कार के अन्दर मिले मृत व्यकित के मामले के आरोपीयो को किया गिरफ्तार ।
मोहित हाण्डा, भा॰पु॰से॰, पुलिस उपायुक्त पंचकुला के दिशा-निर्देशानुसार जिला पंचकुला मे अपराध की रोकथाम व अपराधियों की धरपकड़ करते हुए । कल दिनाक 28.07.2020 को पचकुला पुलिस थाना रायपुररानी की टीम द्वारा दिये हुये सख्त निर्देशो के तहत कार्यवाही करते हुऐ डिजायर कार से मिले मृत व्यकित के आरोपीयो को गिरफ्तार कर लिया गया । जो पकडे गये आरोपीयो की पहचान सन्दीप उर्फ गन्जा पुत्र सुच्चा सिह व जगदीप पुत्र ज्ञान चन्द वासी हन्गोला जिला पचकुला के रुप मे हुई ।
क्राईम ब्रांच पचंकुला ने अवैध हथियार सहित किया काबू ।
श्री माननीय पुलिस महानिदेशक (DGP Police Haryana) के द्वारा चलाये गये स्पैशल अभियान के तहत श्री मोहित हाण्डा, भा0पु0से0, पुलिस उपायुक्त पंचकुला के दिशा निर्देशानुसार जिला पंचंकुला मे अवैध हथियार रखने वालो के खिलाफ चलाये गये अभियान के तहत अपराध शाखा, सैक्टर-19 पंचकुला की टीम द्वारा दिनाक 28.07.2020 को बराये गस्त व पडताल जुराईम सैक्टर 19,12ए,21,20 पंचकुला से करते हुये । अचानक कुण्डी ढकौली रोड की तरफ एक सन्देहजनक लडके को आते दिखाई दिया । जो की पुलिस को देखकर वापिस पीछे की तरफ जाने लगा जिसको साथी मुलाजमान की सहायता से काबू करके उससे पुछताछ की गई । जो पुछताछ मे अपना आशिश निशाद पुत्र राम मिलन वासी आशियाना काम्पलैक्श सैक्टर 20 पचकुला बताया । जो तालाशी मे संदिग्ध व्यक्ति से अवैध एक देसी कट्टा 315 बोर मिला व एक जिन्दा रौंद मिला । जो आरोपी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने कि फिराक मे हो सकता था । जो पुलिस द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए मौका पर ही आरोपी को अवैध हथियार सहित गिरफ्तार करके आरोपी के खिलाफ थाना सैक्टर 20 पचंकुला मे आर्म्स एक्ट के तहत अभियोग दर्ज कार्यवाही की गई है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनाक 18.07.2020 को मृत व्यकित का शव कार मे गाँव हगौला से मिलने पर मृत व्यकित के पिता महावीर सिह पुत्र कीडु राम के दवारा दी दरखास्त पर थाना रायपुररानी के दवारा अभियोग दर्ज करके अभियोग मे गहनता से जांच करते हुए । आरोपी को गिरफ्तार करके पेश माननीय अदालत न्यायिक हिरासत भेजा गया ।
PO, Bail Jumpers , Most Wanted Criminals
माननीय पुलिस महानिदेशक हरियाणा के द्वारा चलाये गये स्पैशल अभियान PO, Bail Jumpers , Most Wanted Criminals को पकडने व नशे की रोकथाम, नशे के तस्करो को पकडने के लिए व अवैध असला रखने वालो के खिलाफ कार्यवाही हेतु । पंचकूला पुलिस इस अभियान के तहत कार्यवाही करते हुए दिंनाक 28.07.2020 को क्राईम ब्रांच सैक्टर 19 की टीम द्वारा दौराने गस्त पडताल सैक्टर 19 व 20 मे सदिंग्ध व्यतिक को अवैध एक देसी कट्टा 315 बोर मिला व एक जिन्दा रौंद सहित काबू किया । जो काबू किये गये आरोपी की पहचान आशिश निशाद पुत्र राम मिलन वासी आशियाना काम्पलैक्श सैक्टर 20 पचंकुला व इन्ही निर्दशो के तहत कार्य करते हुए थाना पिन्जौर पचकुला की टीम के द्वारा अवैध देसी शराब सहित एक को काबू किया जो पकडे गये अपराधी पहचान की विजय शन्कर पुत्र राम दयाल वासी सोतवाला पिन्जौर पचकुला के रुप मे हुई । जिसके खिलाफ थाना पिन्जौर पचकुला मे अभियोग दर्ज करके कार्यवाही की गई ।
पंचकुला पुलिस इस अभियान के तहत उदघोषित अपराधियो को पकडने लिए सख्ती से कार्य करते हुए 26 उदघोषित अपराधियो व 01 Most Wanted क्रिमिनल को पकड चुकी है । जो पचंकुला पुलिस का यह अभियान Proclaimed Offenders , Bail Jumpers and Most Wanted Criminals को पकडने व नशे पर रोकथाम व तस्करो को पकडने का जारी है ।
लावारिस लाश
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि दिनाक 24.07.2020 को एक व्यकित बीमार हालात सरकारी अस्पताल सैक्टर 06 पंचकुला मे दाखिल हुआ जिसकी ईलाज के दौरान मौत हो गई । जिनका नाम हरिनाथ पुत्र नापता ना मालुम वासी भैसा टिब्बा पचकुला है । नाश शिनाख्त हेतु मोचरी रुम सरकारी अस्पताल सैक्टर 06, पंचकुला रखी गई है । जिस बारे मे डी0डी0 नम्बर – 12, दिनांक 29.07.2020 थाना मन्सा देवी, पंचकुला मे दर्ज की गई है । जिसकी अभी तक कोई शिनाख्त नही हो सकी । नाश को सरकारी अस्पताल सैक्टर 06, पंचकुला मोर्चरी मे रखा हुआ है । जिसका हुलिया इस प्रकार से है ।
हुलिया मृतक व्यक्ति :- काले व लाल रंग की कमीज पहनी है भुरे रगँ का लोअर पहना हुआ है ।
जिस किसी भी व्यक्ति को मृतक व्यक्ति के बारे मे सूचना हो तो कृप्या निम्नलिखित पते व फोन नम्बर पर सूचित करे ।
प्रबंधक थाना मन्शा देवी, पंचकुला।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/panchkula-police-1.jpg250300Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 13:16:532020-07-29 13:17:29पुलिस फ़ाइल, पंचकुला
हिंदी सिनेमा की नंबर वन हीरोइन कहलाने वाली दीपिका पादुकोण पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपनी फिल्म छपाक के प्रमोशन के दौरान दिल्ली की जवाहर लाल यूनीवर्सिटी में चल रहे धरना प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पांच करोड़ रुपये लिए हैं। सोशल मीडिया पर इस तरह के आरोप बुधवार को दिन भर ट्रेंड होते रहे। दीपिका की तरफ से अभी तक इस बारे में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
नयी दिल्ली(ब्यूरो) – 29 जुलाई:
‘छपाक’ फिल्म के प्रमोशन के दौरान JNU प्रोटेस्ट में नजर आने वाली दीपिका पादुकोण एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने जेएनयू में प्रदर्शनकारियों के बीच जाकर सिर्फ़ खड़े होने के लिए पाकिस्तानी एजेंट अनिल मुसर्रत से करीब 5 करोड़ रुपए लिए थे। मामला उजागर होने के बाद ईडी अब इसकी जाँच कर रही है।
दीपिका पर ऐसे गंभीर आरोपों का खुलासा करने वाला कोई आम नागरिक नहीं बल्कि भारतीय खूफिया एजेंसी रॉ के पूर्व अधिकारी एनके सूद हैं। एनके सूद का कहना है कि अनील मुसर्रत ने दीपिका को फोन करके जेएनयू जाने के लिए कहा था।
पिछले दिनों सुशांत सिंह की मौत के बाद बॉलीवुड की काली सच्चाई और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के पाकिस्तानी एजेंटों के बीच संबंधों का खुलासा होने से ये पूरा मामला गरमाया हुआ है। इसी बीच एनके सूद ने अपनी एक वीडियो में दीपिका के जेएनयू जाने के पीछे छिपे सच से पर्दा उठाया है। इससे पहले खबर थी कि ये उनका कोई पीआर स्टंट है।
एनके सूद ने अपनी वीडियो में अनील मुसर्रत के पेशे के बारे में बताया और साथ ही ये भी जानकारी दी कि कैसे अनील मुसर्रत पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान का करीबी है। जिसके कारण उसने इमरान खान की पार्टी पीडीआई को भी बहुत समर्थन दिया हुआ है। इसके अलावा अनील के करीबी संबंध पाकिस्तानी आर्मी व पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी ISI से भी हैं।
बावजूद इन सब बातों के कई बॉलीवुड हस्तियाँ है, जो अनील से लगातार जुड़ी हुई हैं। इसमें करण जौहर, अनिल कपूर जैसे कई जाने-माने चेहरे प्रमुख नाम हैं। अनील की बेटी की शादी में भी कई बॉलीवुड कलाकारों ने शिरकत की थी और जब अनिल कपूर की बेटी यानी सोनम कपूर की शादी हुई तो भी पाक एजेंट अनील उसमें नजर आए थे।
एनके सूद के अनुसार, अनील मुसर्रत भारत विरोधी कई सारे गतिविधियों को अपना समर्थन देते हैं और जब लंदन में सीएए विरोधी प्रदर्शन हुए थे तब भी उसने ही उस प्रोटेस्ट को फंडिंग की थी। इसके अतिरिक्त वे फिल्में, जिनमें हिंदू देवी-देवताओं को अभद्रता के साथ दिखाया जाता है, उन्हें भी अनील मुसर्रत फाइनेंस करने को तैयार हो जाते हैं। अनील मुसर्रत से ब्रिटिश प्रशासन ने काफी बार मनी लॉन्ड्रिंग और टेटर फंडिंग जैसे मामलों पर पूछताछ की है।
24 जुलाई को Indian Security Research Group नाम के यूट्यूब चैनल पर डाली गई वीडियो के 3:35 के स्लॉट पर आप सुन सकते हैं कि एनके सूद दीपिका पादुकोण के जनवरी में जेएनयू जाने की बात का जिक्र कर रहे हैं।
वे कहते हैं कि दीपिका साल 2020 के जनवरी महीने में जेएनयू गई। वहाँ टुकड़े-टुकड़े गैंग का प्रदर्शन चल रहा था। वह वहाँ उनका समर्थन करने और अपने फिल्म का प्रमोशन करने गई थी। लेकिन उन्होंने ये सब अनील मुसर्रत के कहने पर किया था।
वे बताते हैं कि अनील मुसर्रत उस वक्त दुबई में थे और उन्होंने वहाँ से दीपिका को कॉल किया। जिसके बाद दीपिका इस प्रदर्शन में शामिल हुईं। वे पूछते हैं कि क्या दीपिका अनील से ऐसा ही कुछ पाकिस्तान में करने को कहतीं तो वो करते? नहीं, क्योंकि वो बिके हुए हैं। उस समय पाकिस्तान के आर्मी प्रवक्ता ने भी दीपिका को सपोर्ट किया था।
अपने एक अन्य वीडियो में उन्होंने बताया है कि अब ईडी ने बॉलीवुड कलाकारों पर अपना शिकंजा कस लिया है। वह ऐसे हस्तियों की जाँच कर रही है, जिनके विदेशों में बैंक अकाउंट है या फिर प्रॉपर्टी है। इसके अतिरिक्त दीपिका पर तो पहले से ही जाँच होनी शुरू हो गई है क्योंकि उन पर ये आरोप था कि उन्हें पाँच करोड़ रुपए जेएनयू में जाने के लिए पाक एजेंट से मिले।
बता दें कि साल 2020 की शुरुआत में जेएनयू में हुए प्रदर्शन में जाकर दीपिका ने अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ उसमें भाग नहीं लिया। लेकिन वहाँ जाकर खड़ी जरूर हुई थीं। जिसके बाद दीपिका पर कई तरह के सवाल उठे थे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/deepika-and-kangana.jpg400600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 13:06:542020-07-29 13:08:16क्या दीपिका पादुकोण ने जेएनयू आने के लिए आईएसआई एजेंट से 5 करोड़ लिए
Seven persons arrested for obstructing public way & violating social distancing.
A case FIR No. 105, U/S 283, 188 IPC has been registered in PS-Sarangpur, Chandigarh against 1) Rajesh R/o # 540/A EWS Colony Dhanas, Chandigarh 2) Ram Bahadur R/o # 814, EWS Colony, Dhanas, Chandigarh 3) Gevta Deen Gupta R/o # 536/A EWS Colony Dhanas, Chandigarh 4) Ram Sanjeevan R/o # 1815/A EWS Colony, Dhanas Chandigarh 5) Krishan Kumar R/o # 906, EWS Colony, Dhanas Chandigarh 6) Ram Milk R/o # 963/A EWS Colony Dhanas Chandigarh 7) Sonu R/o # 1303/C EWS Colony Dhanas, Chandigarh, who were arrested while they were selling fruits/vegetables on loaded three wheelers near Dushehra Ground, EWS Colony, Dhanas, Chandigarh on 28.07.2020. They were obstructing the public way and also violating the social distancing. Later, they were bailed out. Investigation of the case is in progress.
Three arrested under NDPS Act
Crime Branch of Chandigarh Police arrested Shiv Shankar R/o Village-Mauli Baidhwan near Sec-80, SAS Nagar, Mohali, Punjab (Age 32 years) and recovered 500 gm charas and 3 Kg Ganja from his possession near Maszid, Motor Market turn, Manimajra, Chandigarh on 28.07.2020. A case FIR No. 114, U/S 20 NDPS Act has been registered in PS-MM, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
Chandigarh Police arrested Ram Kumar R/o # 272, Village Burail, Chandigarh and Deepak Kumar R/o # 346, Village Burail, Chandigarh and recovered 60 Injections (Bupernorphine and Pheniramine Maleate) from their possession near Slip Road, Garbage Center, Sector-45/C/D turn on 28-07-2020. A case FIR No. 152, U/S 22 NDPS Act has been registered in PS-34, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
Accident
A case FIR No. 69, U/S 279, 337, 427 IPC has been registered in PS-03, Chandigarh on the statement of Samarth Brar R/o # 66, Sector-8A, Chandigarh who alleged that driver of Verna car No. CH01AW7600 namely Harwinder Singh R/o # 917 near HDFC Bank, Govindpura, Manimajra, Chandigarh hit to one cyclist namely Satinder Deep Singh R/o # 4483, Ward No. 13, near Shiv Mandir, Kharar, Mohali, Punjab and also hit complainant’s BMW car No. PB30P5 near Chowk Sector-3/4/9/10, Chandigarh on 27-07-2020. Alleged person arrested and bailed out. Investigation of the case is in progress.
Snatching
A case FIR No. 64, U/S 379A, 356, 34 IPC has been registered in PS-19, Chandigarh on the complaint of a lady resident of Sector-21C, Chandigarh who reported that two unknown persons on motorcycle snatched away gold chain of complainant near H.No. 2172, Sector 21C, Chandigarh on 28.07.2020. Investigation of the case is in progress.
Theft
Rajesh Kumar R/o # 1611, Ph-2, Ram Darbar, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s E-Rickshaw No. CH01TE3351 parked in front of IDFC Bank Sector-26, Chandigarh on 28-05-2020. A case FIR No. 135, U/S 379 IPC has been registered in PS-26, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
Cheating
A case FIR No. 147, U/S 420, 120B IPC has been registered in PS-36, Chandigarh on the complaint of Jaswinder Singh R/o # 556, Sector-11, Preet Nagar, Kharar, Mohali, (PB) who alleged that Sandeep R/o Immi Expert Overseas, SCO No. 264, top floor, Sector-35/C, Chandigarh cheated Rs 2,36,750/- from complainant on pretext to send complainant to abroad. Investigation of the case is in progress.
Assault/Quarrel
A case FIR No. 110, U/S 324, 34 IPC has been registered in PS-Maloya, Chandigarh on the complaint of Karan Singh R/o # 1818, DMC, Chandigarh who alleged that Jiwan, Gogu, Vikas and Jatin attacked on complainant with knife at Kachchi Colony Park, DMC, Chandigarh on 26.07.2020. Complainant got injured and admitted in GMSH-16, Chandigarh. Alleged persons Jiwan R/o H.No. 2046, DMC, Chandigarh, Gagandeep @ Gogu R/o H.No. 2046, DMC, Chandigarh and Vikas R/o H.No. 2167, DMC, Chandigarh have been arrested in this case. Investigation of case is in progress.
A case FIR No. 111, U/S 325, 34, 506 IPC has been registered in PS-Maloya, Chandigarh on the complaint of Ramakant R/o Jhuggi No. 105, Rajender Saini Farm, Village Dadumajra, Chandigarh who alleged that Rambilas and his son Rahul with two unknown persons beaten complainant and his family members namely Pardeep, Dinesh, Sanjay and others near his Jhuggi on 28.06.2020. Complainant and his family members got injured and admitted in GMSH-16, Chandigarh. Alleged persons Rambilas and Rahul both R/o H.No. 1341, Village Faidan Nizampur, Chandigarh have been arrested in this case. Investigation of case is in progress.
Prevention of Immoral Trafficking
A case FIR No. 151, U/S 3, 4, 5, 6 & 7 Prevention of Immoral Trafficking Act has been registered in PS-34, Chandigarh against Pardeep R/o Hotel City Heart, Village-Burail, Chandigarh, Ajay R/o Hotel City Heart, Village-Burail, Chandigarh, Jawahar Poddar R/o # 2110, EWS Colony, Dhanas, Chandigarh, Raju R/o Village Lamachor, Nanital, Uttrakhand, Puneet Kumar R/o Gopal Nagar, Nanital, Uttrakhand & a lady, who were arrested from Hotel City Heart, Village-Burail, Chandigarh on 28.07.2020. Investigation of the case is in progress.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/Chandigarh-Police-Coaching-in-Chandigarh.jpg319889Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 12:14:412020-07-29 12:14:44Police Files, Chandigarh
अखिल भारतीय युवा अग्रवाल सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद जैन ने पंचकूला के राजीव गुप्ता को प्रदेश संगठन मंत्री नियुक्त किया है।
उन्होंने बताया कि राजीव गुप्ता पिछले कई वर्षों से अग्रवाल समाज की सेवा कर रहे हैं। वे अखिल भारतीय अग्रवाल समाज, पंचकूला के जिला प्रधान हैं और अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश सचिव का कार्यभार भी सम्भाल रहे हैं । उनकी साफ सुथरी छवि व कार्यशैली को देखते हुए उन्हें प्रदेश संगठन मंत्री का महत्वपूर्ण पद सौंपा गया है।
राजीव गुप्ता ने कहा कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपी गई है वे उसको पूरी निष्ठा व ईमानदारी से निभायेंगे। उन्होंने कहा कि वे अग्रवाल समाज के युवाओं को मानवता व राष्ट्र हित के कार्यो के लिए प्रेरित करेंगे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/IMG-20200728-WA0146.jpg11021241Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 12:06:062020-07-29 12:06:25राजीव गुप्ता अखिल भारतीय युवा अग्रवाल सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश संगठन मंत्री नियुक्त
आज भारत के लिए वह पल साकार हो रहा है जिसका भारतीय वायु सेना पिछले 20 वर्षों से प्रतीक्षारत थी। तमाम राजनैतिक अड़चनों ओर लाल फीताशाही के बाद मोदी सरकार ने तमाम आरोप झेलते हुए भी इसे संभव कर दिखाया है।
लीजिये स्वागत करें राफेल का। अंबाला के खड्ग योद्धाओं ने राफेल के सुरक्षित उतरने का पूरा इंतेजाम किया हुआ था। सुबह से आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे सैनिकों का ही नहीं आपितु आम भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। आँखों में उमंग और गर्व लिए प्रत्येक भारतीय अपनी अपनी टीवी स्क्रीन से इस प्रकार चिपके रहे मानो घर में कोई नया सदस्य शामिल हो रहा है और उस पल से कोई भी वंचित नहीं रहना चाहता।
फ्रांस के साथ हुए सौदे के तहत राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jet) की पहली खेप हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर लैंड हो चुकी है. इन 5 राफेल जेट को रिसीव करने के लिए एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया अंबाला एयरबेस पर मौजूद रहे. सुरक्षा के लिहाज में अंबाला में धारा 144 लागू कर दी गई है.
27 जुलाई को फ्रांस (France) के मेरिग्नाक बेस से 5 राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jet) भारत के लिए रवाना हुए थे. लगातार 7 घंटे तक उड़ान भरते हुए कल शाम को अबूधाबी (Abu Dhabi) के करीब अल-दफ्रा फ्रेंच एयरबेस पर पहुंचे. इन विमानों ने बुधवार को अंबाला एयरबेस (Ambala Air Base) पर लैंडिंग की.
फ्रांस से आए पांच राफेल विमान अंबाला एयरबेस पहुंच गए हैं जहां इनकी लैंडिग हो रही है.पांचों राफेल लड़ाकू विमान अंबाला एयरबेस के पास पहुंच गए हैं. अब से चंद मिनटों में सभी विमानों की लैंडिंग होगी. पांच राफेल विमानों को 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन के कमांडिंग आफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह की अगुवाई में पायलट फ्रांस से लेकर भारत आ रहे हैं. इस बीच रक्षा मंत्रालय की ओर से एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें भारतीय एयरस्पेस में राफेल विमानों के घुसने के बाद उन्हें दो सुखोई लड़ाकू विमान एस्कॉर्ट करते हुए अंबाला एयरबेस ला रहे हैं.
UAE की सरजमीन से जब राफेल विमानों ने उड़ान भरी तो कुछ ही देर बाद भारतीय वायुसीमा में एंट्री ली. जब ये विमान अरब सागर से निकले तो INS कोलकाता कंट्रोल रूम से ही उनका स्वागत किया गया. इस दौरान INS कोलकाता कंट्रोल रूम की ओर से कहा गया, ‘इंडियन नेवल वॉर शिप डेल्टा 63 ऐरो लीडर. मे यू टच द स्काई विद ग्लोरी, हैप्पी हंटिंग. हैप्पी लैंडिंग.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/605391-bharat-ke-orafal.jpg302958Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 10:29:522020-07-29 10:31:25राफेल ने ’17 गोल्डन ऐरोस’ के आगमन ने आम भारतियों को भावुक किया
राफेल विमान भारत द्वारा पिछले दो दशक से अधिक समय में लड़ाकू विमानों की पहली बड़ी खरीद है। इन विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी होगी. भारत ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था.
अंबाला – 29 जुलाई :
जिस पल का इंतजार देश को बरसों से था, वो अब आने वाला है. रफाल का इंतजार खत्म होने वाला है. आज से वायुसेना को रफाल की प्रचंड शक्ति मिलने वाली है. रफाल विमानों ने भारतीय वायुसीमा में एंट्री कर ली है. अब से कुछ ही देर में अंबाला एयरबेस पर इनकी लैंडिंग होगी. भारतीय वायुसीमा में पांचों रफाल विमानों के घुसते ही युद्धपोत INS कोलकाता ने स्वागत करते हुए कहा- ये गर्व की उड़ान है, हैप्पी लैंडिंग. विमानों की लैंडिंग को देखते हुए अंबाला एयरबेस पर पुलिस ने सैन्य अड्डे के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है.
लड़ाकू विमानों के इस बेड़े ने सोमवार को फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोरदु के मेरिग्नैक एयरबेस से उड़ान भरी थी. ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार दोपहर अंबाला पहुंचेंगे. इन विमानों में एक सीट वाले तीन और दो सीट वाले दो विमान होंगे. अधिकारियों ने अंबाला सैन्य अड्डे के आसपास धारा 144 लगा दी है. तस्वीरें लेने और वीडियो बनाने पर रोक लगा दी है. सैन्य अड्डे के तीन किलोमीटर के दायरे में निजी ड्रोन उड़ाने पर भी रोक लगा दी है.
धुलकोत, बल्देव नगर, गरनाला और पंजखोरा सहित सैन्य अड्डे से लगे गांवों में धारा 144 लागू कर चार या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगा दिया. अंबाला के उपायुक्त अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि लागू 144 लागू होने के दौरान सैन्य अड्डे की चाहरदीवारी और उससे लगे क्षेत्रों की तस्वीरें लेना और वीडियो बनाना प्रतिबंधित है.
इस बीच, हरियाणा पुलिस ने सैन्य अड्डे के पास स्थित आवासीय इलाकों में कई नाके बनाए हैं और कई पुलिस अधिकारी गश्त लगाते भी दिखे. लाउडस्पीकर से लोगों को छतों पर खड़े होकर तस्वीरें ना लेने और वीडियो ना बनाने की चेतवानी भी दी जा रही है. उन्होंने ऐसा करने वालों के खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है. कई स्थानों पर लड़ाकू विमानों के स्वागत के लिए होर्डिंग भी लगाए गए हैं. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने बुधवार को कहा कि अंबाला के लोग विमानों के आगमन को लेकर बहुत उत्साहित हैं.
राफेल विमान भारत द्वारा पिछले दो दशक से अधिक समय में लड़ाकू विमानों की पहली बड़ी खरीद है। इन विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी होगी. भारत ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था.
इन विमानों को बुधवार दोपहर में भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन नम्बर 17 में शामिल किया जाएगा, जिसे ‘गोल्डन एरोज’ के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि, इन विमानों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए मध्य अगस्त के आसपास समारोह आयोजित किया जा सकता है जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है. भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 विमान लड़ाकू जबकि छह प्रशिक्षक विमान हैं. अंबाला एयरबेस को भारतीय वायुसेना का महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान सीमा महज 220 किलोमीटर की दूरी पर है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/Rafaelasdf.jpg452875Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 09:32:152020-07-29 09:34:13स्वागत है, ये गर्व की उड़ान है, हैप्पी लैंडिंग: INS कोलकाता
‘नेहरू खुद इंदिरा को कांग्रेस के नेतृत्व की कतार में खड़ा करने, बनाए रखने और जिम्मेदारी सौंपने का प्रयास करते रहे. जब नेहरू की तबीयत थोड़ी कमजोर हुई तो उन्होंने इंदिरा को कांग्रेस की कार्यसमिति में रखा.’ यह भी कहा जाता है कि अध्यक्ष पद के लिए पहले दक्षिण भारत से तालुल्क रखने वाले धाकड़ नेता निजलिंगप्पा का नाम प्रस्ताव हुआ था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इस पर चुप्पी ओढ़ ली और फिर जब इंदिरा गांधी के नाम का प्रस्ताव आया तो उन्होंने हामी भर दी.….. ऐसा पहली बार है जब गांधी परिवार के तीन सदस्य एक साथ कांग्रेस में तीन सबसे प्रभावशाली पदों पर हैं लेकिन फिर भी पार्टी अब तक की सबसे कमजोर हालत में है
चंडीगढ़:
राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस के भीतर उथल-पुथल जारी है. पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री पद से भी हटा दिए गए सचिन पायलट बागी रुख अपनाए हुए हैं. हालांकि कांग्रेस इसे भाजपा की साजिश बता रही है. पार्टी नेता अजय माकन ने बीते दिनों कहा कि यदि चुनी गई किसी सरकार को पैसे की ताकत से अपदस्थ किया जाता है, तो यह जनादेश के साथ धोखा और लोकतंत्र की हत्या है. पार्टी के दूसरे नेता भी कमोबेश ऐसी बातें कई बार कह चुके हैं.
इससे पहले विधायकों की बगावत के बाद कांग्रेस, भाजपा के हाथों कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सत्ता गंवा चुकी है. तब भी उसने केंद्र में सत्ताधारी पार्टी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया था. कई विश्लेषक भी इस तरह सत्ता परिवर्तन को लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं बताते. हाल में सत्याग्रह पर ही प्रकाशित अपने एक लेख में चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा का कहना था, ‘अगर विधायक किसी भी समय खरीदे और बेचे जा सकते हैं तो फिर चुनाव करवाने का मतलब ही क्या है? क्या इससे उन भारतीयों की लोकतांत्रिक इच्छा के कुछ मायने रह जाते हैं जिन्होंने इन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में वोट दिया था? अगर पैसे की ताकत का इस्तेमाल करके इतने प्रभावी तरीके से निष्पक्ष और स्वतंत्र कहे जाने वाले किसी चुनाव का नतीजा पलटा जा सकता है तो भारत को सिर्फ चुनाव का लोकतंत्र भी कैसे कहा जाए?’
ऐसे में पूछा जा सकता है कि जिस कांग्रेस पार्टी की सरकारें गिराने या ऐसा करने की कोशिशों के लिए भारतीय लोकतंत्र पर भी सवाल उठाया जा रहा है, उस कांग्रेस के भीतर लोकतंत्र का क्या हाल है? क्या भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगा रही कांग्रेस खुद इस लोकतंत्र को कोई बेहतर विकल्प दे सकती है? क्या खेत की मिट्टी से ही उसमें उगने वाली फसल की गुणवत्ता तय नहीं होती है?
2019 के आम चुनाव में भाजपा की दोबारा प्रचंड जीत के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. इससे एक सदी पहले यानी 1919 में मोतीलाल नेहरू पहली बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. 1919 से 2019 तक 100 साल के इस सफर के दौरान कांग्रेस में जमीन-आसमान का फर्क आया है. तब कांग्रेस आसमान पर थी और उसके मूल्य भी ऊंचे थे. आज साफ है कि वह दोनों मोर्चों पर घिसट भी नहीं पा रही है.
मोतीलाल और जवाहरलाल नेहरू के वक्त की कांग्रेस परंपरावाद से लेकर आधुनिकता तक कई विरोधाभासी धाराओं को साथ लिए चलती थी. नेतृत्व के फैसलों पर खुलकर बहस होती थी और इसमें आलोचना के लिए भी खूब जगह थी. 1958 के मूंदड़ा घोटाले के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है. यह आजाद भारत का पहला वित्तीय घोटाला था और इसने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बड़ी किरकिरी की थी. इसकी एक वजह यह भी थी कि इसे उजागर करने वाला और कोई नहीं बल्कि उनके ही दामाद और कांग्रेस के सांसद फीरोज गांधी थे. इस घोटाले के चलते तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णमचारी को इस्तीफा देना पड़ा था.
इसी सिलसिले में 1962 का भी एक किस्सा याद किया जा सकता है. चीन के साथ युद्ध को लेकर संसद में बहस गर्म थी. अक्साई चिन, चीन के कब्जे में चले जाने को लेकर विपक्ष ने हंगामा मचाया हुआ था. इसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में यह बयान दिया कि अक्साई चिन में घास का एक तिनका तक नहीं उगता. कहते हैं कि इस पर उनकी ही पार्टी के सांसद महावीर त्यागी ने अपना गंजा सिर उन्हें दिखाया और कहा, ‘यहां भी कुछ नहीं उगता तो क्या मैं इसे कटवा दूं या फिर किसी और को दे दूं.’
अब 2020 पर आते हैं. क्या आज की कांग्रेस में ऐसी किसी स्थिति की कल्पना की जा सकती है? एक ताजा उदाहरण से ही इसे समझते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता रहे संजय झा ने कुछ दिन पहले टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में एक लेख लिखा. इसमें कहा गया था कि दो लोकसभा चुनावों में इतनी बुरी हार के बाद भी ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है जिससे लगे कि पार्टी खुद को पुनर्जीवित करने के प्रति गंभीर है. उनका यह भी कहना था कि अगर कोई कंपनी किसी एक तिमाही में भी बुरा प्रदर्शन करती है तो उसका कड़ा विश्लेषण होता है और किसी को नहीं बख्शा जाता, खास कर सीईओ और बोर्ड को. संजय झा का कहना था कि कांग्रेस के भीतर ऐसा कोई मंच तक नहीं है जहां पार्टी की बेहतरी के लिए स्वस्थ संवाद हो सके. इसके बाद उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया गया. इसके कुछ दिन बाद उन्होंने राजस्थान के सियासी घटनाक्रम पर टिप्पणी की. इसमें संजय झा का कहना था कि जब सचिन पायलट के राज्य इकाई का अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में शानदार वापसी की तो उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था. इसके बाद संजय झा को पार्टी से भी निलंबित कर दिया गया. इसका कारण उनका पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होना और अनुशासन तोड़ना बताया गया.
माना जाता है कि कांग्रेस के भीतर कभी मौजूद रही लोकतंत्र की शानदार इमारत के दरकने की शुरुआत इंदिरा गांधी के जमाने में हुई. वे 1959 में पहली बार कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं. उस समय भी कहा गया था कि जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी को आगे बढ़ाकर गलत परंपरा शुरू कर रहे हैं. इस आलोचना का नेहरू ने जवाब भी दिया था. उनका कहना था कि वे बेटी को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर तैयार नहीं कर रहे हैं. प्रथम प्रधानमंत्री के मुताबिक वे कुछ समय तक इस विचार के खिलाफ भी थे कि उनके प्रधानमंत्री रहते हुए उनकी बेटी कांग्रेस की अध्यक्ष बन जाएं.
हालांकि कई ऐसा नहीं मानते. एक साक्षात्कार में वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय कहते हैं, ‘नेहरू खुद इंदिरा को कांग्रेस के नेतृत्व की कतार में खड़ा करने, बनाए रखने और जिम्मेदारी सौंपने का प्रयास करते रहे. जब नेहरू की तबीयत थोड़ी कमजोर हुई तो उन्होंने इंदिरा को कांग्रेस की कार्यसमिति में रखा.’ यह भी कहा जाता है कि अध्यक्ष पद के लिए पहले दक्षिण भारत से तालुल्क रखने वाले धाकड़ नेता निजलिंगप्पा का नाम प्रस्ताव हुआ था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इस पर चुप्पी ओढ़ ली और फिर जब इंदिरा गांधी के नाम का प्रस्ताव आया तो उन्होंने हामी भर दी.
महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल और राजेंद्र प्रसाद जैसे कांग्रेसी दिग्गजों ने हमेशा कोशिश की कि उनके बच्चे उनकी राजनीतिक विरासत का फायदा न उठाएं. लेकिन नेहरू – इंदिरा गांधी इससे उलट राह पर गईं. जैसा कि अपने एक लेख में पूर्व नौकरशाह और चर्चित लेखक पवन के वर्मा लिखते हैं, ‘उन्होंने वंशवाद को संस्थागत रूप देने की बड़ी भूल की. अपने छोटे बेटे संजय को वे खुले तौर पर अपना उत्तराधिकारी मानती थीं.’ जब संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में असमय मौत हुई तो इंदिरा अपने बड़े बेटे और पेशे से पायलट उन राजीव गांधी को पार्टी में ले आईं जिनकी राजनीति में दिलचस्पी ही नहीं थी.
सोनिया गांधी की जीवनी ‘सोनिया : अ बायोग्राफी’ में वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई लिखते हैं, ‘इंदिरा और राजीव गांधी की इस पारिवारिक पकड़ ने पार्टी में नंबर दो का पद भी ढहा दिया था. हमेशा सशंकित रहने वाली इंदिरा गांधी ने राजीव को एक अहम सबक सिखाया – स्थानीय क्षत्रपों पर लगाम रखो और किसी भी ऐसे शख्स को आगे मत बढ़ाओ जो नेहरू-गांधी परिवार का न हो.’
इंदिरा गांधी ने खुद यही किया था. उनके समय में ही कांग्रेस में ‘हाईकमान कल्चर’ का जन्म हुआ और क्षेत्रीय नेता हाशिये पर डाल दिए गए. लंदन के मशहूर किंग्स कॉलेज के निदेशक और चर्चित लेखक सुनील खिलनानी अपने एक लेख में कहते हैं कि ऐसा इंदिरा गांधी ने दो तरीकों से किया – पहले उन्होंने पार्टी का विभाजन किया और फिर ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दीं कि पार्टी से वफादारी के बजाय इंदिरा गांधी से वफादारी की अहमियत ज्यादा हो गई.
इंदिरा गांधी ने यह बदलाव पैसे का हिसाब-किताब बदलकर किया. पहले पैसे का मामला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से अलग रखा जाता था. जवाहरलाल नेहरू आदर्शवादी नेता थे लेकिन उन्हें यह भी अहसास था कि कांग्रेस जैसी विशाल पार्टी को चलाने के लिए काफी पैसे की जरूरत होती है, तो उन्होंने यह काम स्थानीय क्षत्रपों पर छोड़ रखा था जो अपने-अपने तरीकों से पैसा जुटाते और इसे अपने इलाकों में चुनाव पर खर्च करते. सुनील खिलनानी लिखते हैं, ‘इंदिरा गांधी ने यह व्यवस्था खत्म कर दी. अब स्थानीय नेताओं को दरकिनार करते हुए नकदी सीधे उनके निजी सचिवों के पास पहुंचाई जाने लगी और उम्मीदवारों को चुनावी खर्च के लिए पैसा देने की व्यवस्था पर इंदिरा गांधी के दफ्तर का नियंत्रण हो गया. पैसा पहले ब्रीफकेस में भरकर आता था. बाद में सूटकेस में भरकर आने लगा.’ सुनील खिलनानी के मुताबिक इस सूटकेस संस्कृति के जरिये इंदिरा गांधी ने अपने चहेते वफादारों का एक समूह खड़ा कर लिया जिसे इस वफादारी का इनाम भी मिलता था. इस सबका दुष्परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस वोट पाने से लेकर विधायक दल का नेता चुनने तक हर मामले में नेहरू-गांधी परिवार का मुंह ताकने लगी.
यही वजह थी कि 1984 में जब अपने अंगरक्षकों के हमले में इंदिरा गांधी की असमय मौत हुई तो राजनीति के मामले में नौसिखिये राजीव गांधी को तुरंत ही पार्टी की कमान दे दी गई. उन्होंने अपनी मां से मिले सबक याद रखे. राशिद किदवई ने अपनी किताब में लिखा है कि शरद पवार, नारायण दत्त तिवारी और अर्जुन सिंह जैसे कई मजबूत क्षत्रपों पर लगाम रखने के लिए राजीव गांधी ने भी नेताओं का एक दरबारी समूह बनाया. कोई खास जनाधार न रखने वाले इन नेताओं को ताकतवर पद दिए गए. बूटा सिंह, गुलाम नबी आजाद और जितेंद्र प्रसाद ऐसे नेताओं में गिने गए. यानी इंदिरा गांधी ने कांग्रेस में लोकतंत्र के खात्मे की जो प्रक्रिया शुरू की थी उसे राजीव गांधी ने आगे बढ़ाया.
1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद भी वही हुआ जो 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था. इस घटना के बाद दिल्ली में उनके निवास 10 जनपथ पर कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जमा थी. वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह भी वहां मौजूद थीं. इसी दौरान अपने एक सहयोगी से उन्हें खबर मिली कि कांग्रेस कार्यसमिति की एक बैठक हुई है जिसमें सोनिया गांधी को पार्टी की कमान देने का फैसला हुआ है. यह सुनकर वे हैरान रह गईं. अपनी किताब दरबार में वे लिखती हैं, ‘मैंने कहा कि वे तो विदेशी हैं और हिंदी तक नहीं बोलतीं. वे कभी अखबार नहीं पढ़तीं. ये पागलपन है.’ सोनिया गांधी तब कांग्रेस की सदस्य तक नहीं थीं. अपनी किताब में राशिद किदवई लिखते हैं, ‘सोनिया गांधी में नेतृत्व के गुण हैं या नहीं, उन्हें भारतीय राजनीति की पेचीदगियों का अंदाजा है या नहीं, इन बातों पर जरा भी विचार नहीं किया गया.’
हालांकि सोनिया गांधी ने उस समय यह पद ठुकरा दिया. एक बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि जो विपदा उन पर आई है उसे और अपने बच्चों को देखते हुए उनके लिए कांग्रेस अध्यक्ष का पद स्वीकार करना संभव नहीं है. परिवार के सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी को कांग्रेस कार्यसमिति का यह फैसला काफी असंवेदनशील भी लगा क्योंकि तब तक राजीव गांधी का अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ था. राशिद किदवई के मुताबिक उस समय परिवार के काफी करीबी रहे अमिताभ बच्चन ने कहा कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को भी इसी तरह पार्टी की कमान थामने को मजबूर किया गया था और कब तक गांधी परिवार के सदस्य इस तरह बलिदान देते रहेंगे.
इसके बाद अगले चार साल तक कांग्रेस की कमान तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पास रही. 1978 में ब्रह्मानंद रेड्डी के बाद से यह पहली बार था जब पार्टी की अगुवाई गांधी परिवार से बाहर का कोई शख्स कर रहा था. हालांकि तब भी गांधी परिवार कांग्रेस के भीतर एक शक्ति केंद्र था ही. कहा जाता है कि नरसिम्हा राव से असंतुष्ट नेता सोनिया गांधी को अपना दुखड़ा सुनाते थे. राव के बाद दो साल पार्टी सीताराम केसरी की अगुवाई में चली.
तब तक 1996 के आम चुनाव आ चुके थे. इन चुनावों में सत्ताधारी कांग्रेस का प्रदर्शन काफी फीका रहा. पांच साल पहले 244 सीटें लाने वाली पार्टी इस बार 144 के आंकड़े पर सिमट गई. उधर, भाजपा का आंकड़ा 120 से उछलकर 161 पर पहुंच गया. कांग्रेस का एक धड़ा सोनिया गांधी को वापस लाने की कोशिशों में जुटा था. पार्टी की बिगड़ती हालत ने उसकी इन कोशिशों को वजन दे दिया. 1997 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में सोनिया गांधी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलाई गई और इसके तीन महीने के भीतर ही वे अध्यक्ष बन गईं.
कांग्रेस के अब तक हुए अध्यक्षों की सूची देखें तो सोनिया गांंधी राजनीति के लिहाज से सबसे ज्यादा नातजुर्बेकार थीं लेकिन, उन्होंने सबसे ज्यादा समय तक यह कुर्सी संभाली. वे करीब दो दशक तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं और अब फिर अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभाले हुए हैं.
