Monday, December 23

आपका जानना ज़रूरी है

सारिका तिवारी: पिंजोर, पंचकुला

स्वयंभू डॉक्टर, स्वयंभू नेता और स्वयंभू पत्रकारों के गठबंधन से पिंजौर में गैर मान्यता प्राप्त (नकली डॉक्टर) डॉक्टरों का धंधा पनप रहा है। खनन माफिया, भू माफिया, ड्रग माफिया के बाद पिंजौर में एक नया नाम उभरा है वह है इलाज अथवा डॉक्टर माफ़या। यहाँ फर्जी डॉक्टर ही नहीं अपितु फर्जी केमिस्ट धीरे धीरे लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए अपने पाँव पसार रहे हैं। मज़ेदार बात यह है की यदि आप एक डॉक्टर के खिलाफ खबर लगाने वाले होते हैं तो स्वयंभू पत्रकार और स्वयंभू नेता आपको धमकाने आ जाते हैं।

फर्ज़ी डिग्रीधारी तथाकथित पैरा मेडिकल और फर्ज़ी आरएमपी डॉक्टरों ने पिंजौर को अपनी कर्मस्थली बना लिया है औऱ जोरशोर से अपना धन्धा चमका रहै है। पिंजौर के लोहगढ़, बिटना रोड, नालागढ़, गवाही रोड इन डॉक्टरों से अटा पड़ा है।

जब www.demokraticfront.com की टीम ने सूचना मिलने पर कुछ इस तरह के डॉक्टर जो कि स्वयं को या तो आरएमपी या पैरामेडिकल व्यवसायी बताते हैं से बात चीत की और संवाददाता चेकउप के लिए गए तो बीमारी के बारे में पुष्टि किये बिना ही इंजेक्शन लगाने को तैयार हो गए। पूछे जाने पर उन्होंने कबूल किया कि उनके पास आरएमपी का न तो कोई पंजीकरण है और न ही दवाई की दुकान का लाइसेंस। कुछ ने तो यह भी बताया कि या तो वह हाइ स्कूल पास हैं या सहारनपुर से बिना परीक्षा में बैठे उन्हे पास का प्रमाणपत्र मिल गया।
इनमें ज़्यादातर ने सहारनपुर और पैरा मेडिकल कॉउन्सिल मोहाली से प्रमाणपत्र बनवाये हैं। ऐसा नहीं है प्रमाणपत्र बनवाने वाले इससे अनभिज्ञ हैं बल्कि वे स्वयं इस कारगुजारी में शामिल है और खरीदी हुई डिग्री से लोगों की जान से खिलवाड़ करके अपना गोरखधंधा चमका रहे हैं।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार नगर के जो इलाके अभी विकसित हो रहे हैं या जिन हिस्सों में दूसरे राज्यों से मेहनत मजदूरी करने आये लोग रहते हैं में ये लोग अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। ज़्यादातर लोग केमिस्ट की दुकान की आड़ में यह काम कर रहे हैं जिनके पास डिग्री चाहे असली है या नकली लेकिन उनके पास इंडियन फार्मेसी कौंसिल या राज्य फार्मेसी कौंसिल की प्रमाणिकता नहीं है जो कि उनकी डिग्री की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह है।

कुछ स्थानीय नेता जो कि किसी न किसी पार्टी से जुड़े हैं और किसी न किसी अखबार से जुड़े सिटीजन रिपोर्टर ( जो असल में अखबार के रोल पर नहीं हैं) फर्जीवाड़े को संरक्षण देते हैं और स्थानीय अधिकारियों और कुछ पुलिसकर्मियों और अवैध काम करने वालों के बीच की कड़ी बने हुए हैं।

चाहे वह कोई तथाकथित नेता हो या अधिकारी या फिर पुलिस केवल चन्द रुपयों के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। बहुत बार इन नीम हकीमों की वजह से लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है ऐसे में अपने निहित स्वार्थों में अँधे होकर कुछ रुपयों के लिए तथाकथित नेता और पुलिस कर्मी मामले को रफादफा कर देते हैं।

पैरा मेडिकल कौंसिल मोहाली पर सरकारी कार्यवाही भी हो चुकी हैं। बिना किसी परीक्षा के ये संस्थाएं लोगों को एक और दो लाख रुपये में फर्ज़ी डिग्री मोहय्या करवाते थे। सरकार ने इस बारे में अखबारों के माध्यम से अधिसूचित भी किया औए संस्था पर कार्यवाही की गई।