बीजेपी ने मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को हिंदू विरोधी बताया है. उसका कहना है कांग्रेस सिर्फ एक धर्म को निशाना बना रही है. हिंदुओं को दबाकर कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। आने वाले समय में मंदिर अपने खुले स्थानों पर गो – शाला अथवा या गुरुकुल इत्यादि स्थापित कर धर्म और गोवंश के महत्व को बढ़ावा दें इस लायक बनें उनकी, ज़मीनें बेच दी जाएँ और पैसे सरकार के खाते में जाएँ। यदि एस होना अतिआवश्यक है तो फिर यह गाज मंदिरों पर ही क्यों गिरे?
नयी दिल्ली:
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में मंदिरों की जमीन बिल्डर्स को देने की तैयारी है. सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर रखा है. पांच फरवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक (Cabinet Meet) में इस पर मुहर लगना भर बाकी है. बिल्डर्स इस पर मकान-दुकान कुछ भी बना सकते हैं. जमीन बेचने पर जो पैसा मिलेगा वो मंदिर, जिला प्रशासन और सरकारी खजाने में जाएगा.
दरअसल कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) ने प्रदेश के मंदिरों की जमीन बिल्डरों को देने का प्रस्ताव तैयार किया है. सरकार इस प्रस्ताव को पांच फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में लेकर आएगी. बिल्डर्स इस जमीन पर निर्माण कार्य कर उसे बेच सकते हैं. इससे जो पैसा मिलेगा वो मंदिर, जिला और राज्य सरकार के देवस्थान कोष में जाएगा. इसके पीछे सरकार की मंशा है कि ऐसा करने से मंदिरों की प्राइम लोकेशन वाली बेशकीमती जमीन को अतिक्रमण और कब्जे से बचाया जा सकेगा.
ऐसा है सरकार का प्रस्ताव
आध्यात्म विभाग के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि सरकार के अधीन आने वाले मंदिरों की खाली जमीन व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए निजी व्यक्तियों को बेचने का प्रस्ताव लाया जा रहा है. इसकी शुरुआत भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के साथ दूसरे बड़े शहरों के मंदिरों से होगी. जिस व्यक्ति को जमीन दी जाएगी, वो उस पर निर्माण कार्य कर बेच सकेगा. इससे मिलने वाला पैसा तीन हिस्सों में बांटा जाएगा. 20 फीसदी मंदिर, 30 फीसदी जिला स्तर और 50 फीसदी राज्य स्तर के देवस्थान कोष में जमा होगा. सरकार केवल जमीन देगी. उस पर मकान-दुकान या बिल्डिंग बिल्डर अपने खर्च पर बनवाएगा. बिल्डर अपनी मर्जी के मुताबिक उस जमीन पर फ्लैट, डुप्लेक्स, दुकान, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स सहित दूसरा कर्मिशियल निर्माण कर सकता है.
स्ताव की वजह
इस प्रस्ताव के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि मंदिरों की खाली जमीन पर कब्जा हो जाता है. प्रशासन कार्रवाई कर इन कब्जों को बार-बार हटाती है, लेकिन इन पर फिर कब्जा जमा लिया जाता है. साथ ही मंदिरों की खाली पड़ी जमीन का कोई उपयोग नहीं हो पाता है. प्रशासन के पास अमला नहीं होने की वजह से मंदिरों की मॉनिटरिंग में दिक्कत आती है. ऐसे में सरकार का मानना है कि इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने से मंदिरों का विस्तार के साथ विकास भी होगा.
बीजेपी ने कहा- ये हिंदू विरोधी
बीजेपी ने सरकार के इस प्रस्ताव को हिंदू विरोधी बताया है. उसका कहना है कांग्रेस सिर्फ एक धर्म को निशाना बना रही है. कांग्रेस हिंदुओं को दबाकर तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. मंदिर में कोई अवैध कब्जा नहीं होता है. सरकार अगर मंदिरों को बड़े-बड़े बिल्डर्स को देने की कोशिश करेगी तो बीजेपी इसका विरोध करेगी. ये निर्णय पूरी तरह बड़े बिल्डर्स को संरक्षण देने का है. कांग्रेस सरकार हर तरह के हिंदू विरोधी फैसले कर रही है.