इसी तरह राहुल गांधी 2004 में सक्रिय राजनीति में आए. तीन साल के भीतर उन्हें पार्टी महासचिव बना दिया गया. 2013 में यानी राजनीति में आने के 10 साल से भी कम वक्त के भीतर राहुल गांधी कांग्रेस उपाध्यक्ष बन गए. 2017 में वे अध्यक्ष बनाए गए. 2019 में उन्होंने पद छोड़ा तो चुनाव नहीं हुए बल्कि सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बन गईं. इसी तरह कोई चुनाव न जीतने के बाद भी प्रियंका गांधी कांग्रेस की महासचिव हैं. और परिवार में कथित तौर पर सबसे ज्यादा राजनीतिक परिपक्वता रखने के बाद भी सिर्फ पारिवारिक समीकरणों के चलते ही वे शायद पार्टी में बड़ी मांग होने पर भी उसके लिए खुलकर राजनीति नहीं कर पा रही हैं.
यानी कि अब भी कांग्रेस उसी तरह चल रही है जैसी राजीव और इंदिरा गांधी के समय चलती थी. इसका मतलब यह है कि पार्टी के भीतर लोकतंत्र पहले की तरह अब भी गायब है. अगर इससे थोड़ा आगे बढ़ें तो यह भी कहा जा सकता है कि जब गांधी परिवार के भीतर ही नेतृत्व का निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित नहीं है तो इसकी उम्मीद पार्टी के स्तर पर कैसे की जा सकती है! राजीव-इंदिरा की तरह आज सोनिया गांधी के इर्द-गिर्द भी नेताओं की एक मंडली जमी रहती है और बाकियों को इसके जरिये ही उन तक अपनी बात पहुंचानी पड़ती है. राज्यों के चुनाव होते हैं तो विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार केंद्रीय नेतृत्व को दे दिया जाता है जो अपनी पसंद का नाम तय कर देता है. संसदीय दल का नेता चुनने के मामले में भी ऐसा ही होता है.
2004 के आम चुनाव में तो मामला इससे भी आगे चला गया था. कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटें लाई थीं और उसके नेतृत्व में गठबंधन सरकार बननी थी. लेकिन विदेशी मूल का हवाला देकर भाजपा ने सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने का विरोध शुरू कर दिया. इसके बाद सोनिया गांधी खुद प्रधानमंत्री नहीं बनीं लेकिन उनके एक इशारे पर ही मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बना दिया गया. लेकिन बात यहीं नहीं रुकी. प्रधानमंत्री को सलाह देने के लिए एक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद भी बन गई जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं. इस तरह का काम भारतीय लोकतंत्र में पहली बार हुआ था और इसके चलते सोनिया गांधी को सुपर पीएम कहा जाने लगा था.
वे दिन अब बीत चुके हैं. बीते साल कांग्रेस को लगातार दूसरे आम चुनाव में भयानक हार का सामना करना पड़ा. 2014 में महज 44 लोकसभा सीटें लाने वाली पार्टी 2019 के आम चुनाव में इस आंकड़े में सिर्फ आठ की बढो़तरी कर सकी. इस तरह देखें तो पार्टी के एक परिवार पर निर्भर होने के लिहाज से भी इस समय एक दिलचस्प स्थिति है. ऐसा पहली बार है जब गांधी परिवार के तीन सदस्य कांग्रेस में तीन सबसे प्रभावशाली भूमिकाओं में हैं और ठीक उसी वक्त पार्टी सबसे कमजोर हालत में है. अभी तक कहा जाता था कि गांधी परिवार एक गोंद की तरह कांग्रेस को जोड़े रखता है क्योंकि इसका करिश्मा चुनाव में वोट दिलवाता है. लेकिन साफ है कि वह करिश्मा अब काम नहीं कर रहा. पवन के वर्मा कहते हैं, ‘सच ये है कि पार्टी एक ऐसे परिवार की बंधक बनी हुई है जो दो आम चुनावों में इसका खाता 44 से सिर्फ 52 तक पहुंचा सका.’ उनके मुताबिक कांग्रेस को नेतृत्व से लेकर संगठन तक बुनियादी बदलाव की जरूरत है और तभी वह एक ऐसा विश्वसनीय विपक्ष बन सकती है जिसकी लोकतंत्र को जरूरत होती है.
दबी जुबान में ही सही, कांग्रेस के भीतर से भी इस तरह के सुर सुनाई दे रहे हैं. कुछ समय पहले पार्टी नेता संदीप दीक्षित का कहना था कि ‘महीनों बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं कर सके. वजह ये है कि वे डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे.’ पूर्व सांसद ने यह भी कहा कि कांग्रेस के पास नेताओं की कमी नहीं है और अब भी कांग्रेस में कम से कम छह से आठ नेता हैं जो अध्यक्ष बनकर पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं. उनके इस बयान का पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी खुला समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देश भर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं.’ शशि थरूर का आगे कहना था, ‘मैं कांग्रेस कार्यसमिति से फिर आग्रह करता हूं कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व का चुनाव कराया जाए.’
लेकिन अध्यक्ष पद के लिए चुनाव एक ऐसी बात है जो कांग्रेस में अपवाद और अनोखी बात रही है. आखिर बार ऐसा 2001 में हुआ था जब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए थे और महज एक फीसदी वोट हासिल कर सके थे. उससे पहले 1997 में कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था जिसमें सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को हराया था. और इससे पहले चुनाव की नौबत 1950 में तब आई थी जब जवाहरलाल नेहरू की नापसंदगी के बाद भी पुरुषोत्तम दास टंडन को ज्यादा वोट मिले थे और वे कांग्रेस के मुखिया बन गए थे. बाकी सभी मौकों पर पार्टी अध्यक्ष का चुनाव बंद कमरों में होता रहा है.
कांग्रेस के कई नेताओं के अलावा कुछ विश्लेषक भी मानते हैं कि किसी नए चेहरे का लोकतांत्रिक रूप से चुनाव ही भारत की सबसे पुरानी पार्टी को नया रूप देने का सबसे सही तरीका हो सकता है. अपने एक लेख में रामचंद्र गुहा कहते हैं कि इससे भी आगे बढ़कर वह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है जो अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी अपनाती है और जो कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक है. वे लिखते हैं, ‘पार्टी सदस्यों तक सीमित रहने वाले चुनाव से पहले टेलीविजन पर बहसें और टाउन हॉल जैसे आयोजन हो सकते हैं जिनमें उम्मीदवार अपने नजरिये और नेतृत्व की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करें. आखिर कांग्रेस इस बारे में क्यों नहीं सोचती?’
रामचंद्र गुहा का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव उन लोगों के लिए भी खुला होना चाहिए जो कभी कांग्रेस में थे, लेकिन उसे छोड़कर चले गए. उदाहरण के लिए ममता बनर्जी. इस चर्चित इतिहासकार के मुताबिक ऐसे लोगों को भी उम्मीदवारी पेश करने की छूट दी जा सकती है जो कभी कांग्रेस पार्टी के सदस्य नहीं रहे. वे लिखते हैं, ‘मसलन कोई सफल उद्यमी या करिश्माई सामाजिक कार्यकर्ता भी दावेदार हो सकता है जिससे चुनाव कहीं ज्यादा दिलचस्प हो जाएगा.’ उनके मुताबिक उम्मीदवारों को साक्षात्कार-भाषण देने और व्यक्तिगत घोषणा पत्र जारी करने की छूट होनी चाहिए. रामचंद्र गुहा मानते हैं कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव इतना लोकतांत्रिक और पारदर्शी हो जाए तो तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस जैसी वे पार्टियां उसके साथ आ सकती हैं जिनके नेताओं के बारे में माना जाता है कि वे सिर्फ इसलिए कांग्रेस छोड़कर चले गए कि उन्हें एक हद से आगे नहीं बढ़ने दिया गया.
कई और विश्लेषक भी मानते हैं कि कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पा रही कि नेहरू गांधी परिवार को लेकर उसकी जो श्रद्धा है, वही उसके उद्धार की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. अपने एक लेख में राशिद किदवई कहते हैं, ‘जो नए मतदाता हैं या जिसे हम न्यू इंडिया कहते हैं, वे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से ऊब चुके हैं. वे एक ही परिवार से हटना चाह रहे हैं.’ उनके मुताबिक जिस दिन कांग्रेस को यह समझ में आ जाएगा कि वह नेहरू-गांधी परिवार का इस्तेमाल भले करे, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व किसी और को दे दे, उसी दिन से कांग्रेस में बदलाव शुरू हो जाएगा.’
