Monday, December 23

हरियाणा प्रदेश के सभी फार्मासिस्ट वर्ग की लगातार तीसरे दिन सामूहिक अवकाश से सरकारी हस्पतालों में मरीजों का बुरा हाल है, पर सरकार आँख मूंदे बैठी है। मरीजों को दवाई नहीं मिल पा रही है मिल रही है तो वो गलत मिल रही है। सरकार इस कदर उदासीन है कि तीन दिन से जनता परेशान है पर एसोसिएशन को अभी भी बातचीत का बुलावा नहीं मिला है। इस मौके पर राज्य प्रधान विनोद दलाल ने कहा कि सरकारी तंत्र के नकारात्मक रवैये की वजह से स्वास्थ्य संस्थाओं में सबसे ज्यादा कार्य करने वाले सभ्य वर्ग को आंदोलन पर मजबूर होना पड़ रहा है। इनकी कार्यशैली देखिये जो केटेगरी पदोन्नत होकर फार्मासिस्ट बनने का सपना देखती थी उसको भी फार्मासिस्ट के समान 4200/ ग्रेड पे दे दिया और जो फार्मासिस्ट 30-35 साल की नौकरी के बाद चीफ फार्मासिस्ट बनता है, दुर्भाग्यवश उसका ग्रेड पे भी 4200/ है। यह अधिकारीयों की कार्यशेली पर प्रश्न है।

यह जानकारी देते हुए राज्य प्रेस सचिव पुनीत गौत्तम ने बताया कि राज्य प्रधान विनोद दलाल ने सभी फार्मासिस्ट वर्ग के जोश को सलाम करते हुए कहा कि एसोसिएशन गवर्नमेंट फार्मासिस्ट ऑफ़ हरियाणा अब अपना हक लिए बिना पीछे नहीं हटेगी चाहे कोई भी बलिदान क्यूँ न देना पड़े। फार्मासिस्ट वर्ग जो काम के बोझ के नीचे दबा हुआ है उसका काम को लेकर जमकर शोषण होता है बल्कि जब भी हक देने की बात होती है उसे नकार दिया जाता है। चाहे पदोन्नति की बात हो, चाहे इस वर्ग की कोई और मांग हो हमेशा सरकार का नकारात्मक रवैया रहता है। कई वर्षो की लगातार पुरजोर मांग के बाद गत 6 अगस्त से लगातार आंदोलन का रुख अपनाये है पर सरकार का इनकी समस्याओं पर विचार या बातचीत का समय ही नहीं है। अब इस सभ्य वर्ग को आख़िरकार काम छोड़कर धरने पर मजबूर होना पड़ा है।

दवाओं के लिए भटकते रहें मरीज, मिली गलत दवाएं

सरकारी हस्पतालों में आए मरीज दवा के लिए भटकते नजर आए, कहीं फार्मेसी एक्ट का उलंघन करके किसी को दवाएं मिली तो गलत मिली, खाज खुजली की ट्यूब की जगह पाइल्स की ट्यूब पकड़ा दी गई। अधिकारीयों द्वारा जमकर फार्मेसी एक्ट का उलंघन कर मरीजों की सेहत से खिलवाड़ किया गया।