शिवसेना नेताओं की बंद कमरे में शरद पवार से मुलाकात हुई. शिवसेना ने अपनी चिंता तो जताई और साथ ही बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कुर्बानी देने का भी ऑफर दिया. अब ये सब साथ-साथ इतने आगे निकल आये हैं कि इस मुद्दे पर गठबंधन तोड़ना शिवसेना-कांग्रेस के लिए जगहंसाई के मौका होता. हाथ मिलाकर शिवसेना-कांग्रेस ने अपने वोट बैंक का पहले ही नुकसान कर लिया है, अब सत्ता से भी दूर रहना एक बेवकूफी होती.
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
शिवसेना नेताओं की बंद कमरे में शरद पवार से मुलाकात हुई. शिवसेना ने अपनी चिंता तो जताई और साथ ही बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कुर्बानी देने का भी ऑफर दिया. शिवसेना ने अपनी तरफ से कहा कि वह अपनी पांच साल का मुख्यमंत्री पद की मांग छोड़ने को तैयार है. अगर शरद पवार चाहे और कांग्रेस को मंजूर हो तो उसे अजीत पवार को ढाई साल के लिए CM बनाने पर कोई ऐतराज नहीं है. मगर पहले ढाई साल मुख्यमंत्री, शिवसेना का होगा.
शिकार 1 : क्या इसके जरिये शरद पवार-अजित पवार एक तीर से कई शिकार कर रहे हैं?
ढाई साल के लिए खुद के परिवार का CM. गठबंधन के बीच की बातचीत के बीच अगर सीधे सीधे ये मांग करते तो कांग्रेस-शिवसेना की तरफ से नानुकुर और देरी होती, साथ ही एनसीपी में अजित पवार के प्रतिद्वंदी भी शांत हो गए. अब ये सब साथ-साथ इतने आगे निकल आये हैं कि इस मुद्दे पर गठबंधन तोड़ना शिवसेना-कांग्रेस के लिए जगहंसाई के मौका होता. हाथ मिलाकर शिवसेना-कांग्रेस ने अपने वोट बैंक का पहले ही नुकसान कर लिया है, अब सत्ता से भी दूर रहना एक बेवकूफी होती.
शिकार 2: राष्ट्रपति शासन को तुरंत हटवाना
अगर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन मिलकर दावा पेश करता तब भी पहला काम होता कि राष्ट्रपति शासन हटाना. राष्ट्रपति शासन हटाना अपने आप में एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बीजेपी की ‘खुशकिस्मती’ से प्रक्रिया के नाम पर राज्यपाल और केंद्र सरकार हफ्तों या दो महीने तक का वक्त तक खींच सकते थे. इस लम्बे वक्त में बीजेपी बहुत सारे विधायकों को अपनी तरफ कर सकती थी. नामुमकिन को मुमकिन बनाने वाले हालिया राजनीतिक इतिहास को देखते हुए ये कोई असंभव कृत्य नहीं था. बीजेपी की सरकार बन रही थी और एक्सप्रेस गति से काम हुआ. यानी राष्ट्रपति शासन हटाने का रोड़ा अपने आप निकल गया.
शिकार 3: अजित पवार हमलावर नहीं हो पाएगी बीजेपी-शिवसेना
बीजेपी ने अजीत पवार पर भ्रष्टाचार के कई सारे आरोप लगाए थे. बीजेपी शिवसेना की सरकार में उनके खिलाफ मामले भी दर्ज हुए. मगर, बीजेपी के अजीत पवार के साथ हाथ मिलाने और उपमुख्यमंत्री बनाने के बाद, अब आगे बीजेपी ने अजीत पवार को भ्रष्टाचारी बताकर हमला करने का नैतिक अधिकार लगभग खो दिया है. यही हाल शिवसेना के साथ होगा जो कभी अजित पवार को भ्रष्टाचारी बताती थी, उसके लिए अब अजित पवार स्वीकार योग्य हो गए.
शिकार 4 : एनसीपी में बढ़ा अजित पवार का रुतबा
अजित पवार इस मास्टर स्ट्रोक के बाद एनसीपी में निर्विरोध नेता बन गए. एनसीपी के अंदर भी अजित पवार को कई सारे अन्य नेता जैसे छगन भुजबल, जयंत पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल जैसे नेताओं से कड़ी चुनौती मिल रही थी. अजित पवार का कद बढ़ा और पार्टी में प्रभाव. शरद पवार की इच्छा की केंद्र में बेटी सुप्रिया और राज्य में भतीजा अजित के जरिये सब प्रभुत्व पवार परिवार में ही रहता.