खिसियानी बिल्ली बनी पार्टी ने इस्तीफा पेश कर देने के बाद ज्योतिरादित्य को निष्कासित किया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. वहीं पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते निष्काशित किया गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंधिया को उसका काला इतिहास याद दिला रहे हैं, ना दाँ हैं सिंधिया का काला इतिहास तो माधवराव के कांग्रेस में शामिल होने के पीछे ही छिपा हुआ है। अपनी ही न फजीहत कारवा लें। यह वही नेता हैं जो UPA सरकार में सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में से सिंधिया घराने का नाम हटवाने के लिए उतावले थे।
नई दिल्ली.
9 मार्च 2020 को दिये गए सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने 10 मार्च को निष्कासित कर दिया
मध्य प्रदेश में सोमवार शाम से शुरू हुआ सियासी उथलपुथल का ताज़ा दौर अब अपने मुकाम पर पहुंचता दिख रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) से नाराज़ चल रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiriaditya Scindia) ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजा जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया है. हालांकि पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते निष्कासित किया गया है.
केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है.
इससे पहले सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह अमित शाह से मुलाकात की. इसके साथ ही जब पीएम मोदी से सिंधिया की बैठक खत्म हुई तो वह, शाह की गाड़ी में ही बाहर निकले, तभी से उनके कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगने लगी थीं.
इसके साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं ने सिंधिया को ‘गद्दार’ बताना शुरू कर दिया. कांग्रेस नेता अरुण यादव ने कर कहा, ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा अपनाए गए चरित्र को लेकर मुझे ज़रा भी अफसोस नहीं है. सिंधिया खानदान ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी अंग्रेज हुकूमत और उनका साथ देने वाली विचारधारा की पंक्ति में खड़े होकर उनकी मदद की थी.’
माना जा रहा है कि सिंधिया आज अपने अगले कदम को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं. अगर वह कांग्रेस छोड़ने का फैसला करते हैं तो फिर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट गहरा जाएगा. राज्य में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और उसे चार निर्दलीय, बसपा के दो और समाजवादी पार्टी के एक विधायक का समर्थन हासिल है. भाजपा के 107 विधायक हैं.
सियासी संकट के बीच कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने सोमवार रात इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मंत्रिमंडल का नए सिरे से गठन किया जाएगा. सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों से सोमवार को बार बार प्रयास के बावजूद कोई संपर्क नहीं हो पाया. मध्य प्रदेश के घटनाक्रम के बीच, राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि मध्य प्रदेश में मौजूद संकट जल्द खत्म होगा और नेता मतभेदों को दूर लेंगे. लोगों से चुनावी वादे को पूरा करने के लिए राज्य को स्थिर सरकार की
सुमित कश्यप ने लिखा है- ‘माफ करें लेकिन इस बार गलती हमारी थी. हम एक साधारण समस्या हल नहीं कर सके. हम 3 नेताओं के अहंकार को रोक नहीं कर सके. कोई समाधान भी नहीं किया गया था. कुछ ऐलान हीं किया गया. कितनी देर तक हम सोचते रहेंगे कि समय के साथ समस्या खत्म हो जाएगी. कर्नाटक और एमपी, हम हार गए, बीजेपी नहीं जीती.’
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