नई दिल्ली: शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या की विवादित जमीन मंदिर बनाने के लिए हिंदुओं को दे दी जाए. शिया वक़्फ़ बोर्ड ने दलील दी कि अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसले में एक तिहाई हिस्सा मुस्लिमों को दिया था, न कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को. हमारा वहां दावा बनता है और हम उसे हिंदुओं को देना चाहते हैं. ये ओरिजिनीली हमारा है और वह हिस्सा हम हिंदुओ को देना चाहते हैं.
शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि अन्तिम मुतवल्ली केयर टेकर, शिया ही था, हम अपना कब्जा यहां नहीं मानते और हम यह हिस्सा हिंदुओं को देना चाहते हैं.
इससे पहले सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई में हिन्दू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अयोध्या में राम जन्मस्थान है हिन्दू वहां शुरु से पूजा करते रहे हैं . संविधान लागू होने के बाद वह जमीन हिन्दुओ को मिलनी चाहिए क्योंकि अनुच्छेद 13 मे रीति रिवाज और परंपरा जारी रखने का अधिकार दिया गया है .
हिन्दू महासभा की तरफ से वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने अपनी दलीलें 4 मुद्दों पर कोर्ट के सामने रखीं. इनमें 1-क्या विवादित जगह पर कोई हिन्दू मंदिर था?, 2- क्या वहां पर मुस्लिम शासकों ने कोई ढांचा बनवाया था?, 3- क्या विवादित ढांचा मुसलमानों द्वारा मस्जिद के रूप में उपयोग किया जाता था?, 4- वक्फ के रजिस्टर न होने का प्रभाव क्या है?
हरिशंकर जैन ने कहा कि यह जगह शुरू से हिंदुओं के अधिकार में रही, आजादी के बाद भी हमारे अधिकार सीमित क्यों रहें? 1528 से 1585 तक कहीं भी और कभी भी मुसलमानों का यहां कोई दावा नहीं था.
हरिशंकर जैन ने कहा कि मार्टिन ने बुकानन के रिसर्च को आगे बढ़ाते हुए उसी हवाले से 1838 में इस जगह का जिक्र किया है. उस किताब में हिन्दू पूजा परिक्रमा की जाती थी. तब किसी मस्जिद का जिक्र नहीं था. ट्रैफन थैलर ने किसी भी मस्जिद का जिक्र नहीं किया है. तब के मुस्लिम इतिहासकारों ने भी मस्जिद का जिक्र नहीं किया. हिन्दू 1855 से 1950 तक पूजा पाठ करते रहे लेकिन अंग्रेजों ने पूजा के अधिकार को सीमित कर दिया था.
हरिशंकर जैन ने कहा कि आजादी मिलने और संविधान लागू होने के बाद भी जब अनुच्छेद 25 लागू हुआ तब भी हमें पूजा उपासना का पूरा अधिकार नहीं मिला. अनुच्छेद 13 का हवाला देते हुए जैन ने कहा कि आजादी से पहले चूंकि हमारा कब्जा था तो वो बरकरार रहना चाहिए.