एसवाईएल और समर्थन मूल्य हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन का मुख्य मुद्दा
चंडीगढ़:
एस.वाई.एल नहर का पानी, राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी व् अन्य राजमार्गो के निर्माण में ज़मीन अधिग्रहण में उचित मुआवज़ा, फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी तथा अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को ले किया जा रहा ‘हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन’ तेज़ हो गया है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता रमेश दलाल ने गुरुवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर आंदोलन की जानकारी साँझा की। रमेश दलाल ने बताया कि 28 जुलाई को जुलाना (जिला जींद ) में हरियाणा स्वाभिमान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमे प्रदेश के सभी शहरो, गाँवों, खापों, सामाजिक संगठनो इत्यादि को बुलाया जा रहा है। आंदोलन में आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर रमेश दलाल ने बताया कि आम आदमी को जगाने के लिए विभिन्न टीमो को गठन किया गया है जो प्रदेश के कोने कोने में जा कर लोगो को संगठित कर रही है तथा आंदोलन में आगे की रणनीति का फैसला 28 जुलाई की हरियाणा स्वाभिमान महापंचायत में लिया जाएगा। रमेश दलाल का यह भी कहना है कि हरियाणा सरकार ने आम आदमी की आवाज़ को अनसुना किया तो 28 जुलाई को होने वाली महापंचायत में कोई कड़ा फैसला लिया जा सकता है।
एस.वाई.एल नहर का मुद्दा उठाते हुए रमेश दलाल ने कहा कि जब तक हरियाणा को एस.वाई.एल नहर से उसके हक़ का पानी नहीं मिलेगा तब तक हमारे खेत व् आम आदमी पानी को तरसता रहेंगे। बार बार सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी एस.वाई.एल मुद्दे पर हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया जा चुका है, लेकिन पंजाब मनमानी कर रहा है तथा हमे हमारा अधिकार नहीं मिल रहा है। रमेश दलाल का कहना है कि हम 50 साल से अपने अधिकार के पानी के लिए इंतज़ार कर रहे है लेकिन अब समय आ गया है की हर हरियाणा वासी को संगठित कर आंदोलन के लिए ज़मीन पर उतरा जाए। साथ ही हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन में आगरा नहर से मिल रहे कम पानी का मुद्दा भी उठाया जायेगा। रमेश दलाल ने बताया कि आगरा नहर से जो पानी का हिस्सा हमे उत्तर प्रदेश से मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है, जिस से फरीदाबाद, पलवल, मेवात पानी की समस्या से प्रभावित है। आगरा नहर के प्रबंधन समिति में हरियाणा को उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, जिस से उत्तर प्रदेश सरकार पानी के मामले में मनमानी ना कर सके।
पानी के अलावा, फसल के उचित दाम की मांग, हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन का मुख्य मुद्दा होगा। धान, कपास व् बाजरे के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की मांग रखते हुए रमेश दलाल ने कहा की सरकार द्वारा दी जा रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य तो फसल के लागत मूल्य से भी कम है। उदहारण के तौर पर, धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य केवल 1815 रूपये है जबकि किसने को 2000 रूपये लागत मूल्य पड़ता है। वही बाजरे व् कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य केवल 2000 व् 5255 रुपये है। इसलिए धान व् बाजरे का 3000 रूपये व् कपास का 7500 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। साथ ही सरकार यह भी सुनिश्चित करे की मंडी में पहुँचने वाला एक भी दाना समर्थन मूल्य से नीचे ना खरीदी जाए।रमेश दलाल का कहना है कि सरकार समर्थन मूल्य तो घोषित कर देती है लेकिन मंडी में किसानो को फसल समर्थन मूल्य से भी नीचे बेचनी पड़ती है, ऐसे में हमारी मांग है कि सरकार कानून बना कर किसानो की पूरी फसल को समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी दे।
राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी व् अन्य राष्ट्रिय राजमार्गो के निर्माण में हो रहे ज़मीन अधिग्रहण में किसानो को उचित मुआवज़े की मांग भी हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन में मुख्य मांगो में से एक है। रमेश दलाल का कहना है कि ज़मीन अधिग्रहण करते हुए सरकार द्वारा ज़मीन के मार्किट रेट निर्धारण में गड़बड़ी की जाती है जिससे किसानो को उचित मुआवज़ा नहीं मिलता।
हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन में पूर्व में रहे सभी जिला पार्षद, शहरी पार्षद, ब्लॉक समिति मेंबर व गांव के पंचों की पेंशन की मांग भी उठाई जा रही है। रमेश दलाल का कहना है कि हाल में सरकार ने पूर्व सरपंचों व जिला परिषद तथा ब्लॉक समिति के पूर्व चेयरमैन व वाईस-चेयरमैन की पेंशन की घोषणा की है लेकिन सरकार ने जिला परिषद, ब्लॉक समिति के मेंबर व शहरी पार्षद तथा पंचों को यह सुविधा नही दी। इस तरीके से भेदभाव करना, ना सिर्फ मेम्बरों के साथ अन्याय है बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 की भी अवेहलना है।
हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन के अन्य मुख्य मुद्दे होंगे मेट्रो रेल का सांपला, खरखौदा, सोनीपत, बादली व् पलवल तक विस्तार, पूरे बहादुरगढ़ ब्लॉक की आर जोन (रेजिडेंशियल जोन) की घोषणा, के.एम.पी एक्सप्रेसवे से बहादुरगढ़-झज्जर रोड पर प्रवेश व् निकास एंट्री, के.एम.पी एक्सप्रेसवे के साथ बनने वाली रेलवे लाइन के लिए ज़मीन अधिग्रहण के.एम.पी से दो एकड़ के अंदर होना चाहिए ताकि किसान की ज़मीन ख़राब ना हो और उन्हें ज़मीन का दुगना मुआवज़ा मिल सके। रमेश दलाल का कहना है कि सरकार के.एम.पी एक्सप्रेसवे से दो एकड़ की दूरी पर रेलवे लाइन बनाना चाहती है ताकि किसानो की ज़मीन को आधे रेट पर लिया जा सके।
गौरतलब है कि दादरी व् जींद ज़िले के बाद अब बाघौत (महेंद्रगढ़), मंडोरा (सोनीपत) व् खरकड़ा (मेहम चौबीसी) में भी हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन के बैनर तले किसान धरने पर बैठ गए है। 28 जुलाई को होने वाली महापंचायत के तैयारियों के लिए विभिन्न टीमो का गठन किया गया है। जहां एक तरफ खाप प्रधानों, सरपंचों, ज़िला पार्षदों आदि को निमंत्रण भेजे जा रहे वही गांव-गांव जा कर लोगो को संगठित कर आंदोलन से जोड़ा जा रहा है। आंदोलन को देशभर से सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। महापंचायत में प्रदेश की सभी खापें हिस्सा लेंगी तथा बड़ी संख्या में पंचायती जन प्रतिनिधि (सरपंच, जिला पार्षद, ब्लॉक समिति सदस्य) भी पहुंचेंगे। रमेश दलाल का कहना है कि हरियाणा स्वाभिमान महापंचायत हरियाणा के इतिहास में सबसे बड़ी पंचायत होगी तथा हरियाणा की दिशा व दशा तय करने का काम करेगी। साथ ही रमेश दलाल ने दावा किया कि अगर सरकार ने हमारी मांगो को अनसुना किया तो अगस्त माह में हरियाणा का अब तक का सबसे बड़ा जन आंदोलन होगा जिसमे 36 बिरादरी मिल कर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगी।
हरियाणा स्वाभिमान आंदोलन की मुख्य मांगे निम्नलिखित है:
1. एस.वाई.एल नहर में से हरियाणा को उसके हक़ का पानी मिले।
2. धान, बाजरा व् कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए तथा साथ में सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि किसान की पूरी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य सेनीचे ना खरीदी जाए।
फसल | न्यूनतम समर्थन मूल्य(रूपये प्रति क्विंटल) | हमारी मांग(रूपये प्रति क्विंटल) |
धान | 1815/- | 3000/- |
बाजरा | 2000/- | 3000/- |
कपास | 5255/- | 7500/- |
3. राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी और अन्य राजमार्ग के लिए हो रहे ज़मीन अधिग्रहण में सभी किसानो को उचित मार्किट मूल्य के अनुसार मुआवज़ा मिले।
4. पूरे बहादुरगढ़ ब्लॉक को आर जोन (रेजिडेंशियल जोन) घोषित किया जाए।
5. के.एम.पी एक्सप्रेसवे से बहादुरगढ़-झज्जर रोड पर प्रवेश व् निकास एंट्री बनाई जाए।
6. के.एम.पी एक्सप्रेसवे के साथ बनने वाली रेलवे लाइन के लिए ज़मीन अधिग्रहण के.एम.पी से दो एकड़ के अंदर होना चाहिए ताकि किसान की ज़मीन ख़राब ना होऔर उन्हें ज़मीन का दुगना मुआवज़ा मिल सके।
7. मेट्रो रेल का सांपला, खरखौदा, बादली, सोनीपत व् पलवल तक विस्तार किया जाए।
8. आगरा नहर से हरियाणा को उसके अधिकार के अनुसार पानी मिले ताकि फरीदाबाद, पलवल व् मेवात को उचित मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके।
9. पहले से अधिग्रत भूमि जिसका कब्ज़ा अभी भी किसानों के पास है, ऐसी भूमि को किसानों को वापिस किया जाए।
10. राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित पुराने मुआवज़े के जितने भी मामले Arbitration में लंबित पड़े है, उनका तुरंत निपटारा हो तथा किसानों को बढ़ा हुआ मुआवज़ा दिया जाए।
11. प्रत्येक खाप को सामाजिक कार्यो के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये की राशि दी जाए।
12. पूर्व में रहे सभी जिला पार्षदो, ब्लॉक समिति मेंबरो, शहरी (कारपोरेशन व कमेटी) मेंबरो, गांव के पंचों को पेंशन की सुविधा दी जाए।
13. खेल उपलब्धि पर मिलने वाले पुरस्कार व नौकरी के संबंध में पहली से चली आ रही खेल नीति को ही दोबारा से लागू किया जाए।
14. नेताजी सुभाषचंद्र बोस की फौज INA के फौजियों व उनके परिवारों को वह सारी सुविधाएं दी जाए जो दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों को मिलती है।
15. जुलाना किसान आंदोलन के दौरान, ड्यूटी पर तैनात हरियाणा पुलिस में ASI स्व. कुलदीप, निवासी बालसमंद गांव, आदमपुर, की दुर्घटना के कारण चलती ट्रेन केनीचे आने से मृत्यु हो गई थी।
हमारी मांग है कि स्व. कुलदीप के परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवज़ा व परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाए।
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