छोटे से छोटे सदस्य / कार्यकर्ता से लेकर पार्टी अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी तक ने ट्वीट कर जताई खुशी. कल करेंगे प्रैसवार्ता
पी चिदंबरम को ज़मानत मिल गई है . लेकिन वो अकेले नहीं हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेता ऐसे हैं, जो इस वक्त ज़मानत पर हैं. इनमें कार्ति चिदंबरम, भुपेंद्र सिंह हुड्डा, राज बब्बर, शशि थरूर , दिग्विजय सिंह, वीरभद्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेता शामिल हैं.
106 दिनों के बाद आखिर बुधवार को तिहाड़ जेल की चार दिवारी से पी. चिदम्बरम बाहर आ गए. सुप्रीम कोर्ट से पी. चिदंबरम को सशर्त जमानत मिल गई और चिदंबरम की रिहाई से मानो कांग्रेस में आ गई हो जान. इससे पहले कांग्रेस में नहीं दिखी इतनी खुशी! चिदंबरम की रिहाई पर कांग्रेस में जश्न सा माहौल क्या है, आखिर इस खुशी का राज ?
नयी दिल्ली(ब्यूरो)
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम 106 दिनों के बाद आज जमानत पर जेल से बाहर आ गए. वो जब जेल से बाहर निकले तो ऐसा लग रहा था जैसे वो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेकर बाहर निकल रहे हो. उनका स्वागत फूल मालाओं से किया गया चिदंबरम भी गाड़ी पर खड़े होकर ऐसे हाथ हिला रहे थे मानो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निर्दोष बताकर बा इजज्त बरी कर दिया हो.
देश के लोग कानून नहीं मानते और देश के नेता भ्रष्टाचार को बुरा नहीं मानते. आज जब कांग्रेस के नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री ज़मानत पर जेल से बाहर आए तो उनका स्वागत कुछ ऐसे हुआ जैसे वो देश का स्वंतंत्रता संग्राम जीत कर आए हो. आज हम भ्रष्टाचार को समाज में मिली इस स्वीकृति का भी विश्लेषण करेंगे.
भ्रष्टाचार अब हमारे देश में एक Status Symbol बन गया है. ढोल नगाड़े बजाकर भ्रष्टाचारियों का स्वागत करना, उन्हें फूल माला पहनाना, उनके स्वागत में मिठाईयां बांटना अब हमारे देश में सामान्य बात हो गई है. इसे आप New Normal Of Indian Society भी कह सकते हैं. पहले आप ये देखिए कि कैसे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के आरोपी पी. चिदंबरम का स्वागत उन्हें हार पहनाकर और मिठाइयां बांट कर किया.
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम 106 दिनों के बाद आज जमानत पर जेल से बाहर आ गए. वो जब जेल से बाहर निकले तो ऐसा लग रहा था जैसे वो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेकर बाहर निकल रहे हो. उनका स्वागत फूल मालाओं से किया गया चिदंबरम भी गाड़ी पर खड़े होकर ऐसे हाथ हिला रहे थे मानो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निर्दोष बताकर बा इजज्त बरी कर दिया हो. जमकर नारेबाज़ी और फूलो की बरसात के बीच पी चिदंबरम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने 10 जनपथ चले गए. अब आप सोचिए कि अगर भ्रष्टाचार में फंसे एक नेता का जेल से बाहर आने पर ऐसा स्वागत होता है तो ईमानदार और सज्जन पुरुषों का स्वागत कैसे होता होगा.
इन तस्वीरों को देखकर आपको तीन बातें समझनी चाहिए. पहली बात ये है कि हमारे देश में अब भ्रष्टाचार किसी को बुरा नहीं लगता और ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार की व्याख्या नए सिरे से करने की ज़रूरत है . क्योंकि हमारे देश में गोपाल कांडा जैसे दागी नेता विधायक बन जाते हैं. भ्रष्टाचार के आरोपी अजित पवार को बीजेपी डिप्टी सीएम बना देती है. भ्रष्टाचार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के आरोपी चुनाव जीतकर विधायक या सांसद बन जाते हैं. यानी अब भ्रष्टाचार की परिभाषा बदलनी होगी.
