रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अदालत में पाञ्चजन्य के एक रिपोर्टर की रिपोर्ट को पढ़ा और बताया कि जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया तो जो स्लैब वहां से गिर रही थीं, उनमें संस्कृत भाषा में कुछ लिखा हुआ था। रिपोर्टर ने इसकी तस्वीर भी खींची थी, बाद में पुलिस ने उन स्लैब को जब्त कर लिया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या से स्लैब ASI के द्वारा इकट्ठा किया गया था? इस पर वैद्यनाथन ने कहा कि ये ASI रिपोर्ट में नहीं था, ASI काफी बाद में आई थी। रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मस्जिद को बनाने के लिए मंदिर तोड़ा गया था। उन्होंने ASI रिपोर्ट का हवाला देते हुए मगरमच्छ, कछुओं का भी जिक्र किया और कहा कि इनका मुस्लिम कल्चर से मतलब नहीं था।
रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि 1114 AD से 1155 AD तक 12वीं शताब्दी में साकेत मंडल का राजा गोविंदचंद्र था, तब अयोध्या ही उसकी राजधानी हुआ करती थी। उन्होंने बताया कि यहां विष्णु हरि का बहुत भव्य मंदिर था, पुरातत्वविदों ने इसकी पुष्टि भी की है। रामलला के वकील सीएस. वैद्यनाथन ने अदालत में बताया कि मुस्लिम पक्ष ने पहले कहा था कि जमीन के नीचे कुछ नहीं था, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि जो ढांचा मिला है वह इस्लामिक ढांचा है। उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, भूमि के नीचे मंदिर था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस रिपोर्ट पर भरोसा किया है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में अयोध्या केस की 8वें दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान की ओर से वकील सीएस वैद्यनाथन ने बहस शुरू की. उन्होंने सबसे पहले भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट का हवाला दिया. रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि जहां मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे एक विशाल निर्माण था और ASI की खुदाई में जो चीजें सामने आईं हैं उसके मुताबिक वह हिंदू मंदिर था.
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि बाबरी मस्जिद के नीचे जिस तरह का स्ट्रक्चर था, उसकी बनावट, उसके निर्माण के तरीके और उसमें भगवान के चिन्ह बताते हैं कि वहां पहले से मंदिर था, पहले मुस्लिम पक्ष मंदिर के स्ट्रक्चर को ही मना करता था, लेकिन बाद में वो कहने लगे कि स्ट्रक्चर तो था, लेकिन वो एक इस्लामिक स्ट्रक्चर की तरह था.
रामलला के वकील ने कहा कि संस्कृत वाले शिलालेख को विवादित ढांचा विध्वंस के समय एक पत्रकार ने गिरते हुए देखा था, इसमें साकेत के राजा गोविंद चंद्र का नाम है. साथ ही लिखा है कि ये विष्णु मंदिर में लगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या संस्कृत वाले शिलालेख जैसी चीजों को ASI ने इकट्ठा किया था? रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि ये ASI रिपोर्ट में नहीं था क्योंकि ASI रिपोर्ट काफी बाद में आई थी.
रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि अयोध्या में हर रोज़ त्यौहार का माहौल रहता है. रोज़ हज़ारों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए आते हैं, हज़ारों श्रद्धालु पूरी राम जन्मभूमि की परिक्रमा करते हैं.
जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि दक्षिण भारत के मंदिरों में पूजा करने के लिए पुजारियों के पास गर्भगृह होता है. लेकिन उत्तर भारत के मंदिरों में ऐसा नहीं है. वैद्यनाथन ने कहा कि मोहम्मद हाशिम ने कहा था कि जिस तरह मुसलमानों के लिए मक्का है उसी तरह हिंदुओं के लिए अयोध्या है.
रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि एक मुस्लिम गवाह ने कहा था कि अगर मंदिर गिरा कर मस्जिद बनाया गया होता तो मुस्लिम उसको मस्जिद नहीं मानेंगे, मस्जिद ज़बरदस्ती कब्ज़े में ली गई जमीन पर नहीं बनाई जा सकती है…सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि एक मुस्लिम गवाह ने कहा कि हिंदुओं का मानना है कि जन्मस्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ और इसलिए उसकी पूजा करते हैं. मुस्लिम गवाह मुहम्मद यसीन ने कहा था कि उसने मस्जिद में आखिरी बार नमाज़ को पढ़ते समय देखा था कि उन पत्थरों पर कमल और दूसरी तस्वीर है. जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि वह गवाह शिया था या सुन्नी? सीएस वैद्यनाथन ने जवाब दिया कि वह गवाह सुन्नी था.
रामलला विराजमान का पक्ष
इससे पिछली सुनवाई में रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कोर्ट को विवादित ज़मीन के नक्शे और फोटोग्राफ दिखाते हुए कहा था कि खुदाई के दौरान मिले खंभों में श्रीकृष्ण, शिव तांडव और श्रीराम की बालरूप की तस्वीरें नज़र आती हैं. वैद्यनाथन ने कहा था कि 1950 में वहां हुए निरीक्षण के दौरान भी तमाम ऐसी तस्वीर, ढांचे मिले थे, जिनके चलते उसे कभी भी एक वैध मस्ज़िद नहीं माना जा सकता. किसी भी मस्ज़िद में इस तरह के खंभे नहीं मिलेंगे.
