मुझे डर यह है कि महामारी के प्रकोप के बाद विश्व पहले की दुनिया की तरह बदतर हो जाएगा: जीन-यवेस ली ड्रियन

  1. हम वैसा ही सम्‍मान चाहते हैं, जैसा चीन चाहता है- फ्रांस के विदेश मंत्री
  2. अंतरराष्ट्रीय समन्‍वय में बढ़ती दरार को देख रहे हैं- फ्रांस के विदेश मंत्री
  3. फ्रांस के विदेश मंत्री ने कहा- यह संघर्ष विश्व शक्तियों के बीच के संतुलन के लिए एक खाई की तरह

चीन ने प्रकोप को लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी को छिपाने या इस वायरस के कारण हुई मौतों की संख्‍या के बारे में झूठ बोलने से इनकार किया है. उसने तो यहां तक कह दिया है कि हो सकता है कि अमेरिकी सेना ने इस महामारी की शुरुआत की हो. ऐसी स्थितियां लंबे समय तक चलने वाले व्यापार युद्ध की ओर भी इशारा करती हैं.

इस रस्साकशी के बीच यूरोप के लिए यह आवश्यक था कि वह अपना ‘नेतृत्व’ खोजे. वहीं चीन को यूरोपीय संघ का ‘सम्मान’ करना चाहिए, जो हमेशा ऐसा नहीं  करता है : फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ली ड्रियन

पेरिस: 

कोरोना वायरस की महामारी वैश्विक कूटनीति में ‘दरार’ डाल रहा है. ऐसा फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ली ड्रियन का कहना है. सोमवार को प्रकाशित हुए एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि यह वायरस अमेरिका-चीन की प्रतिद्वंद्विता को बढ़ा रहा है और ये बहुपक्षवाद को कमजोर कर रहा है.

ली ड्रियन ने मोंडे अखबार से कहा, “मुझे लगता है कि हम वर्षों से अंतरराष्ट्रीय समन्‍वय में बढ़ती दरार को देख रहे हैं. इस महामारी ने इसे जारी रखते हुए शक्तियों के बीच संघर्ष को और बढ़ाया है. मुझे डर यह है कि महामारी के प्रकोप के बाद विश्व पहले की दुनिया की तरह बदतर हो जाएगा.”  

चीन ने जिस तरह इस प्रकोप के प्रबंधन को लेकर रवैया अपनाया और उससे दुनियाभर में 1,64,000 से अधिक लोगों की जानें गई हैं, उसके बाद अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिम में चीन को लेकर आलोचना बढ़ रही है. इस महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है.

यह वायरस दिसंबर में चीनी शहर वुहान में पैदा हुआ और फिर दु‍निया में फैल गया. अमेरिका इस महामारी की चपेट में आने वाला ऐसा देश है, जहां संक्रमण के मामलों और मौतों की संख्‍या दुनिया में सबसे ज्‍यादा है.

हालांकि चीन ने प्रकोप को लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी को छिपाने या इस वायरस के कारण हुई मौतों की संख्‍या के बारे में झूठ बोलने से इनकार किया है. उसने तो यहां तक कह दिया है कि हो सकता है कि अमेरिकी सेना ने इस महामारी की शुरुआत की हो. ऐसी स्थितियां लंबे समय तक चलने वाले व्यापार युद्ध की ओर भी इशारा करती हैं.

पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली फंडिंग को रोकने की घोषणा की थी. साथ ही ट्रंप ने कहा कि यूएन की यह बॉडी बीजिंग के आगे झुक गई है.

ली ड्रियन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह कदम ‘बहुपक्षवाद के लिए एक और चुनौती’ था. ट्रंप के ऐसे रवैये के चलते अमेरिका पहले ही कई अंतरराष्ट्रीय निकायों और समझौतों से पीछे हट चुका है.

उन्होंने कहा कि यह संघर्ष विश्व शक्तियों के बीच के संतुलन के लिए एक खाई की तरह है. इसे हमने पहले ही मतलब महामारी से पहले चीनी-अमेरिकी प्रतिद्वंद्विता के साथ उभरते देखा था.

ली ड्रियन ने आगे कहा कि इस तरह अमेरिका का वैश्विक नेतृत्व की भूमिका से ‘पीछे हटना’ विभिन्न प्रमुख सवालों पर सामूहिक कार्रवाई में बाधा डाल रहा था और चीन को इस भू‍मिका के लिए दावा करने को प्रेरित कर रहा था.

उन्‍होंने कहा, इस रस्साकशी के बीच यूरोप के लिए यह आवश्यक था कि वह अपना ‘नेतृत्व’ खोजे. वहीं चीन को यूरोपीय संघ का ‘सम्मान’ करना चाहिए, जो हमेशा ऐसा नहीं  करता है.

ली ड्रियन बीजिंग पर इस मामले को लेकर भी बरसे. जिसमें बीजिंग ने फ्रांसीसी केयर होम्‍स के कर्मियों की यह कहकर छवि खराब करने की कोशिश की थी कि इन कर्मियों ने रातभर के लिए अपने पद पर काम करना छोड़ दिया था, जिससे कई बूढ़े लोगों की भूख और बीमारी से मृत्यु हो गई.

इन दावों पर स्‍पष्‍टीकरण देने के लिए चीनी राजदूत को बुलाया गया था. ली ड्रियन ने कहा, “हम वैसे ही सम्मान की उम्मीद करते हैं, जैसे चीन खुद सम्मान चाहता है.”

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