छोटे और मझोले अखबारों की अनदेखी करतीं हैं सरकारें: डीपी वर्मा
परनूर, पंचकुला:
पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति और बदलते आयाम पर www.demokraticfront.com से विशेष बात चीत करते हुए क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार धर्मपाल वर्मा ने कहा ज्यादातर खबरें छोटे अखबारों में ही प्रकाशित होती है ।लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है के भारत सरकार या कोई भी राज्य सरकार इन छोटे और मझोले अखबारों के हितों को अनदेखी करती है इन्हें प्रोत्साहित करने की बजाय विज्ञापन ना देकर और उनकी सुरक्षा के मुद्दे को दरकिनार करके इन्हें हतोत्साहित किया जाता है।
वर्मा ने कहा की बड़ी खबरों जानकारी देने वाले ज्यादातर पर छोटे ही होते हैं इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि भोपाल गैस लीक प्रकरण से दो महीने पहले ही एक स्थानीय अखबार ने सम्भावित दुर्घटना की आशंका जताई थी कि कभी भी वहां हादसा हो सकता था। बाद में उस अखबार को उसकी जिम्मदार पत्रकारिता के लिए रामनाथ गोयंका पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पत्रकारिता की बदलती परिस्थिति पर अपने विचार रखते हुए धर्मपाल वर्मा ने कहा कि पत्रकारिता में परिवर्तन तीन दिशाओ में दिखाई दे रहा है।
पहला, प्रणाली में बदलाव आने से हुआ जिसमें अब अखबार उल्टा पढ़वा दिया गया ,पुल आउट इसी प्रणाली का एक हिस्सा है अब पाठक स्थानीय समाचारपत्र का पुलआउट पहले पढ़ता है और बाकी अखबार बाद में ।
दूसरा, मान्यता में बदलाव कुछ वर्षों पहले तक पाठक रिपोर्टर के काम और उसकी विश्वसनीयता पर केंद्रित होकर उसकी खबर के माध्यम से अपनी जानकारी को सत्यापित करता था लेकिन इसमें भी बदलाव आया है अब यह अनुमान लगाना ही मुश्किल हो गया है की घटना या उसका आंकलन किस हद तक सही है ।
तीसरा, कार्यशैली में परिवर्तन यानी फंक्शन चेंज सोशल मीडिया के आने से कार्यशैली बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुई है अब ज़्यादातर पत्रकार ऑनलाइन ही खबर प्राप्त करके आगे प्रेषित कर देते हैं इस तरह की प्रणाली से अकसर देखने में आया है की समाचार की प्रमाणिकता पर पूर्ण भरोसा नहीं हो पाता।
प्रिंट को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुकाबले ज़्यादा विश्वसनीय बताते हुए उन्होंने कहा जहां एक और प्रिंट मीडिया आज भी उपयोगी है और नैतिकता लेकर चल रहा है , वही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अक्सर सनसनी फैलाने का काम करता है और खबरों को सनसनी की तरह पेश करता है जिसके कई बार विपरीत परिणाम भी होते हैं।
पत्रकारिता के नकारात्मक आयाम पर बात करते हुए वर्मा ने कहा कि हमें है अपने निजी हितों के लिए बहुत से ऐसे लोग पत्रकारिता में आ रहे हैं जिन्हें इस पेशे के मूल्यों के बारे में जानकारी नहीं। अब समय आ गया है कि इस पेशे में भी समीक्षा की जाए। जरूरत है कि समय समय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाए जिससे की पत्रकारों मूल्यों, आंकलन ,समाचार की प्रमाणिकता आदि पर प्रशिक्षण प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा यदि राजनीतिक स्तर पर, जैसे कि हरियाणा विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला आए थे , का आयोजन किया जा सकता है तो पत्रकारिता के लिए क्यों नहीं ?सरकार और संस्थानों को ओर अवश्य ध्यान देना चाहिए।
यह भी देखें : नकारात्मक पत्रकारिता की वजह शिक्षा और प्रशिक्षण की कमी : एस॰के॰ जैन
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