मुन्नवर राणा की शायरी और परवरिश में इतना फर्क
उरुषा, शायर मुन्नावर राणा की लेखन और परवरिश के आपसी विरोध की जीती जागती मिसाल हैं। मंच पर खड़े हो कर जब मुन्नवर राणा गंगाजमुनी संस्कृति की बात करते हैं तो ऐसे ऐसे उदाहरण दे कर अपने शेर कहते हैं कि मुंह से बेसाख्ता वाह और आह निकल पड़ती है। जब राणा माँ की बात करते हैं तो भावनाएँ आंसुओं में उमड़ पड़ती हैं। लेकिन उनका एक और रूप है वह है पिता का जहां वह अपने बच्चों को अपने असली विचारों से सींचते हैं। सोनिया गांधी पर लिखी उनकी कविता उनके राजनैतिक विचारों की गवाही देती है। अवार्ड वापिस गैंग में भी यह शामिल हुए थे लेकिन बाद में शांत हो कर बैठ गए थे। आज उन्ही की बेटी ने अपनी परवरिश की मिसाल एक बार फिर एक निजी टीवी चैनल पर बयान की और जताया कि उनकी परवरिश कितनी ज़हरीली और फिरका परस्ती वाली है। उन्हे मुसलमानों की आज़ादी चाहिए और कोई बड़ी बात नहीं किसी दिन वह भारत में शरीयत लागू करवा देने का हुक्म ही न सुना दें।
राजविरेन्द्र वशिष्ठ, चंडीगढ़:
डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम की मुख्य संपादक श्रीमति सारिका तिवारी वी॰ अक्सर कहती हैं कि फल और पेड़ एक दूसरे के पर्याय होते हैं। मुन्नावर राणा और उनकी बेटी के मामले में यह बात बिलकुल सटीक बैठती है।
शायर मुनव्वर राना CAA और मोदी सरकार का विरोध अपनी क्रांतिकारी शायरि के जरिये करते हैं. उन्हें शिकायत है कि मुसलमानों ने बंटवारे के वक़्त भारत में रहना मंजूर किया लेकिन फिर भी उनसे देशभक्त होने का सबूत देना पड़ता है. वो गंगा जमुनी तहजीब की बातें करते हैं. लेकिन उनकी बेटी की बातें सुनने के बाद आप कहेंगे कि शायरी के जरिये प्यार की बातें करने वाले मुनव्वर राणा के परिवार के मन में हिन्दुओं के लिए कितना ज़हर है.
मुनव्वर राना की बेटी उरुशा राना ने AIMIM नेता वारिस पठान के उस बयान का समर्थन किया है जिसमे उन्होंने कहा था कि 15 करोड़ (मुसलमान) 100 करोड़ (हिन्दुओं) पर भारी हैं. एक टीवी डिबेट में शामिल हुई उरुशा से जब ये पूछा गया कि क्या वो वारिस पठान के बयान से सहमत हैं तो उरुशा ने कहा कि वो बिलकुल सहमत हैं. आज़ादी मुसलमानों का हक़ है और ये हक़ कोई उनसे नहीं सीख सकता.
टीवी डिबेट में उरुशा ने कहा, ‘भाजपा और RSS हमें (मुसलमानों) गुलाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इन्होने कहा था सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास लेकिन किसी का विकास नहीं हुआ. हालात बद से बदतर हुए हैं. वो (मोदी) कभी तीन तलाक ले आते हैं, तो कभी CAA ले आते हैं तो कभी कोई और चीज ले आते हैं.’
हालाँकि मुनव्वर राणा की बेटी ने पहले भी कई ऐसे बयान दिए हैं जिससे उनका इस्लामिक एजेंडा उजागर हुआ है. AMU में एक CAA विरोधी प्रोटेस्ट में मुनव्वर राणा की दूसरी बेटी सुमैया ने कहा था, ‘हमें ध्यान रखना है कि हमें इतना भी तटस्थ नहीं होना है कि हमारी पहचान ही खत्म हो जाए. पहले हम मुसलमान हैं और उसके बाद कुछ और हैं. हमारे अंदर का जो दीन है, जो इमान है, वह जिंदा रहना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि हम अल्लाह को भी मुंह दिखाने लायक न रह जाएं.’
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