जौहर यूनिवर्सिटी की 7 हेक्टेयर ज़मीन का पट्टा निरस्त
जमीन के इस पट्टे को एसडीएम सदर की कोर्ट ने निरस्त किया. कोर्ट ने यह भी माना कि इस जमीन को गलत तरीके से लीज पर दिया गया था.
ब्यूरो: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से सांसद आजम खानकी मुश्किलें रोज बढ़ती जा रही है. ससंद में बीजेपी महिला सांसद पर की विवादित टिप्पणी के बाद जहां, वह दो दिन से संसद में विभिन्न दलों के सांसद ने उन पर निशाना साधा हुआ है. वहीं, जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन के मामले पर भी उनकी मुसीबतें कम होना का नाम नहीं ले रही है. एसडीएम सदर कोर्ट ने आजम खान के जौहर यूनिवर्सिटी की 7 हेक्टेयर जमीन का पट्टा निरस्त कर दिया गया है.
तहसीलदार ने निरीक्षण के दौरान पकड़ा घोटाला
जानकारी के मुताबिक, 7.135 हेक्टेयर जमीन का पट्टा निरस्त किया गया है. यह मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के संयुक्त सचिव नसीर अहमद खान के नाम से लीज पर दी गई थी. जौहर यूनिवर्सिटी जमीनी घोटाला सामने आने के बाद ये मामला सामने आया और तहसीलदार ने निरीक्षण के दौरान इसमें घोटाला पकड़ा, जिसके बाद जांच की गई और जमीन के इस पट्टे को एसडीएम सदर की कोर्ट ने निरस्त कर दिया.
60 रुपये में लीज पर दी है ये जमीन
ये जमीन सपा सरकार मैं 24 जून 2013 को 30 साल के लिए मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के सन्युक्त सचिव नसीर अहमद खान के नाम से लीज पर दी गई थी. वो भी सिर्फ 60 रुपये में. ज़मीन गलत तरीके से लैंड यूज़ चेंज करके दी गई थी. जबकि यह कोसी नदी छेत्र की रेत की ज़मीन थी. जो सार्वजनिक उपयोग की भूमि है इसलिए इस ज़मीन को पट्टे पर नहीं दिया जा सकता है. लेकिन उस समय के कर्मचारियों और अधिकारियों ने इसे नवीन परती भूमि बताते हुए शासन को ग़लत रिपोर्ट भेजी.
कोर्ट ने ये कहा…
कोर्ट ने कहा कि यह कोसी नदी क्षेत्र की रेतीली जमीन है, जो सार्वजनिक उपयोग की है. कोर्ट ने यह भी माना कि इस जमीन को गलत तरीके से लीज पर दिया गया था.
गेट तोड़ने का दिया आदेश
आपको बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने 15 दिन में पीडब्ल्यूडी की रोड पर से अवैध कब्जा खाली करने और क्षतिपूर्ति के रूप में 3 करोड़ 27 लाख 60 हज़ार रुपये जमा किए जाने ने के आदेश दिए हैं.
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