एल्गार परिषद् कि जांच NIA को सोंपोए जाने पर शरद पवार नाराज़
- एल्गार परिषद केस की जांच पर सवाल
- शरद पवार ने उद्धव सरकार को निशाने पर लिया
- केंद्रीय एजेंसी एनआईए कर रही है जांच
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस वजह से अगले दिन जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की। पुणे पुलिस का दावा है कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था।
नयी दिल्ली (ब्यूरो):
महाराष्ट्र के एल्गार परिषद केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनसीपी) को सौंप दी गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने इस फैसले को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार की आलोचना की है। कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत में शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपकर ठीक नहीं किया क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, ‘मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केंद्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया।’ गौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शिवसेना के नेतृत्व वाले महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार की सहयोगी है और इसके नेता अनिल देशमुख राज्य के गृहमंत्री हैं।
पुणे की कोर्ट ने एनआईए कोर्ट को सौंपा केस
इससे पहले एल्गार परिषद मामले की सुनवाई कर रही पुणे की एक अदालत ने एक आदेश पारित करते हुए यह मुकदमा मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को सौंप दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस आर नवंदर ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने आदेश दिया कि मामले से जुड़े रेकॉर्ड और कार्यवाही मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को सौंप दी जाए। अदालत द्वारा आदेश पारित किए जाने से पहले अभियोजन पक्ष ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है, जिसमें मामला ट्रांसफर किए जाने का अनुरोध किया गया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘इस प्रकार यह स्पष्ट है कि राज्य जांच एजेंसी यह जांच एनआईए को सौंप रही है। दो दिन पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कहा था कि इस मामले की जांच एनआईए द्वारा अपने हाथों में लिए जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। आदेश में राज्य पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह मामले की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज एनआईए को सौंप दे। न्यायाधीश ने यह आदेश भी दिया कि सभी आरोपियों को 28 फरवरी को या उससे पहले मुंबई में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
पहले महाराष्ट्र सरकार ने किया था विरोध
पुणे की अदालत ने कहा कि कानून की नजर में यह मामले का ट्रांसफर नहीं है बल्कि अधिकार क्षेत्र की कमी के कारण मामले को उचित अदालत में भेजना है। केंद्र ने पिछले महीने मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को ट्रांसफर कर दिया था और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार ने इस कदम की आलोचना की थी। एनआईए ने जनवरी के आखिरी सप्ताह में अदालत से अनुरोध किया था।
आपको बता दें कि यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस वजह से अगले दिन जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की। पुणे पुलिस का दावा है कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था। जांच के दौरान पुलिस ने माओवादी संपर्क के आरोप में वामपंथी झुकाव वाले कार्यकर्ताओं सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसाल्विस, सुधा भारद्वाज और वरवारा राव को गिरफ्तार किया। एनआई ने एल्गार परिषद मामले में 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
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