उत्तराखंड में 7797 ग्राम पंचायत 95 क्षेत्र पंचायत और तेरह जिला पंचायत है इन पंचायतों का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो चुका है. उत्तराखंड में अब एक बार फिर चुनावी घमासान शुरू होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार समय पर क्यों चुनाव नहीं करवा पाई. और क्यों नैनीताल हाईकोर्ट को बीच में आदेश जारी करना पड़ा. shayad शायद भाजपा जो पूर्वोत्तर राज्यों में निकाय चुनाव जीतती जा रही है वह उत्तराखंड में कहीं हार न जाये?
उत्तराखंड: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार जागी है. कोर्ट ने राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर पंचायत चुनाव करने के निर्देश दिए हैं. इस बीच सरकार की तरफ से आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है. राज्य निर्वाचन आयोग भी अपनी तैयारियों में जुट गया है . इस बार की खास बात यह है कि जिनके दो बच्चों से ज्यादा हैं वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसके लिए सरकार की तरफ से विधानसभा से एक्ट पास करवाया जा चुका है. उत्तराखंड में 7797 ग्राम पंचायत 95 क्षेत्र पंचायत और तेरा जिला पंचायत है इन पंचायतों का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो चुका है.
अब प्रशासक पंचायतों को देख रहे हैं. इस बीच सरकार ने पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया है. उत्तराखंड में पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% पद आरक्षित होते हैं. इसके अलावा जातिवाद आरक्षण के लिए भी शासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. अगले हफ्ते तक आरक्षण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी हो सकती है.
सरकार को अगले डेढ़ महीने में पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करना होगा तभी सरकार नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 महीने में चुनाव संपन्न करा पाएगी. इस बार पंचायतों में शैक्षिक योग्यता भी तय हो चुकी है. सामान्य वर्ग के दावेदारों का चुनाव लड़ने के लिए 10वीं पास होना जरूरी होगा. जबकि अनुसूचित जाति जनजाति के दावेदारों का आठवीं पास होना जरूरी है.
अनुसूचित जाति जनजाति की महिला दावेदार के लिए कम से कम पांचवी पास होना जरूरी है. उत्तराखंड बीजेपी के महामंत्री अनिल गोयल का कहना है कि “हमारा इस समय सदस्यता अभियान चल रहा है. इसके साथ-साथ हमारी चुनाव लड़ने के लिए पूरी तैयारी है.
जिस दिन भी सरकार अधिसूचना जारी कर देगा उसी समय हम चुनाव के लिए तैयार हो जाएंगे.” दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता और पूर्व विधायक गणेश गोदियाल का कहना है की “प्रदेश अध्यक्ष ने पहले ही जिला कार्यकारिणी यों को चुनाव के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है. सरकार समय से चुनाव कराने में विफल रही है.
यही वजह है कि नैनीताल हाईकोर्ट को इसमें निर्देश देना पड़ा है “. उत्तराखंड में अब एक बार फिर चुनावी घमासान शुरू होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार समय पर क्यों चुनाव नहीं करवा पाई. और क्यों नैनीताल हाईकोर्ट को बीच में आदेश जारी करना पड़ा.