सवाल उठता है कि क्या ऐसा होगा? अभी तो अध्यक्ष पद छोड़ने के बावजूद कांग्रेस के केंद्र में राहुल गांधी ही दिख रहे हैं. पार्टी से जुड़ी ज्यादातर बड़ी सुर्खियां उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस या ट्वीट पर ही केंद्रित होती हैं. अंदरखाने से आ रही खबरों के मुताबिक कांग्रेस के कई नेता इससे फिक्रमंद हैं. उनकी शिकायत है कि रणनीति तो राहुल गांधी अपने हिसाब से तय कर रहे हैं, लेकिन इस रण को लड़ने वाले संगठन से जुड़ी शिकायतों पर वे यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि वे अब पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं.
यानी फिलहाल तो मामला वही ढाक के तीन पात जैसा है.
साभार: विकास बहुगुणा
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/capture.png252737Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 05:20:462020-07-29 05:22:39कॉंग्रेस की मौजूदा स्थिति ‘औरों को नसीहत खुद मियां फजीहत’
29 जुलाई 2020: अपने परिवार के हितों के ख़िलाफ़ काम न करें. मुमकिन है कि आप उनके नज़रिए से सहमत न हों, लेकिन निश्चित तौर पर आपके काम बड़ी परेशानी खड़ी कर सकते हैं. आपको अपनी योजनाओं को इस तरह से अमली जामा पहनाना चाहिए, जिससे वह दूसरों के लिए राह दिखाने का काम करे. रियल एस्टेट और वित्तीय लेन-देन के लिए अच्छा दिन है. आपको अपनी भावनाओं को नियन्त्रित करने में कठिनाई होगी, लेकिन आस-पास के लोगों से झगड़ा न करें नहीं तो आप अकेले रह जाएंगे. दोस्ती में प्रगाढ़ता के चलते रोमांस का फूल खिल सकता है. व्यावसायिक साझीदार सहयोग करेंगे और आप साथ मिलकर टलते आ रहे कामों को पूरा कर सकते हैं. आज कुछ ऐसा दिन है जब चीजें उस तरह नहीं होंगी, जैसी आप चाहते हैं. ज़्यादा ख़र्चे की वजह से जीवनसाथी से खट-पट हो सकती है. टीवी पर फ़िल्म देखना और अपने नज़दीकी लोगों के साथ गप्पें मारना – इससे बेहतर और क्या हो सकता है? अगर आप थोड़ी कोशिश करें तो आपका दिन कुछ इसी तरह गुज़रेगा.
29 जुलाई 2020: आपका प्रबल आत्मविश्वास और आज के दिन का आसान कामकाज मिलकर आपको आराम के लिए काफ़ी वक़्त देंगे. कोई बड़ी योजनाओं और विचारों के ज़रिए आपका ध्यान आकर्षित कर सकता है. किसी भी तरह का निवेश करने से पहले उस व्यक्ति के बारे में भली-भांति जांच-पड़ताल कर लें. बहन की शादी की ख़बर आपके लिए ख़ुशी का सबब लेकर आएगी. हालांकि उससे दूर होने का ख़याल आपको उदास भी कर सकता है. लेकिन आपको भविष्य के बारे में सोचना छोड़ वर्तमान का पूरा आनंद लेना चाहिए. अपने प्रेम-प्रसंग के बारे में इधर-उधर ज़्यादा बातें न करें. ज़रूरत के वक़्त तेज़ी और होशियारी से काम करने की आपकी क्षमता आपको लोगों की प्रशंसा की पात्र बना देगी. यह शादीशुदा ज़िन्दगी के सबसे ख़ास दिनों में से एक है. आपको प्रेम की गहराई का अनुभव करेंगे.
29 जुलाई 2020: डर आपकी ख़ुशी को बर्बाद कर सकता है. आपको समझना चाहिए कि यह आपके अपने ख़यालों और कल्पनाओं से पैदा हुआ है. डर सहजता को ख़त्म कर देता है. इसलिए इसे शुरुआत में ही कुचल दें, ताकि यह आपको कायर न बना सके. पैसे कमाने के नए मौक़े मुनाफ़ा देंगे. दोस्त मददगार और सहयोगी रहेंगे. ख़ुद को किसी भी ग़लत और ग़ैर-ज़रूरी चीज़ से दूर रखें, क्योंकि आप उसकी वजह से मुश्किल में फंस सकते हैं. नई चीज़ों को सीखने की आपकी ललक क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. आज का दिन आपके लिए बहुत अच्छा नहीं रहेगा क्योंकि कई मामलों में आपसी असहमति रह सकती है; और इससे आपके रिश्ते कमजोर होंगे. अनुशासन सफलता की अहम सीढ़ी होती है. घर के सामान को व्यवस्थित ढंग से लगाने से जीवन में अनुशासन की शुरुआत कर सकते हैं.
29 जुलाई 2020: आपका तनाव काफ़ी हद तक ख़त्म हो सकता है. अगर आप आय में वृद्धि के स्रोत खोज रहे हैं, तो सुरक्षित आर्थिक परियोजनाओं में निवेश करें. पारिवारिक परेशानियों को हल करने में आपका बच्चों जैसा मासूम बर्ताव अहम किरदार अदा करेगा. आपको अपनी रसिक कल्पनाओं पर अधिक ग़ौर करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि संभव है कि वे आज सच हो जाएं. अपनी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए नयी तकनीकों का सहारा लें. आपकी शैली और काम करने का नया अन्दाज़ उन लोगों में दिलचस्पी पैदा करेगा, जो आप पर नज़दीकी से ग़ौर करते हैं. जल्दबाज़ी में फ़ैसले न करें, ताकि ज़िन्दगी में आगे आपको पछताना न पड़े. जीवनसाथी से बहुत ज़्यादा उम्मीदें रखना आपको वैवाहिक जीवन में उदासी की तरफ़ ले जा सकता है.
29 जुलाई 2020: क्षणिक ग़ुस्सा विवाद और दुर्भावना की वजह बन सकता है. हालांकि धन आपकी मुट्ठियों से आसानी से सरक जाएगा, लेकिन आपके अच्छे सितारे तंगी नहीं आने देंगे. आपके प्रिय के साथ कुछ मतभेद उभर सकते हैं- साथ ही अपने साथी को अपना नज़रिया समझाने में भी तकलीफ़ महसूस होगी. अपने चारों ओर होने वाली गतिविधियों का ध्यान रखें, क्योंकि आपके काम का श्रेय कोई दूसरा ले सकता है. छुपे हुए दुश्मन आपके बारे में अफ़वाहें फैलाने के लिए अधीर होंगे. आपका जीवनसाथी आप पर शक कर सकता है, जिसके चलते आपका दिन उतना अच्छा नहीं रहेगा. टीवी पर फ़िल्म देखना और अपने नज़दीकी लोगों के साथ गप्पें मारना – इससे बेहतर और क्या हो सकता है? अगर आप थोड़ी कोशिश करें तो आपका दिन कुछ इसी तरह गुज़रेगा.
29 जुलाई 2020: स्वास्थ्य के लिहाज़ से बहुत अच्छा दिन है. आपकी ख़ुशमिज़ाजी ही आपके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी करेगी. प्राप्त हुआ धन आपकी उम्मीद के मुताबिक़ नहीं होगा. बच्चों से असहमति के चलते वाद-विवाद हो सकता है और यह झुंझलाहट भरा साबित होगा. काम के दबाव के चलते मानसिक उथल-पुथल और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. दिन के उत्तरार्ध में ज़्यादा तनाव न लें और आराम करें. साझीदारी की परियोजनाएं सकारात्मक परिणाम से ज़्यादा परेशानियां देंगी. कोई आपका बेजा फ़ायदा उठा सकता है और उसे ऐसा करने देने के लिए आप ख़ुद से ही नाराज़ हो सकते हैं. वैवाहिक जीवन के लिहाज़़ से यह बढ़िया दिन है. घर में ही साथ में एक अच्छी शाम गुज़ारने की योजना बनाएं.
29 जुलाई 2020: आज आप उम्मीदों की जादुई दुनिया में हैं. मनोरंजन और सौन्दर्य में इज़ाफ़े पर ज़रुरत से ज़्यादा वक़्त न ख़र्च करें. लोगों और उनके इरादों के बारे में जल्दबाज़ी में फ़ैसला न लें. हो सकता है कि वे दबाव में हों और उन्हें आपकी सहानुभूति व विश्वास की ज़रूरत हो. अचानक हुई रोमांटिक मुलाक़ात आपके लिए उलझन पैदा कर सकती है. साझेदारी में किए गए काम आख़िरकार फ़ायदेमंद साबित होंगे, लेकिन आपको अपने भागीदारों से काफ़ी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. जीवनसाथी की वजह से आपकी कोई योजना या कार्य गड़बड़ हो सकता है; लेकिन धैर्य बनाए रखें. सारा दिन बर्तन मांजने और कपड़े धोने जैसे घरेलू कामों में बिताना वाक़ई बोझिल कर देता है. इसलिए दिन का बेहतर उपयोग करने की योजना बनाएं.
