राजस्थान में सियासी संग्राम जारी है. बहुजन समाज पार्टी विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका लगाई है. इस मामले में बुधवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा बीएसपी विधायकों का विलय पूरी तरह अमान्य है. ये नियम के खिलाफ है. बीएसपी एक राष्ट्रीय पार्टी है, उसका राज्य स्तर पर विलय कैसे मंजूर? वहीं, कोर्ट ने साल्वे से पूछा कि आपकी याचिका तकनीकी आधार पर 28 जुलाई को खारिज हुई है. केस में अभी कोई मेरिट नहीं है.
जयपुर(ब्यूरो) – 30 जुलाई :
राजस्थान में मचे सियासी कोहराम में रोजाना एक नया रंग दिख रहा है. गहलोत सरकार को संकट से उबारने के लिए बीएसपी के विधायकों ने मोर्चा संभाला और कांग्रेस में विलय की घोषणा कर दी. 6 विधायकों की इस घोषणा के बाद, सबसे बड़ी चोट भले ही बीएसपी को लगी हो, लेकिन दर्द बीजेपी को भी हुआ. हाईकोर्ट ने सभी बीएसपी विधायकों और स्पीकर को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 11 अगस्त तक का समय दिया है.
यही वजह है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक मदन दिलावर ने इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायक मदन दिलावर की याचिका को स्वीकार करते हुए कांग्रेस में विलय करने वाले बीएसपी के 6 विधायक और विधानसभा अध्यक्ष (Speaker) को नोटिस जारी किया है. उल्लेखनीय है कि बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं.
बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने अपनी याचिका में बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय को असंवैधानिक बताते हुए स्पीकर के आदेश को रद्द करने की मांग की थी. भाजपा विधायक की याचिका पर बुधवार को जस्टिस महेंद्र गोयल की पीठ में सुनवाई हुई. जिसमें बाद, कोर्ट ने कांग्रेस में विलय करने वाले बीएसपी सभी छह विधायकों और राजस्थान विधानसभा के अघ्यक्ष को नोटिस जारी किया है.
एक बार कोर्ट से रद्द हो चुकी है बीजेपी विधायक की याचिका
बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर यह दूसरी याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की है. इससे पहले, जस्टिस महेंद्र गोयल की अदालत ने सोमवार को विधायक मदन दिलावर की एक याचिका को खारिज कर दिया था. उसके बाद, उन्होंने अधिवक्ता आशीष शर्मा के जरिए दो नई याचिका नए सिरे से दाखिल की थीं. इन याचिकाओं में बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय और 22 जुलाई के स्पीकर सीपी जोशी के आदेश को चुनौती दी गयी है.