रामलला विराजमान की तरफ से कहा गया था कि 1950 में निरीक्षण के दौरान वहां मस्जिद का दावा किया गया लेकिन उसके बावजूद ये पाया गया कि वहां कई ऐसी तस्वीरें, नक्काशी और इमारत थीं जो साबित करता है कि वो मस्जिद वैध नहीं थी. इस पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि कई पहलुओं को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है जो स्पष्ट नहीं हैं. रामलला विराजमान ने कहा था कि हमारी तरफ से सही उदाहरण और तथ्य पेश किए जा रहे हैं. पुरातात्विक विभाग (ASI) की रिपोर्ट वाली अल्बम की तस्वीरें- मेहराब और कमान की तस्वीरें भी वैद्यनाथन ने कोर्ट को दिखाई थी जो 1990 में खींची गई थी. उसमें कसौटी पत्थर के स्तंभों पर श्रीराम जन्मभूमि उत्कीर्ण है. तस्वीरों में भी साफ साफ दिखता है. कमिश्नर की रिपोर्ट में पाषाण स्तंभों पर श्रीराम जन्मभूमि यात्रा भी लिखा है.
श्रीराम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति (याचिका 9) शंकराचार्य की ओर से कहा गया था कि वो प्रिंस ऑफ वेल्स की यात्रा की याद में लिखा गया शिलालेख था. स्तंभों और छत पर बनी मूर्तियां, डिजाइन, आलेख और कलाकृतियां मंदिरों में अलंकृत होने वाली और हिन्दू परंपरा की ही हैं. मस्जिदों में मानवीय या जीव जंतुओं की मूर्तियां नहीं हो सकतीं. रामलला के वकील ने कहा था कि इस्लाम में नमाज़ व प्रार्थना तो कहीं भी हो सकती है. मस्जिदें तो सामूहिक साप्ताहिक और दैनिक प्रार्थना के लिए ही होती हैं. धवन ने कहा था कि मैंने ये कभी स्वीकार नहीं किया कि वहां मस्जिद नहीं थी. जवाब में रामलला विराजमान ने कहा था कि मुस्लिम पक्षकार के वकील के हवाले से उनकी तरफ से कुछ नहीं कहा गया.
रामलला के वकील ने कहा था कि जन्मस्थल पर नमाज इसलिए पढ़ी जाती रही जिससे उन्हें इस पर कब्जा मिल जाए. इस नमाज़ में विश्वास का पूर्ण अभाव था. नमाज़ सड़क पर भी पढ़ी गई तो क्या वह मस्जिद बन जायेगी. सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन से यह साबित करने के लिए कहा था कि ‘बाबरी मस्जिद का निर्माण जिस ढांचे पर हुआ था वह मंदिर या किसी भी प्रकार का धार्मिक ढांचा था. वैद्यनाथन ने जवाब दिया था कि भूमिगत ढांचा बहुत विशाल था. ASI की रिपोर्ट से साफ है कि मस्जिद किसी खाली पड़ी ज़मीन या एग्रीकल्चर ज़मीन पर नहीं बनी, मस्जिद एक बहुत बड़े ढांचे के ऊपर बनी. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि पिछली सदियों में सभ्यताओं को नदी के किनारे बसते हुए देखा है. जहां लोगों ने पहले से मौजूद संरचनाओं पर निर्माण किया है. लेकिन साबित करें कि कथित खंडहर या ध्वस्त इमारत (जिस पर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी) प्रकृति में धार्मिक थी.
रामलला विराजमान की तरफ से कहा गया था कि विवादित स्थल की खुदाई से मिले पुरातात्विक अवशेष से साफ पता चलता है कि ये किसी उत्तर भारतीय मंदिरों के स्थापत्य शैली वाले ही हैं. मस्जिद का निर्माण पौराणिक, ऐतिहासिक इमारत के ऊपर सीधे किया गया. पुरातत्व ने पाया था कि विवादित स्थल पर मस्जिद रामजन्म भूमि के ढांचे के ऊपर की गई. बड़े पैमाने पर विशेषज्ञों की निगरानी में रामजन्म भूमि पर पुरातत्व विभाग ने खुदाई की और यह भी स्पष्ट कर दिया था कि कौन से पत्थर किस सदी के हैं. विराजमान के वकील सीके वैद्यनाथन ने कहा था कि ऐसे ही तथ्यों के आधार पर हाई कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला था कि रामजन्म भूमि पर मस्जिद का निर्माण किया गया.
रामलला विराजमान ने ये भी कहा था कि पुरातत्व की रिपोर्ट के मुताबिक 17 कतारें थी. हरेक कतार 5 खंभों पर टिकी हुई थी. इस रिपोर्ट में इतनी सामग्री है जिससे साफ होता कि मस्जिद का निर्माण धार्मिक नहीं कुदृष्टि से दूसरे धर्म को कुचलने के लिए किया गया था. बड़ा ढांचा था विवादित मस्जिद के नीचे. 2003 में दो खंडों में दाखिल की गई पुरातत्व कि रिपोर्ट में सभी विशेषज्ञों ने विवादित स्थल पर मस्जिद की मौजूदगी से पहले उसके नीचे मौजूद ढांचे होने का तथ्य दिया जिसमें पूरा ढांचे की दीवार दर दीवार और खंभों का जिक्र किया गया. कोर्ट ने कहा था कि चिड़िया, खंभे कहां स्पष्ट करते हैं कि कोई धार्मिक ढांचा था. रामलला विराजमान ने कहा था कि बहुत सामग्री इस निष्कर्ष पर पहुंचाती हैं जो विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में स्पष्ट किया. रामलला विराजमान के वकील ने कोर्ट को बताया था कि ASI की रिपोर्ट के बाद वो गवाहों के बयान अदालत में रखेंगे.उसके बाद उनकी बहस पूरी हो जाएगी और इसमें करीब 4 घंटे लग सकते हैं.