CAA के खिलाफ अकाल तखत का मुसलमानों को समर्थन

करतारपुर कोरिडोर खुलने के बाद से सिख जत्थेबंदियों का झुकाव पकिस्तान के प्रति नरम पड़ता जा रहा है. अकाल तखत भी अब CAA के खिआफ मुसलामानों का साथ दे रहा है. अकाल तखत सिखों कि सर्वोच्च धार्मिक संस्था है, जिसका हुकम सिखों के लिए गुरु वाक्य होता है. अकाल तख्त के प्रमुख हरप्रीत सिंह, दिल्ली अल्पसंख्यक कमीशन के प्रमुख जफरुल इस्लाम खान से अमृतसर में मिले. अभी कुछ दिन पहले ही हरप्रीत ने भारत में सिखों को असुरक्षित बताया था, जिस पर अमरिंदर सिंह ने इत्तेफाक न रखते हुए उन्हें सरकार से भागीदारी हटा लेने कि सलाह दी थी. अकाल तख़्त के इस रवैये से भारत कि राजनीति क्या मोड़ लेती है यह तो समय ही बताएगा.

पंजाब(ब्यूरो): 

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे मुस्लिम समुदायों को एक और साथी मिल गया है. अकाल तख्त संस्था के प्रमुख ने उन्हें अपना समर्थन दिया है.

अकाल तख्त के प्रमुख ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने समुदाय को अपना समर्थन दिया. एक निजी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक इसके लिए हरप्रीत सिंह से दिल्ली अल्पसंख्यक कमीशनके प्रमुख जफरुल इस्लाम खान से अमृतसर में मिले.

‘सिख हमेशा अन्याय के खिलाफ और इसका शिकार बनने वालों के साथ खड़े रहेंगे’

हरप्रीत सिंह ने कहा कि अल्पसंख्यकों के अंदर डर और असुरक्षा का भाव है, जो कि देश के लिए अच्छा नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि सिख हमेशा अन्याय के खिलाफ और इसका शिकार बनने वालों के साथ खड़े रहेंगे.

तख्त के प्रमुख ने कहा कि उन्हें ऐसे ही समर्थन की मांग अन्य मुस्लिम समुदायों से भी मिली थी. उन्होंने खान से कहा कि वे हिंदू समुदायों से भी संपर्क करें और उनमें से भी कई सारे ऐसी ही असुरक्षा महसूस कर रहे हों, उनके साथ भी इस मुद्दे पर बातचीत करें. उन्होंने यह भी कहा कि देश में शांति बनाए रखने के लिए सभी एक प्लेटफॉर्म पर आएंगे, ऐसी उनको आशा है.

CAA और NRC को साथ में लागू किए जाने को लेकर डरे हुए हैं कई लोग

दिल्ली अल्पसंख्यक कमीशन के प्रमुख जफरुल इस्लाम खान ने यह कहा कि सिख समुदाय के समर्थन ने उनमें (मुस्लिम समुदाय में) भारत को एक धर्म पर आधारित देश बनाने का प्रयास करने वालों के खिलाफ प्रयासों को लेकर आशा का संचार किया है.सिख खुद एक ऐसे अल्पसंख्यक समुदाय का निर्माण करते हैं- जिस समुदाय के पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए एक आसान रास्ता दिया जाना है. हालांकि कई लोग डरे हुए हैं कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी को साथ में लागू किया जाना पूरे देश की मुस्लिम जनसंख्या के खिलाफ एक भेदभावपूर्ण प्रक्रिया होगी.

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply