हरियाणा में सरकारी नौकरी को लील गया “कोरोना”

सरकारी नौकरी का सपना टूटता नजर आ रहा है। यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने कहा कि भाजपा सरकार में नौकरियां वैसे ही कम हो रही है। इस पर सीएम का इस निर्णय से युवाओं को निराश कर दिया है। एक साल में ऐसे अनेक युवा होंगे जो नौकरी की उपरी उम्र सीमा भी पार का जायेंगे। उनका क्या होगा? क्या सरकार ने उनके बारे में भी सोचा है?

जगंशेर राणा, चंडीगढ़ :

यमुनानगर जिले के गांव कमालपुर टापू का बेरोजगार युवक संदीप दो साल से चंडीगढ़ में रह कर हरियाणा के स्टाफ सिलेक्शन कमिशन की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में उसने करीबन दो लाख रुपए खर्च कर दिये हैं। उसे उम्मीद थी कि इस बार वह परीक्षा को पास कर लेगा। लेकिन.. हरियाणा सरकार के एक निर्णय ने उसकी सारी उम्मीद पर पानी फेर दिया। सरकार ने ऐलान किया कि अगले एक साल तक भर्ती नहीं होगी। कोरोना को आधार बना कर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने बयान दिया कि एक साल तक सरकारी नौकरियों में भर्ती नहीं होगी। इस निर्णय से संदीप जैसे लाखों बेरोजगारों का रोजगार पाने का सपना तोड़ दिया है। यह युवक चंडीगढ़, दिल्ली और जैसे महंगी जगह पर उंची फीस जमा करा कर परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे।

हरियाणा के रोजगार पंजीकरण कार्यालयों में पांच लाख से ज्यादा बेरोजगार पंजीकृत है। अब इनका क्या होगा? सरकारी नौकरी का सपना टूटता नजर आ रहा है। यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने कहा कि भाजपा सरकार में नौकरियां वैसे ही कम हो रही है। इस पर सीएम का इस निर्णय से युवाओं को निराश कर दिया है। एक साल में ऐसे अनेक युवा होंगे जो नौकरी की उपरी उम्र सीमा भी पार का जायेंगे। उनका क्या होगा? क्या सरकार ने उनके बारे में भी सोचा है?

एडवोकेट राकेश ढुल ने कहा कि रोजगार के प्रति मनोहर सरकार की कोई नीति नहीं है। दिक्कत यह है कि उनका सहयोगी दल भी सीएम के निर्णयों पर चुप है। इस वजह से हालात ज्यादा खराब हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव से पहले जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने एक बयान देकर कहा था हरियाणा में बेरोजगारी की दर देश में सबसे ज्यादा है। छह सितंबर 2019 को दिये अपने बयान में उन्होंने दावा किया था कि हरियाणा में बेरोजगारी की दर 28.7 तक पहुंच गयी है।

अब वह हरियाणा सरकार में भाजपा के भागीदार है। उपमुख्यमंत्री के पद पर है। इसके बाद भी सरकार के निर्णय पर चुप है।

योगेंद्र यादव ने विधानसभा चुनाव से पहले एक चर्चा में बताया भाजपा के 2014 के विधानसभा चुनाव का घोषणा पत्र देखे तो इममें दो बड़े वायदे थे। पहला था सभी सरकारी और अर्ध सरकारी विभागों में नौकरियों का बैकलॉग भरा जाएगा। उन्होंने बताया कि सैंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी ने जनवरी 2019 से अप्रैल 2019 की बेरोजागरी की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया था कि देश में बेरोजगार की दर 6.9 है, लेकिन हरियाणा में 20.5 है। यह किसी भी अन्य बड़े राज्य से सबसे अधिक है। हरियाणा से अधिक बेरोजगारी की दर त्रिपुरा में हैं।

बेरोजगारी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2019 में हरियाणा में कुल 19 लाख बेरोजगार थे। इसमें 16.14 लाख दसवीं पास है। 3.88 लाख उच्च शिक्षा प्राप्त है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि हरियाणा का युवा पिछले काफी समय से लगातार पूरे देश में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी की मार झेल रहा है। कोरोना की मार पड़ने से पहले ही प्रदेश में बेरोज़गारी का आंकड़ा 28 फ़ीसदी की उच्च दर तक पहुंच चुका था। कोरोना के बाद ये आंकड़ा और बढ़ने की आशंका है। ऐसे में अगर सरकारी भर्तियां भी बंद हो गई, तो प्रदेश के युवा को रोज़गार कैसे मिलेगा?

नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि मौजूदा मुश्किल हालातों से उबरने के लिए युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोज़गार देने की ज़रूरत है। लेकिन, सरकार इसके उलट फ़ैसले ले रही है, जो हैरान करने वाले हैं। ऐसा फ़ैसला लेने से पहले सरकार को सोचना चाहिए कि जो युवा भर्ती के इंतज़ार में कई महीनों से तैयारी कर रहे हैं, जो युवा इस एक साल में ओवर एज हो जाएंगे, उनके भविष्य का क्या होगा।

नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं ने बताया कि सरकार के इस निर्णय ने उन्हें बेरोजगारी की दहलीज पर पटक दिया है। एक साल तक अब वह क्या करेंगे। उनके सामने कोई विकल्प नहीं है। सरकार ने तो उन्हें दैनिक वेतन भोगी मजदूर बना दिया है। अब सवाल यह है कि मौजूदा हालात में तो दैनिक वेतन भोगी मजदूरी भी शायह ही मिल पाये।

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