29 जुलाई 2020: चोट से बचने के लिए सावधानी से बैठें. साथ ही सही तरीक़े से कमर सीधी करके बैठना न केवल व्यक्तित्व में सुधार लाता है, बल्कि सेहत और आत्म-विश्वास के स्तर को भी ऊपर ले जाता है. निवेश से जुड़े अहम फ़ैसले किसी और दिन के लिए छोड़ देने चाहिए. आपके परिवार वाले किसी छोटी-सी बात को लेकर राई का पहाड़ बना सकते हैं. आप प्रेम की आग में धीरे-धीरे ही सही, लेकिन लगातार जलते रहेंगे. कामकाज के नज़रिए से आज का दिन वाक़ई सुचारू रूप से चलेगा. अगर आप जीवनसाथी के अलावा किसी और को अपने ऊपर असर डालने का मौक़ा दे रहे हैं, तो जीवनसाथी की ओर से आपको नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलना संभव है. आपको महसूस हो सकता है कि आप अपना दिन बर्बाद कर रहे हैं. इसलिए अपने दिन की योजना बेहतर तरीक़े से बनाएं.
29 जुलाई 2020: कोई बेहतरीन नया विचार आपको आर्थिक तौर पर फ़ायदा दिलायेगा. जब निवेश करने का सवाल आपके सामने हो, तो स्वतन्त्र बनें और अपने फ़ैसले ख़ुद लें. किसी की दख़लअंदाज़ी के चलते आपके और आपके प्रिय के रिश्ते में दूरियां आ सकती हैं. कामकाज में थोड़ी मुश्किल के बाद आपको दिन में कुछ अच्छा देखने को मिल सकता है. अगर आप अपनी चीज़ों का ध्यान नहीं रखेंगे, तो उनके खोने या चोरी होने की संभावना है. आपके प्रिय का एक अप्रत्याशित सकारात्मक कार्य, विवाह को लेकर आपकी धारणा को बदल सकता है. समय मुफ़्त ज़रूर है पर बेशक़ीमती भी है, इसलिए अपने अधूरे कार्यों को निपटाकर आप आने वाले कल के लिए निश्चिंत हो सकते हैं.
29 जुलाई 2020: काम का बोझ आज कुछ तनाव और खीज की वजह बन सकता है. निवेश के लिए अच्छा दिन है, लेकिन उचित सलाह से ही निवेश करें. नवजात शिशु की ख़राब तबियत परेशानी का सबब बन सकती है. इस ओर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है. डॉक्टर से भली-भांति सलाह लें, क्योंकि ज़रा-सी लापरवाही बीमारी को बद से बदतर बना सकती है. रोमांस आनन्ददायी और काफ़ी रोमांचक रहेगा. नई चीज़ों को सीखने की आपकी ललक क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. आपके हंसने-हंसाने का अन्दाज़ आपकी सबसे बड़ी पूंजी साबित होगा. आपका जीवनसाथी आपको प्यार का एहसास देना चाहता है, उसकी मदद करें.
29 जुलाई 2020: मनोरंजन और सौन्दर्य में इज़ाफ़े पर ज़रुरत से ज़्यादा वक़्त न ख़र्च करें. कुछ लोग जितना कर सकते हैं, उससे कई ज़्यादा करने का वादा कर देते हैं. ऐसे लोगों को भूल जाएं जो सिर्फ़ गाल बजाना जानते हैं और कोई परिणाम नहीं देते. ख़ुशी के लिए नए संबंध की प्रतीक्षा करें. आज के दिन आप कार्यक्षेत्र में कुछ बढ़िया कर सकते हैं. जब आपसे राय पूछी जाए तो संकोच न करें- क्योंकि इसके लिए आपकी काफ़ी तारीफ़ होगी. अपने जीवनसाथी के स्नहे से भीगकर आप ख़ुद को राजसी महसूस कर सकते हैं.
29 जुलाई 2020: आप जो शारीरिक बदलाव आज करेंगे, वे निश्चित तौर पर आपके रूप-रंग को आकर्षक बनाएगा. आज के दिन आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है- मुमकिन है कि आप ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च करें या आपका बटुआ खो भी सकता है- ऐसे मामलों में सावधानी की कमी आपको नुक़सान पहुंचा सकती है. अपना अतिरिक्त समय निःस्वार्थ सेवा में लगाएं. यह आपको और आपके परिवार को ख़ुशी और दिली सुकून देगा. आज प्रेम-संबंधों में अपने स्वतन्त्र विवेक का इस्तेमाल कीजिए. सहकर्मियों के सहयोग से आप मुश्किल दौर से जल्द ही निकल जाएंगे. यह आपको कार्यक्षेत्र में बढ़त बनाने में मददगार साबित होगा. आज आपको अपने जीवनसाथी का दैवीय पक्ष देखने को मिल सकता है. अगर आप अपने दिन को ज़रा बेहतर व्यवस्थित करें, तो अपने खाली समय का पूरा सदुपयोग कर काफ़ी काम कर सकते हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/06/DANIK-Rashifal-TODAY-HOROSCOPE.jpg369368Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 02:23:072020-07-29 02:23:53राशिफल 29 जुलाई 2020
आज 29 जुलाई को हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है. आज बुधवार है. आज का दिन विघ्नहर्ता गणेश भगवान को समर्पित माना जाता है. गणेश भगवान ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं. गणेश भगवान को बाधाओं और संकटों का नाश करने वाला भी माना जाता है. गणेश भगवान शिव जी के छोटे पुत्र हैं.
विक्रमीसंवत्ः 2077,
शकसंवत्ः 1942,
मासः श्रावण़़,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः दशमी रात्रि 01.17 तक है,
वारः बुधवार,
नक्षत्रः विशाखा प्रातः 08.43 तक,
योगः शुक्ल अपराह्न 03.34 तक,
करणः तैतिल,
सूर्यराशिः कर्क,
चंद्रराशिः वृश्चिक,
राहुकालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 05.44,
सूर्यास्तः 07.10 बजे।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/06/panchang1.jpg536728Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-29 02:02:012020-07-29 02:03:54पंचांग 29 जुलाई 2020
गुजरे जमाने की फेमस अदाकारा कुमकुम (Kumkum) का निधन हो गया है. वह 86 साल की थीं. बताया जा रहा है कि कुमकुम लंबे समय से बीमार चल रही थीं जिसके चलते उनके निधन हो गया. इस खबर के आने के बाद से बॉलीवुड में शोक की लहर है. उनके निधन पर मशहूर एक्टर जगदीप के बेटे नावेद जाफरी ने ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, ‘हमनें एक और रत्न खो दिया. मैं बचपन से इन्हें जानता था. वह हमारे लिए परिवार थीं. एक अच्छी इंसान. भगवान आपकी आत्मा को शांति दे, कुमकुम आंटी.’
बॉलीवुड डायरेक्टर अनिल शर्मा ने भी उनके निधन पर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, ‘कल की खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेत्री. जिन्होंने कई सुपरहिट फिल्में दीं, जिन्होंने बेहतरीन गाने दिए, आज उनका निधन हो गया, भगवान उनकी आत्मा को शांति दे, मेरी हार्दिक संवेदना. उनके परिवार के लिए प्रार्थना करें.’
अभिनेत्री कुमकुम ने अपने करियर में लगभग 115 फिल्मों में काम किया. उन्हें मिस्टर एक्स इन बॉम्बे (1964), ‘मदर इंडिया’ (1957), ‘सन ऑफ इंडिया’ (1962), ‘कोहिनूर’ (1960), ‘उजाला’, ‘नया दौर’, ‘श्रीमान फंटूश’, ‘एक सपेरा एक लुटेरा’ में शानदार अभिनय के लिए जाना जाता है. वह अपने दौर के कई स्टार्स के संग काम कर चुकी थीं, जिनमें किशोर कुमार और गुरु दत्त का भी नाम शामिल है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/kumkum-1.jpg341512Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-28 16:00:072020-07-28 16:02:06गुजरे जमाने की मशहूर अदाकारा कुमकुम का निधन वह 86 वर्ष की थीं
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