Thursday, December 26

पंचकूला, 22 नवंबर :

उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने कहा कि हमारे समाज में ऐसे घृणित तत्व भी मौजूद है जो बच्चों को उनकी मासूमियत की वजह से आसानी से शिकार बना लेते है। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम जिम्मेदार समाज का निर्माण करें जोकि सजगता और सह्र्दयता तथा कानूनी प्रावधानों द्वारा असमाजिक तत्वों से बच्चों की सुरक्षा कर सके। आहूजा आज यहां जिला  सचिवालय के सभागार में जिला बाल संरक्षण एवं कल्याण विभाग द्वारा पोस्को एक्ट के तहत बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक दिन की कार्यशाला के अवसर पर महिला बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग, बाल संरक्षण यूनिट, पुलिस विभाग व महिला थानों व अन्य संबंधित विभागों के स्टेक होल्डर्स को संबोधित कर रहे थे।

  उपायुक्त ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा का विषय समाज के लिये अत्यंत गंभीर है। अकसर देखा जाता है कि बच्चों के मामलों में विशेषकर बालिकाओं के साथ होने वाले यौन अपराधों को लेकर लोग मामलों को सामाजिक तौर पर ही सुलझाने का प्रयास करते है और इसमें सामाजिक लांछन से बचने के लिये कानूनी प्रावधानों की तरफ ध्यान नहीं देते। इससे इस तरह के जघन्य अपराध करने वाले घृणित व्यक्ति कड़ी सजाओं से बच जाते है और मासूम बच्चों को न्याय नहीं मिल पाता। हम सभी का कत्र्तव्य हैं कि हम सजग होकर सभी से बच्चों का ध्यान रखे ताकि इस तरह की समस्यायें न उभर सके। उन्होंने कहा कि यदि पोस्को के अंतर्गत कोई मामला आता है तो इसमें सख्ती से कानून को लागू करना चाहिए ताकि समाज में इस तरह के घृणित अपराध करने वाले अपराधी को कड़ा संदेश जाये और वह अपराध करने के बारे में सोच भी न सके।

  पोस्को संशोधन अधिनियम 2019 के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले यह एक्ट केवल लड़कियों के यौन प्रताड़ना करने वालों पर लागू होता था। 2019 में इस एक्ट में संशोधन किया। अब यह एक्ट लड़कों व लड़कियों के लिये समान रूप से लागू किया गया है।

  बाल मजदूरी की रोकथाम पर जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी को रोकने के लिये भी सरकार ने सख्त कानून बनाये है। 14 साल से कम आयु के बच्चों को चाय की दुकानों, ढाबों, खदानों, भट्ठों और अन्य खतरनाक रोजगार में सम्मलित करना भी अपराध है। ऐसा करवाने वाले व्यक्ति पर एक लाख रुपये जुर्माना और एक साल सश्रम कारावास का प्रावधान है। छोटे बच्चों से भीख मंगवाना में चाहे उसके माता पिता ही क्यों न शामिल हो, उनको भी दोषी माना जायेगा। माता पिता होने से वे इस बाल अपराध से नहीं बच सकते। ऐसे दोषी व्यक्ति को पांच साल की सजा व एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। किसी भी बच्चे को नशीली दवां, शराब व तंबाकू उत्पाद बेचना कानूनी अपराध है। दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को सात वर्ष का कठोर कारावास व एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।

  उन्होंने कहा कि बच्चों के संरक्षण के लिये बाल संरक्षण सेवा को बच्चों के लिये सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिये सेवाओं के समूह के रूप में तैयार किया गया है। इसमें बच्चों की देखभाल, संरक्षण तथा विकास के लिये कार्यक्रमों के अतिरिक्त वर्तमान की बाल योजनाओं का एकीकरण किया गया है ताकि संगठित रूप से बाल संरक्षण व बाल विकास की योजनायें चलाई जा सके। उन्होंने कहा कि जिला बाल संरक्षण इकाई की तरफ से गरीब एकल व अनाथ बच्चों की पढ़ाई हेतू एक से 18 साल के बच्चों को सपोन्सरशिप व फोस्टर केयर स्कीम के तहत 2000 रुपये मासिक दिये जाते है। यह लाभ परिवार में से केवल दो बच्चों को दिया जा सकता है।

  इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर रंजन शर्मा ने किशोर न्याय संरक्षण अधिनियम और पोस्को के बारे में विस्तृत जानकारी दी। बचपन बचाओ के राज्य कोर्डिनेटर पुनीत शर्मा, बाल कल्याण कमेटी की चेयरमैन वंदना गुप्ता, बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डाॅ प्रतिभा ने भी बैठक में स्टेक होल्डर्स के प्रश्नों का विस्तारपूर्वक उत्तर दिया।