पहला राहत पैकेज प्रधानमंत्री के ‘जान’ के साथ ‘जहान’ सुरक्षित बनाने के वायदे पर खऱा नहीं उतरा: कैप्टन आमरिंदर सिंह

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा प्रवासी मज़दूरों के लिए कोई राहत न एलान किए जाने पर निराशा ज़ाहिर की

चंडीगढ़, 13 मई: (राकेश शाह)

लॉकडाउन के कारण पैदा हुए मानवीय संकट को हल करने में केंद्र सरकार की नाकामी पर निराशा ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा आज एलाने गए पहले आर्थिक पैकेज में असंगठित क्षेत्र में तुरंत दख़ल देने के लिए सबसे अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी।

निर्मला सीतारमन द्वारा आज किए गए एलानों पर पहली प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि वित्त मंत्री ने मौजूदा संकट के कारण अभूतपूर्व समस्याओं से जूझ रहे लाखों प्रवासी मज़दूरों की तत्काल आवश्यकताओं के साथ सूक्ष्म, छोटे और मध्यमवर्गीय उद्योगों, एन.बी.एफ.सी. और हाऊसिंग सैकटरों की ज़रूरतों के दरमियान संतुलन कायम करने की तरफ ध्यान नहीं दिया।

प्रधानमंत्री द्वारा ‘जान’ के साथ ‘जहान’ को सुरक्षित बनाने पर दिए गए ज़ोर का हवाला देते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा मानवीय जि़न्दगियां सुरक्षित बनाने का इरादा नहीं दिखाया गया, जबकि इसके बिना जीवन निर्वाह नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सूक्ष्म, छोटे और मध्यमवर्गीय उद्योग, हाऊसिंग सैक्टर आदि को पहले बचाना होगा और इसके बाद पुनरूद्धार के पड़ाव पर पहुँचना है। यह उद्योग अपने कामगारों के बिना कैसे बचेंगे, जिनको भीड़ में छोड़ दिया गया और वह जल्द ही वापस लौटने के मूड में नहीं लगते?’’ उन्होंने केंद्र सरकार को मज़दूरों ख़ासकर असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों की दुख-तकलीफ़ों की तरफ ध्यान देने की अपील की, जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की तत्काल चुनौती से निपटा जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा एलान की गई राहत के प्रभाव और अमल संबंधी अभी और विश्लेषण की ज़रूरत होगी, परन्तु पहली नजऱ में सूक्ष्म, छोटे और मध्यमवर्गीय उद्योगों को संकट से निकालने के लिए अति-अपेक्षित पैकेज हासिल नहीं हुआ, बल्कि उसे कजऱ्े देने की पेशकश की जा रही है, जो उनको आखिऱ में कजऱ्े के और गहरे संकट में धकेल देगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहाँ तक कि स्वास्थ्य क्षेत्र में मौजूदा समय के संकटकालीन हालातों में काम कर रहे सूक्ष्म, छोटे और मध्यमवर्गीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कोई वित्तीय रियायत का एलान नहीं किया गया, जिसकी इन उद्योगों के लिए कोविड महामारी के साथ जंग के लिए बड़ी ज़रूरत थी। उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील हालातों में प्रमुखता को न विचारा जाना निराशाजनक है।

इस तरफ इशारा करते हुए कि पंजाब में 2.52 लाख औद्योगिक ईकाइयों में से केवल 1000 बड़े उद्योग हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि हालातों की गहराई को विचारते हुए केंद्र को एम.एस.एम.ई. उद्योगों को फिर कार्यशील करने के लिए बड़ा पैकेज सामने लाना चाहिए था। उन्होंने साथ ही कहा कि इन उद्योगों में फिर से काम चालू करने के साथ ही प्रवासी कामगार राज्य में काम के लिए वापस आएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहाँ तक कि बिजली क्षेत्र के लिए राहत उचित रूप में नहीं है। उन्होंने कहा कि पी.एफ.सी. और आर.ई.सी. संस्थाओं को राज्य द्वारा चलाए जा रहे पावर सैक्टर को वसूली के अनुपात के अनुसार कजऱ् देने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं, परन्तु ब्याज, जो प्रवृत्ति के अनुसार इन संस्थाओं द्वारा ली जाने वाली ब्याज दरों की अपेक्षा कम होता है, को बाज़ार के हिसाब से एकरूप रखने के लिए कोई निर्देश नहीं दिए गए।

उन्होंने कहा कि जहाँ तक वेतन पर गुज़ारा करने वाले मध्यम वर्ग का सम्बन्ध है, केवल आमदन कर दायर करने की तारीख़ आगे बढ़ाना और टी.डी.एस. को घटाने को कोई बड़ी राहत का कदम नहीं कहा जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि कर दाताओं के पिछले वर्ष के ख़ुद के पैसों को वापस करने को कैसे राहत का कदम कहा जा सकता है, यह समझ से बाहर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज किया गया एलान लंबे समय के लिए अर्थव्यवस्था को फिर से पैरों पर खड़ा करने के लिए लगता है और अर्थव्यवस्था के संवेदनशील क्षेत्रों की मौजूदा ज़रूरत के अनुसार वित्तीय सहायता के लिए कोई ध्यान केंद्रित नहीं किया गया।

मुख्यमंत्री ने आशा जताई कि केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा आने वाले दिनों में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के साथ-साथ देश को आगे ले जाने लिए गंभीर बेरोजग़ारी संकट के हल के लिए ठोस कदमों के एलान करने होंगे।

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