कॉंग्रेस का असली चेहरा आया सामने, उदित राज ने जनेयु धारी सूअर से कि ब्राह्मण समाज कि तुलना
वैसे तो कॉंग्रेस और हिन्दू विरोध समानार्थक शब्द हैं फिर भी कभी कभी यह भ्रम होने लगता हा की कॉंग्रेस धर्म निरपेक्ष है। हालांकि यह शब्द इनहि की देन है फिर भी इन्हे तुष्टीकरण खासतौर से मुसलिम तुष्टीकरण के लिए जाना जाता है। आज़ादी के बाद से आज तक कॉंग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की ही नीति से सत्ता में काबिज होती आई है। सोनिया गांधी के कॉंग्रेस अध्यक्षा बनने के बाद केंद्र बिन्दु में ईसाई मिशनरी आ गए। धर्मांतरण का खेल खुल ए आम खेला जाने लगा लें हिन्दू विरोध जारी रहा। हिन्द तो मात्र वोट बैंक हैं जिनहे चुनावों के समय जातियों में बाँट कर जातिगत समीकरणों द्वारा वोट झटक लिए जाते हैं। अब मुद्दे की बात पर आते हैं कांग्रेस नेता उदित राज का हिन्द विरोध उस समय खुल कर सामने आया जब उदित ने एक सूअर की त्रिपुंड लगाए और जनेयु धरण किए का चित्र लगा कर खुले तौर पर ब्राह्मणों के खिलाफ प्रचार कर उनकी भावनाओं को आहत करने का काम किया है। उदित राज को आगे रख कर कॉंग्रेस जहाँ एक तरफ ब्राह्मणों की तुलना सूअरों से कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह दावा भी कर रही है कि भारतीय न्यायपालिका में केवल ब्राह्मण शामिल हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि चुनावों के दौरान जनेयु धारण कर फिरोज शाह के पौत्र स्वयं को दत्तात्रेय गोत्र का ब्राह्मण बता रहे थे क्या उदित राज उस चुनावी ब्राह्मण को भी इसी वर्ग में रहते हैं ?
सारिका तिवारी, चंडीगढ़ – 10 जुलाई :
देश के दलितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली अखिल भारतीय परिसंघ ने शुक्रवार (10 जुलाई, 2020) को एक नया विवाद खड़ा कर दिया। जहाँ परिसंघ ने न केवल ब्राह्मणो के खिलाफ घृणित टिप्पणी की बल्कि उनकी तुलना सूअर से कर डाली। इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में देश की न्यायपालिका के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी की।
खुद को दलितों का मसीहा बताने वाले इस संगठन का संचालन कॉन्ग्रेस नेता उदित राज करते है। जो अक्सर ब्राह्मणों को निशाना बनाने के लिए उनके खिलाफ अपमानजनक जातिवादी टिप्पणियाँ करते रहते है। इस बार उन्होंने ब्राह्मणों के प्रति अपना विरोध दर्ज कराने के लिए अपने इस ट्वीट में सूअर की एक तस्वीर पोस्ट की है। जिसमें सुअर को हिन्दू रीती रिवाजों में प्रयोग में लाए जाने वाले चंदन का टीका लगाया गया व जनेऊ भी पहनाया गया है।
कॉन्ग्रेस नेता उदित राज का यह परिसंघ खुले तौर पर ब्राह्मणों के खिलाफ प्रचार कर उनकी भावनाओं को आहत करने का काम कर रही है। जहाँ एक तरफ उनकी तुलना सूअरों से कर रही, वहीं दूसरी ओर यह दावा भी कर रही है कि भारतीय न्यायपालिका में केवल ब्राह्मण शामिल हैं।
देश की न्यायपालिका के प्रति अपना तिरस्कार व्यक्त करते हुए, दलित संगठन ने दावा किया कि भारतीय न्यायालयों में ब्राह्मण न्यायाधीश केवल अपने समुदाय के लोगों की सिफारिश करते है। जिन्हें उसके बाद ब्राह्मणों के तीसरे समूह द्वारा न्यायाधीश के रूप में चुन लिया जाता है।
इस परिसंघ की यह टिप्पणी न केवल देश के ब्राह्मणों के अपमान के लिए थी, बल्कि इसने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी हमला किया है। जातिगत राजनीति करने की जल्दबाजी में कॉन्ग्रेस सदस्य उदित राज द्वारा चलाए जा रहे इस दलित संगठन ने ऊँची जाति के लोगों को ‘सूअर’ के रूप में संदर्भित करने के लिए शर्मनाक तरीका अपनाया है।
कॉन्ग्रेसी उदित राज के संगठन की ब्राह्मण विरोधी बयानबाजी कोई नई घटना नहीं है। पिछले महीने, रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी ने पालघर साधु लिंचिंग मामले को लेकर सोनिया गाँधी की चुप्पी पर सवाल किया था। जिसके बाद अखिल भारतीय परिसंघ कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष के समर्थन में उतर आई थी। और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ जातिगत टिप्पणी की थी।
आल इंडिया परिसंघ ने ट्विटर के जरिए कहा था कि, “इतना नीचे कोई ब्राह्मण ही गिर सकता है, जितना अर्नब गोस्वामी गिरा हैं।” वहीं जातिवादी बयानों के बाद, कॉन्ग्रेस प्रवक्ता उदित राज के खिलाफ ब्राह्मणों ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था।
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