टीवी के माध्यम से पढ़ाई करने की पहल करने वाला हरियाणा पहला राज्य : कंवर पाल गुज्जर शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री चौधरी कवरपाल गुज्जर आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े प्रदेश के विद्यार्थियों से सोशल मीडिया के माध्यम से हुए रूबरू
मनोज त्यागी, करनाल – 10 मई:
हरियाणा के शिक्षा मंत्री चौधरी कंवर पाल गुज्जर ने बताया कि राज्य सरकार कोविड-19 के कारण बनी परिस्थितियों के दौरान अपने स्कूली विद्यार्थियों की पढ़ाई निरंतर बनाए रखने के लिए प्रयासरत है। इसमें जहां डी.टी.एच के पांच डिजीटल टी.वी पर पाठ्यक्रम का प्रसारण किया जा रहा है वहीं हरियाणा एजूसेट के चार चैनलों का प्रसारण प्रदेश के सभी केबल आपरेटरों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन सात घंटे का विषयवार व कक्षावार प्रसारण किया जा रहा है,वही पाठ्यक्रम उसी दिन फिर से प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा एन.सी.ई.आर.टी के माध्यम से स्वयंप्रभा चैनल पर भी स्कूल शिक्षा का प्रसारण किया जाता है। टी.वी के माध्यम से पढ़ाई करवाने की पहल करने वाला हरियाणा पहला राज्य है जहां सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को शिक्षा दी जा रही है।
शिक्षा मंत्री चौधरी कंवरपाल गुज्जर आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े प्रदेश के विद्यार्थियों से सोशल मीडिया के माध्यम रूबरू हुए। उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए बताया कि देश में कोरोना वायरस से पैदा हुई परिस्थितियों के कारण हरियाणा में अभी स्कूल बंद हैं। स्कूली विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसलिए हरियाणा सरकार ने विद्यार्थियों को ऑनलाइन तथा टी.वी के माध्यम से शिक्षा देने की प्रक्रिया शुरू की है। उन्होंने बताया कि वैसे तो एजूसेट के माध्यम से भी विद्यार्थियों को शिक्षा दी जा रही है, फिर जिस क्षेत्र में केबल टी.वी नहीं है उस क्षेत्र के विद्यार्थियों को डिजीटल सेवा प्रदाता कंपनियों डी.डी, एयरटेल, टाटा स्काई, वीडियोकोन, डिश टी.वी से पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा, एन.सी.ई.आर.टी के माध्यम से स्वयंप्रभा, पाणिनी, किशोर मंच व नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के अन्य चैनल पर भी स्कूली शिक्षा का प्रसारण किया जाता है।
शिक्षा मंत्री चौधरी कंवरपाल गुज्जर ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि कोविड-19 के कारण बच्चों के परीक्षा परिणामों में विशेष व्यवस्था की गई। पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा के पास किया गया। कक्षा ग्यारहवीं के वह विद्यार्थी जिनके पास गणित विषय था तथा उनका पेपर नहीं हो पाया, उनका बिना गणित के पेपर के परिणाम जारी किया। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की मूल्यांकन प्रक्रिया में बदलाव करके घर पर मूल्यांकन करने की व्यवस्था की गई है। दसवीं कक्षा के चार विषयों के आधार पर ही दसवीं का परिणाम जल्द ही जारी किया जाएगा। इसी प्रकार दस जमा दो कक्षा के सन्दर्भ में यह निर्णय लिया गया कि जितने पेपर हो चुके हैं उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन आरम्भ कर लिया जाए तथा परिणाम तैयार कर लिया जाए। बकाया पेपर को लेकर जब केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्तर पर निर्णय होगा उसी के अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा कार्यवाही की जाएगी।
कंवरपाल जी ने आगे बताया कि दसवीं कक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों को चार विषयों के आधार पर ही आई.टी.आई, होस्पिटलिटी, पोलिटैक्रीक एवं अन्य कोर्सां में दाखिला मिलेगा। विद्यार्थी साईंस स्ट्रीम में भी वैकल्पिक दाखिला ले सकेगा तथा उचित समय पर परीक्षा का आयोजन होने पर उसे साईंस विषय में पास होना अनिवार्य होगा। यदि विद्यार्थी दसवीं की साईंस की परीक्षा में फेल हो जाता है तो ग्यारहवीं कक्षा की बिना साईंस संकाय वाली पढ़ाई जारी रख सकेगा। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण अभिभावकों को फीस अदायगी में आ रही दिक्कतों के मद्देनजर विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों को कहा गया है कि स्कूल लॉकडाउन की अवधि में अभिभावकों को तीन महीने की अग्रिम फीस/शुल्क लेने के लिए बाध्य न करें, केवल मासिक फीस ली जाए तथा यातायात शुल्क न लिया जाए। फीस देने में असमर्थ अभिभावकों पर फीस देने का दबाव न बनाया जाए। फीस के अभाव में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित भी न किया जाए तथा उनका नाम न काटा जाए।
शिक्षा मंत्री चौधरी कंवरपाल गुज्जर ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आह्वान पर स्कूल शिक्षा विभाग हरियाणा के कर्मचारियों द्वारा अपने वेतन में से हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड में बढ़-चढ़ कर स्वैच्छिक अंशदान दिया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कुल कर्मचारियों में स्कूल शिक्षा विभाग की हिस्सेदारी 35.55 प्रतिशत है जबकि सरकारी कर्मचारियों द्वारा दिए गए कुल स्वैच्छिक अंशदान में अकेले स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 37 करोड़ रूपए से ज्यादा दिया गया है। कुछ कर्मचारियों द्वारा तो अपने वेतन का 100 प्रतिशत भी दान में दिया गया है।
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