मजीठिया के साथ मंच सांझा करने वाले सिद्धू कि प्रशांत किशोर के साथ गलबहियां, क्या माजरा है???
नयी दिल्ली में जहां चुनावों के पश्चात आआपा के हौसले बुलंद हैं और वह अब अपने प्रसार कि सोच रहे हैं. निकटवर्ती चुनाव पंजाब, बिहार और बंगाल के हैं. बिहार में वह चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि सर जी लालू यादव के साथ कई बार मंच सांझा कर चुके हैं बंगाल में ममता दीदी के खिलाफ वह नहीं जा सकते ममता दीदी ने आआपा को प्रशांत किशोर बतौर तोहफे में भेजा जिसकी रणनीति के कारण दिल्ली में आआपा को बम्पर जीत मिली. तो विकल्प बचता है पंजाब. पर पंजाब में पार्टी का एकमात्र चेहरा भगवंत मान है जो खुद प्रत्यक्ष विवादों में घिरा है. पंजाब में आआपा कि एक मात्र उम्मीद अब नवजोत सिंह सिद्धू ही है. प्रशांत किशोर आआपा और सिद्धू के बीच एक सूत्र हैं और शायद तभी स्टार प्रचारक होने के बावजूद सिद्धू ने दिल्ली में आआपा के खिलाफ कोई रैली नहीं की. लेकिन इधर सिद्धू ने शायद अपना दम ख़म दिखने के लिए अमृतसर में हुए एक धार्मिक कार्यक्रम में शिरोमणि अकाली दल के मजीठिया के साथ मंच सांझा किया जिससे आआपा को सन्देश जाए कि वह राजनीति में वही पुराना दमखम रखते हैं.
चंडीगढ़:
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 नतीजों के बाद पंजाब की राजनीति में हलचल शुरू हो गए हैं. लंबे समय से खामोश बैठे हुए नवजोत सिंह सिद्धू और आप के बीच संपर्क होने की चर्चाएं कांग्रेस में हो रही है.
सूत्रों का कहना है कि सिद्धू ने दोबारा अमरिंदर सरकार में आने की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया है और आप अब उन्हें दोबारा अपने पाले में लाने की कोशिश में लग गई है. पार्टी के स्टार प्रचारक होने के बाद भी सिद्धू दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस के लिए प्रचार करने नहीं गए थे.
सूत्रों का कहना है कि अगर सिद्धू दिल्ली में प्रचार करने जाते तो उन्हें आप सरकार के खिलाफ बोलना पड़ता और कांग्रेस में अलग-थलग पड़े सिद्धू ऐसा नहीं करना चाहते थे. गौरतलब है कि बीजेपी छोड़ने के बाद आम आदमी पार्टी ने उनसे संपर्क साधा लेकिन तब बात बन नहीं सकी थी लेकिन अब हालात काफी बदल चुके हैं.
दिल्ली में एतिहासिक कामयाबी के बाद आप अब पंजाब में फिर सक्रिय होना चाहती है. हालांकि पंजाब में आप काफी परेशानियों का सामना कर रही है. पार्टी के अंदर कई धड़े सक्रिय हैं और भगवंत मान को छोड़ उनके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. आप चाहती है कि जैसे दिल्ली में उसके पास केजरीवाल जैसा बड़ा चेहरा था ऐसा ही बड़ा नाम उसके पास पंजाब में भी हो. पार्टी लंबे समय से किसी बड़े जाट चेहरे की तलाश में है और सिद्धू के साथ उसकी यह तलाश पूरी हो सकती है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि दिल्ली में आप की चुनावी रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर सिद्धू और आप के बीच एक पुल का काम कर रहे हैं.
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