दूसरी बात ये है कि अब राजनेता ही नहीं हमारे देश की जनता भी भ्रष्टाचार को बुरा नहीं मानती है. भ्रष्टाचारियों को समाज पूरी तरह स्वीकार कर लेता है और उनसे जुड़े किस्से कहानियों को ऐसे पेश किया जाता है जैसे किसी महापुरुष की जीवनी सुनाई जा रही हो और तीसरी बात ये है कि अब राजनीति के तहत की गई बदले की कार्रवाई और भ्रष्टाचार के असली मामलों के बीच भेद खत्म हो चुका है . जिस भी नेता पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं. वो कहता है कि उसे बदले की कार्रवाई के तहत फंसाया गया है. ये देश विरोधी ताकतों की साजिश है. पुराने ज़मान में भ्रष्ट नेता ये कहते थे कि ये विदेश ताकतों की साजिश है लेकिन अब इन्हें सांप्रदायिक ताकतों का किया धरा बताने लगते है . और भ्रष्टाचार के आरोपी जेल से बाहर ऐसे निकलते हैं. जैसे वो कोई स्वतंत्रता सेनानी हो.
राजनीति में अब भ्रष्टाचार स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है. नेता अब अपने उपर लगे आरोपों को ग्लैमराइज़ करने लग हैं. यही नहीं चुनाव के समय यही नेता VICTIM कार्ड भी खेलते हैं. 2015 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव बिहार में हुए, RJD के अध्यक्ष लालू यादव ने अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनैतिक प्रतिशोध बता कर सहानभूती बटोरने की कोशिश की. BSP अध्यक्ष मायावती, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन ने भी यही Victim Card खेला. आज चिदंबरम के स्वागत की तस्वीर देख कर आप ये सवाल भी पूछ सकते हैं कि हमारे देश में नैतिकता को लेकर कोई कानून क्यों नहीं बनता ? ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं, जब दागी नेता चुनाव लड़ते हैं, और चुनाव जीतकर संसद या विधानसभाओं में पहुंच जाते हैं . नैतिक रूप से अयोग्य होने के बावजूद भी ये नेता हमारे लोकतंत्र में योग्य साबित हो जाते हैं .
हम आपको ऐसे नेताओं के कुछ उदाहरण दिखाते हैं:
अतुल राय इस समय उत्तर प्रदेश के घोसी से बहुजन समाज पार्टी के सांसद हैं. उनके ऊपर बलात्कार का आरोप है और वो इस वक्त जेल में बंद हैं. गोपाल कांडा इस समय हरियाणा के सिरसा से विधानसभा के सदस्य हैं. उन पर एक महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है और वो विधायक हैं. मुख्तार अंसारी मऊ के विधायक हैं. उन पर हत्या, अपहरण और दूसरे गंभीर आरोप हैं . वो भी इस समय जेल में बंद हैं. कुलदीप सिंह सेंगर उत्तर प्रदेश के उन्नाव से विधायक हैं . उन पर बलात्कार और हत्या की साजिश में शामिल रहने के आरोप हैं. ये भी इस समय जेल में बंद है. नैतिकता का कोई कानून होता, तो शायद ये सभी नेता संसद या विधानसभा के लिए नहीं चुने जाते, लेकिन हमारे संविधान बनाने वालों ने शायद इस दिन की कल्पना ही नहीं की थी.
पी चिदंबरम को ज़मानत मिल गई है . लेकिन वो अकेले नहीं हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेता ऐसे हैं, जो इस वक्त ज़मानत पर हैं. इनमें कार्ति चिदंबरम, भुपेंद्र सिंह हुड्डा, राज बब्बर, शशि थरूर , दिग्विजय सिंह, वीरभद्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेता शामिल हैं.