HUDA की आँखों में धूल झोंक कर पायी पदोन्नति बने क्लीनर से ड्राईवर

हरविंदर सिंह के अनुसार कर्मचारी यूनियन का इस खेल में बड़ी भूमिका है। जब से यह मामला संग्यान में आया है ओर इस पर लोकायुक्त का फैसला आरोपियों के खिलाफ आया है तब ही से इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। यूनियन का दबाव हरविंदर सिंह पर इस तरह भी डाला जा रहा है की वह(हरविंदर) इस मामले पर और कोई बनती कार्यवाई न करवाए न ही इसकी मांग करे। कर्मचारी यूनियन हरविंदर को हर तरह से रोकना चाहती है।

प्रश्न केवल पदोन्नति का नहीं है, अपितु इस पदोन्नति से मिले आर्थिक लाभ का भी है। अब जब विभागीय कार्यवाई के बाद धोखेबाज कर्मचारियों पर कार्यवाही होगी तब क्या उन्हें दिये आर्थिक लाभों को वापिस लिया जाएगा? और जिन योग्य कर्मचारियों को धता बता कर यह लोग पदों पर आसीन हुए क्या उन कर्मचारियों के साथ सरकार पूर्ण न्याय कर पाएगी?

यह तो हरियाणा के एक विभाग के एक डिपार्टमेंट का किस्सा है, जब खोजने पर आएंगे तो क्या पता कितने और ऐसे फर्जीवाड़े सामने आएंगे।

पंचकूला (अशोक वर्मा/ पंकज गुप्ता)

हरियाणा सरकार में कर्मचारी जाली कागजों के आधार पर जब चाहे पदोन्नति लें या दूसरे सरकारी लाभ उनको पूछ्ने वाला कोई नहीं। पूछने की बात तो दूर विजिलेंस और लोकायुक्त की जाँच और आदेशों की सरेआम अवहेलना करना हुडा और अन्य सरकारी विभागों में सामान्य सी बात है।

कलीनर से ड्राइवर बनने के लिए जाली लाइसेंस हों या जन्म तिथि का जाली प्रमाण पत्र।

ऐसे मामलों में से एक मामला है हुडा का जिसमे सुब्रमण्यम, धर्मपाल और कृष्ण नामक व्यक्तियों का जिन्होने जाली दस्तावेजों के आधार पर पदोन्नति हासिल की । वर्ष 2012 में 24 अक्टूबर को क्लीनर से ड्राईवर के लिए साक्षात्कार हुए साक्षात्कार समिति के चेयरमैन वाई एम मेहरा थे औऱ उम्मीदवारों द्वारा समिति के समक्ष पदोन्नति के लिए ज़रूरी प्रमाणपत्र प्रस्तुत किये गए जिसके बाद उपरोक्त व्यक्ति पदोन्नत किये गए।

शिकायतकर्ता हरविंदर सिंह ने लोकायुक्त और मुख्य अभियंता को दी शिकायत में आरोप लगाया कि एक क्लीनर सुब्रामण्यम नामक व्यतिओ ने साक्षात्कार के समय जो दस्तावेज़ मुहैया करवाए वह फर्जी पाये गए सुब्रामाण्यम के जन्मतिथि प्रमाण-पत्र के अनुसार और शपथ पत्र दिया कि वह अनपढ़ है और जन्मतिथि प्रमाणपत्र जो कि 31 मई 1983 का बना है और 3 अगस्त 1993 को उसकी नौकरी पक्की की गई।

वर्ष 2012 में 17 अगस्त को सुब्रमण्यम द्वारा एक दस्तावेज में बताया कि वह आठवीं पास है जबकि उसकी सीनियरिटी लिस्ट में उसे अनपढ बताया गया है। इतना ही नहीं जन्म प्रमाणपत्र के अनुसार उसके माता-पिता उससे केवल 8 वर्ष बड़े दिखाए जा रहे हैं। विभाग से वर्षों से सुब्रमण्यम धोखाधड़ी कर रहा है। परन्तु आजतक विभाग ने कोई वेरिफिकेशन नहीं की ।

इसके अतिरिक्त नामक क्लीनर धर्मपाल जिसे विभागीय जांच के बाद फिर से क्लीनर बना दिया गया था ने नागालैंड सरकार द्वारा जारी किए गए ड्राइविंग लाइसेन्स अपने निवेदन पत्र के साथ लगाया था। जबकि आरटीआई से जानकारी लेने पर नागालैंड सरकार की ओर से ऐसे किसी भी व्यक्ति को लाइसेन्स जारी किए जाने से इंकार किया गया है। हालांकि कि शिकायतकरता ने नागालैंड सरकार द्वारा जारी पत्र जिसमे उक्त व्यक्ति को ड्राइविंग लाइसेंस न होंने की पुष्टि की है।

कृष्ण नामक व्यक्ति ने अपने अनुभव प्रमाण पत्र के रूप में जो दस्तावेज़ विभाग को सौंपा है वह सिंगला एक्सपोर्ट सेंटर प्लॉट न॰ 672 सैक्टर 4 करनाल का है। परन्तु जाँच क़े बाद सामने आया कि कृष्ण ने कभी भी करनाल की इस कम्पनी के साथ काम नहीं किया। इतना ही नहीं हरविंदर सिंह का आरोप है कि हैवी वेहिकल प्रशिक्षण के लिए अरनेड लीव लेकर गया था परन्तु विभाग से permission नहीं ली गई । इसी licence के आधार पर कृष्ण सिंह को तरक्की दी गई जो कि सरासर गलत है।

हरविंदर सिंह के अनुसार कर्मचारी यूनियन का इस खेल में बड़ी भूमिका है। जब से यह मामला संग्यान में आया है ओर इस पर लोकायुक्त का फैसला आरोपियों के खिलाफ आया है तब ही से इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। यूनियन का दबाव हरविंदर सिंह पर इस तरह भी डाला जा रहा है की वह(हरविंदर) इस मामले पर और कोई बनती कार्यवाई न करवाए न ही इसकी मांग करे। कर्मचारी यूनियन हरविंदर को हर तरह से रोकना चाहती है।

आज जब demokraticfront.com की टीम ने हरविंदर सिंह से बात करने की कोशिश की तो उसका फोन सेवा में नहीं का संदेश आ रहा था, यह संयोग भी हो सकता है।

उक्त मामलों में तीनो कर्मचारियों ने सरकार से धोखाधड़ी की है परन्तु विभागीय स्तर पर भी कर्मचारियों और अधिकारियों की बड़ी लापरवाही रही है या फिर मिलीभगत है इन तीनों मामलों पर लोकायुक्त ने 23 मई 2019 धारा 420, 467 और 468 के तहत पुलिस कार्यवाई और धारा 7 के तहत विभागीय कार्यवाई करने के निर्देश दिये हैं। परन्तु आजतक कोई कार्यवाही नहीं हुई।

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