सिंचाई विभाग स्वयं भी घग्घर नदी की धार पर हुए अतिक्रमण से है अनभिज्ञ! आर टी आई से हुआ खुलासा

बेशक सिंचाई विभाग द्वारा लाखो करोड़ो रूपये घग्घर नदी की खुदाई व तटबंधों की मजबूती के लिए खर्च कर दिए जाते है लेकिन सिंचाई विभाग को यह भी पता नही की घग्घर नदी की धार कुल कितने फिट चौड़ी है तथा इस कि सिरसा से राजस्थान के साइफन तक कुल लम्बाई कितने किलोमीटर है तथा इस दूरी में कितनी दूर पर घग्घर नदी की धार पर किसानों ने अतिक्रमण कर रखा है

एलनाबाद 27 सितम्बर (सुरेंद्र सरदाना )

घग्घर नदी सिरसा जिला के किसानों की जीवनदायिनी मानी जाती है क्यो की यह जिला धान का कटोरा कहा जाता है और धान उत्पादन के लिए भरपूर मात्रा में पानी की जरूरत रहती है .ऐसे में घग्घर नदी जो कि शिवालिक की पहाड़ियों से निकलती है ओर बरसात के दिनों में शिल्ट युक्त बरसाती पानी से लबरेज रहती है और किसानों को पानी की आपूर्ति करती है .इस पानी से कोई जान माल का नुकसान न हो और किसानों की फसल का भी नुकसान न हो इस के लिए सरकार द्वारा घग्घर नदी की धार की खुदाई के लिए व तटबंधों की मजबूती के लिए हर वर्ष लाखो रुपए खर्च करती है जो कि सिंचाई विभाग द्वारा खर्च किया जाता है . अब पते की बात यह है कि बेशक सिंचाई विभाग द्वारा लाखो करोड़ो रूपये घग्घर नदी की खुदाई व तटबंधों की मजबूती के लिए खर्च कर दिए जाते है लेकिन सिंचाई विभाग को यह भी पता नही की घग्घर नदी की धार कुल कितने फिट चौड़ी है तथा इस कि सिरसा से राजस्थान के साइफन तक कुल लम्बाई कितने किलोमीटर है तथा इस दूरी में कितनी दूर पर घग्घर नदी की धार पर किसानों ने अतिक्रमण कर रखा है .इस बात का खुलासा शहर की सामाजिक संस्था सूचना का अधिकार जागृति मंच के अध्यक्ष सुरेंद्र सरदाना अधिवक्ता द्वारा सिंचाई विभाग द्वारा मांगी एक आर टी आई से हुआ है.
गौरतलब है कि उपरोक्त संस्था के अध्यक्ष सुरेंद्र सरदाना अधिवक्ता ने एक्स ई इन सिंचाई विभाग से सूचना का अधिकार अधिनयम 2005 के सेक्शन 6 के तहत यह जानकारी मांगी की सिरसा से राजस्थान के साइफन तक रिकार्ड के अनुसार घग्घर नदी कितने किलोमीटर लम्बी है तथा इस के बीच मे बनी धार की चौड़ाई (जिस में पानी चलता है )कितनी चौड़ी है व तथा मौका पर यह चौड़ाई कितने फूट है तथा कितने फूट चौड़ाई पर किसानों ने अतिक्रमण किया हुआ है .तथा यह जांच अंतिम बार कौन से वर्ष में हुई ? जवाब में सिंचाई विभाग ने आवरण डालते हुए बताया कि यह प्राकृतिक स्त्रोत है यह बदलती रहती है और इस अतिक्रमण की जानकारी रिवेन्यू विभाग के जिम्मे लगा दिया है .

दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि सिंचाई विभाग इस जानकारी से बिल्कुल ही अनभिज्ञ है .चूंकि कुछ किसानों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 30 या 40 वर्षों से तो उन के द्वारा नदी की यह धार मौका पर आज जहाँ है वही देखी जा रही है .क्यो की इस कि मिट्टी पत्थर की तरह पकी है जो कि अपना रुख नही बदलती .

स्पष्ट होता है कि सिंचाई विभाग को जब घग्घर के क्षेत्राधिकार की जानकारी नही है तो ऐसे में घग्घर का वार्षिक बजट सिंचाई विभाग किस तरह खर्च किया जाता है हम इस का अंदाज़ा सहज लगा सकते है

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