Tuesday, February 4

जब दक्षेस राष्ट्र विश्वव्यापी फैले हुए संक्रमण पर समाधान खोजने की बैठक हुई वहाँ भी पाकिस्तान कश्मीर राग अलापने से नहीं चूका, जमीनी हकीकत में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने इनकी कमाई के रास्ते बंद कर दिए हैं और इनके सामने भुखमरी जैसा संकट आ गया है.

कराची: 

पूरी दुनिया पर कहर बनकर टूटा कोरोना वायरस (Coronavirus) उन लोगों के लिए और भी तबाही लेकर आया है जो रोज कमाकर अपना जीवन चलाते हैं. लॉकडाउन (Lockdown) ने इनकी रोजी छीन ली है और इनके सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. पाकिस्तान (Pakistan) में हिंदू और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदाय ऐसे ही संकट से गुजर रहे हैं क्योंकि इनकी एक बड़ी आबादी मजदूर वर्ग से संबंध रखती है. इन अल्पसंख्यक समुदायों का एक बड़ा हिस्सा सिंध प्रांत में रहता है और इसकी राजधानी कराची पर अपनी रोजी-रोटी के लिए एक हद तक निर्भर रहता है.

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने इनकी कमाई के रास्ते बंद कर दिए हैं और इनके सामने भुखमरी जैसा संकट आ गया है. पाकिस्तान की इमरान सरकार भी इन लोगों को मदद पहुंचाने में नाकाम है. ऐसे में कराची की कुछ परोपकारी संस्थाएं और लोग सामने आए हैं जिन्होंने सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय की मदद के लिए चंदा इकट्ठा कर इन लोगों के घरों में खाने-पीने का सामान पहुंचाया है. 

ईसाई समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता जावेद मसीह ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा, “हम अपने मुस्लिम भाइयों के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने बिना कुछ बताए, खामोशी से हमारे घरों के दरवाजों पर खाने-पीने का सामान रख दिया. उन्होंने पूरी गोपनीयता बरती और ऐसा कर उन्होंने हमारे आत्मसम्मान को भी पूरा सम्मान दिया है.”

मसीह ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मेडिकल क्षेत्र से भी ताल्लुक रखते हैं और वे देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं.