है। योजना के अनुसार सरोवर को नहरी पानी के साथ जोड़ा जाएगा, सरोवर में वर्षभर पानी स्वच्छ रहे, इसकी निकासी पूर्व की ओर से की जाएगी। इनमें से कुछ कार्य सितम्बर तक तथा शेष कार्य आगामी जनवरी-फरवरी में पूरे कर लिए जाएंगे।     

          गांव वासी बदन सिंह व राजेश ने बताया कि पाढा करीब 8 हजार की आबादी का गांव है। गांव की विशेषता है कि यहां सभी सम्प्रदाय के लोग मिलजुल कर सौहार्दपूर्ण माहौल में रहते हैं। गांव में वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, आर्य कन्या गुरूकुल और महिलाओं के लिए कॉलेज भी है। गांव के करीब 250 जवानो ने सेना में भर्ती होकर देश की सेवा की है। इन्ही में से एक चौधरी लहणा सिंह को परम वीर चक्र मिला था। गांव से ही कुछ व्यक्ति विदेशो में जाकर अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं।

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