मध्य प्रदेश में कॉंग्रेस को फिर लगा बड़ा झटका एक और विधायक ने थामा कमल
- मध्य प्रदेश में कांग्रेस को फिर बड़ा झटका लगा
- मांधाता से विधायक नारायण पटेल का इस्तीफा
मध्यप्रदेश में कांग्रेस को एक और झटका लगा है। मंधाता से कांग्रेस विधायक नारायण पटेल ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा को अपना त्याग-पत्र सौंपा, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
भोपाल – 23 जुलाई 2020:
मध्य प्रदेश की सियासत में कांग्रेस के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं. 12 दिनों के अंदर पार्टी के तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. खंडवा जिले की मांधाता विधानसभा से कांग्रेस विधायक नारायण पटेल ने इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने स्वीकार कर लिया है.
पार्टी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात की। इसके बाद शाम को उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। इस मौके पर पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा, शिवराज सिंह और अन्य नेता मौजूद थे। मीडिया से बातचीत में पटेल ने कहा कि वे क्षेत्र के विकास के लिए भाजपा में शामिल हुए हैं।
इससे पहले कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न लोधी और सावित्री देवी कासडेकर ने भी इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. सावित्री देवी के इस्तीफे के बाद परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा था कि अभी और विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ेंगे. वहीं, इस्तीफा देने के बाद नारायण पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की.
बता दें कि मध्य प्रदेश में 10 मार्च को कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का हाथ थाम लिया था और तत्कालीन कमलनाथ सरकार को अल्पमत में लाकर आखिरकार गिरा दिया था.
इसके बाद 12 जुलाई को बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी और 17 जुलाई को नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कसडेकर ने भी इस्तीफा दे दिया था. 23 जुलाई को मांधाता विधायक ने भी कांग्रेस से दूरी बना ली.
इस तरह मार्च से अब तक पार्टी से इस्तीफा देने वालों की संख्या अब 25 हो गई है. अब इस इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है.
इन इस्तीफों के बाद कांग्रेस के अब 89 विधायक हैं, जबकि 230 सदस्यीय सदन में बीजेपी के 107 विधायक हैं. अन्य और निर्दलीय 7 विधायक हैं जबकि 27 सीटें खाली पड़ी हैं. जिन 27 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, उनमें से दो सीट विधायकों की मृत्यु के कारण खाली हुईं जबकि 25 अन्य ने खुद ही अपनी सदस्यता छोड़ दी है.
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