श्रीनगर: कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर विजय पाने में भारतीय सेना के लिए बोफोर्स तोप काफी मददगार साबित हुआ था. अब शनिवार को जब भारतीय फौज ने एक बार फिर से बोफोर्स का मुंह खोला तो पाकिस्तानी सेना और आतंकियों की शामत आ गई. सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार और शनिवार के बीच पाकिस्तान की ओर से आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल होने की फिराक में थे. इस दौरान पाकिस्तानी सेना की सह पर काम करने वाले बर्बर लड़ाकों की फौज BAT उन्हें बैकअप दे रही थी. तभी भारतीय जांबाजों ने बोफोर्स से मुंहतोड़ जवाब दिया.
सूत्रों का कहना है कि जब बोफोर्स तोप से गोले दागे जाने लगे तो पाकिस्तान की सारी तैयारी धरी की धरी रह गई. बोफोर्स से निकलने वाला हरेक गोला पाकिस्तानी खेमे को तहस-नहस कर गया. बोफोर्स के वार में सीमापार के कई आतंकी कैंपों को भी नुकसान पहुंचा है. साथ ही बैट (BAT) यानी पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम के करीब 7 लड़ाके भी ढेर हो गए हैं. भारत ने सबूत के तौर पर इसकी तस्वीर भी जारी की हैं.
सेना के सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तानी खेमे को अंदाजा ही नहीं था कि भारत बोफोर्स से जवाबी कार्रवाई करेगा. जवाबी कार्रवाई के दौरान ऐसा लगा मानो बोफोर्स के हरेक फायर की गूंज से पाकिस्तान के बुजदिल सैनिकों का कलेजा बैठ रहा हो. बोफोर्स के फायर का उनकी ओर से कोई जवाब ही नहीं आया.
भारत ने पाकिस्तान को मृत सैनिकों के शव ले जाने का प्रस्ताव दिया
भारतीय सेना ने रविवार को पाकिस्तानी सेना को उसके मृत सैनिकों के शव ले जाने का प्रस्ताव दिया है. ये सैनिक जम्मू एवं कश्मीर में घुसपैठ करने के प्रयास के दौरान मारे गए थे. भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा, ‘पाकिस्तानी सेना को सफेद झंडा लेकर आने और भारतीय सीमा में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के शव उनके अंतिम संस्कार के लिए ले जाने का प्रस्ताव दिया गया है.’ सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान ने अभी इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
यह घटना 31 जुलाई और एक अगस्त की रात में केरन सेक्टर की है जब पाकिस्तान बॉर्डर एक्शन की एक टीम (बैट) ने भारत में घुसपैठ करने की कोशिश की थी. सूत्रों ने शनिवार को कहा कि पांच से सात आतंकवादी और संभवत: एसएसजी कर्मी मारे गए थे. चार शव नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अभी भी खुले में पड़े हैं.
पिछले एक सप्ताह में राज्य में एलओसी पर अशांति फैलाने के लिए संघर्ष विराम के उल्लंघन के साथ-साथ घुसपैठ और बैट की कोशिशों के मामले बढ़ गए हैं. इन घटनाओं के बाद अमरनाथ यात्रा को दो सप्ताह पहले ही रोक दिया गया और श्रद्धालुओं तथा पर्यटकों को घाटी से जाने का निर्देश दिया गया है.