चंद्रयान-2 मिशन के प्रक्षेपण के समय कंट्रोल रूम में बैठे इसरो के अधिकारियों ने तनाव को अपने पास फटकने तक नहीं दिया और वह सतर्क बने रहे. विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक एस. सोमनाथ ने बताया, “तनावपूर्ण होने का कोई कारण नहीं था और हम हमेशा की तरह सतर्क थे.” चंद्रयान-2 के लिए उपयोग में लाए गए रॉकेट जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी एम-3) द्वारा हासिल की गई अतिरिक्त छह हजार कि. मी. की परिक्रमा के बारे में पूछे जाने पर सोमनाथ ने कहा, “यह रॉकेट अधिकतम ईंधन उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है.”
सोमनाथ ने कहा, “रॉकेट की बनावट सरल है. इसे विफलता को रोकने के लिए भी डिजाइन किया गया है. रॉकेट की लागत अन्य रॉकेटों की तुलना में कम है.” अंतरिक्ष में रॉकेट के उड़ान भरने के दौरान अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपनी कंप्यूटर स्क्रीन से चिपके हुए थे, मगर उनके चेहरे पर कोई तनाव दिखाई नहीं दे रहा था.
एक बार जब जीएसएलवी एम-3 चंद्रयान-2 को लेकर प्रक्षेपित किया गया तो वैज्ञानिकों ने उत्सकुता में अपनी सीट छोड़ दी. वह मुस्कुराए और एक दूसरे को बधाई दी. इस दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन सहित सभी मुस्कुरा रहे थे. जब रॉकेट आसमान की ओर बढ़ रहा था तो मीडिया सेंटर की छत पर इसरो के अधिकारी और मीडियाकर्मी ताली बजा रहे थे.यह लांचिंग देखने के लिए पास की इमारतों की छतों पर भी लोग मौजूद थे.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/3h496ed8_chandrayaan-2-launch-isro_625x300_14_July_19-2.jpg400650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-23 01:38:332019-07-23 01:40:04चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के पूरा समय वैज्ञानिक रहे तनावमुक्त
मिशन चंद्रयान-2 के तहत लैंडर विक्रम और रोवर 48 दिन बाद चांद पर उतरेंगे. यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विभिन्न शोध करेंगे। दक्षिणी ध्रुव के हिस्से में सोलर सिस्टम के शुरुआती दिनों के जीवाष्म होने के मौजूद होने की संभावनाएं हैं. चंद्रयान-2 चांद की सतह की मैपिंग भी करेगा. इससे उसके तत्वों के बारे में भी पता चलेगा. इसरो के मुताबिक इसकी प्रबल संभावनाएं हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर जल मिले.
नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज चांद पर शोध के लिए चंद्रयान-2 लॉन्च कर दिया है. इसरो ने इसे 44 मीटर लंबे और लगभग 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लांच व्हीकल- मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय-एम1) से लॉन्च किया है. इसके तहत लैंडर विक्रम और रोवर 48 दिन बाद चांद पर उतरेंगे. यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विभिन्न शोध करेंगे.
यह भारत का दूसरा चंद्र मिशन है. चंद्रयान-2 मिशन के तहत शोध यान चांद के उस हिस्से में उतरेगा जिसपर अभी तक कम ही शोध हुआ है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस दक्षिणी ध्रुव पर शोध से यह पता चलेगा कि आखिर चांद की उत्पत्ति और उसकी संरचना कैसे हुई. इस क्षेत्र में बड़े और गहरे गड्ढे हैं. यहां उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा कम शोध हुआ है.
दक्षिणी ध्रुव के हिस्से में सोलर सिस्टम के शुरुआती दिनों के जीवाष्म होने के मौजूद होने की संभावनाएं हैं. चंद्रयान-2 चांद की सतह की मैपिंग भी करेगा. इससे उसके तत्वों के बारे में भी पता चलेगा. इसरो के मुताबिक इसकी प्रबल संभावनाएं हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर जल मिले.
3.8 टन वजनी है चंद्रयान-2 भारत की ओर से चंद्रयान-2 का कुल वजन 3.8 टन (3,850 किलोग्राम) है. इस चंद्रयान-2 तहत एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर भी चांद पर जा रहे हैं. इनका नाम चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर है. चंद्रयान-2 22 जुलाई को लॉन्च हो गया है. लेकिन चांद की सतह पर इसका लैंडर विक्रम 7 सितंबर, 2019 को लैंड करेगा.
कुछ ऐसा है चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रयान-2 ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है. यह 3.2*5.8*2.1 मीटर बड़ा है. इसकी मिशन लाइफ 1 साल की है. पूरे चंद्रयान-2 मिशन में यही ऑर्बिटर अहम भूमिका निभाएगा. इसी के जरिये चांद की सतह पर उतरने वाले विक्रम लैंडर और धरती पर मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों के बीच संपर्क हो पाएगा. यह चांद की कक्षा पर मौजूद रहेगा. यह चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से मिली जानकारियों को धरती पर वैज्ञानिकों के पास भेजेगा.
8 उपकरणों से शोध करेगा ऑर्बिटर
1. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के पास चांद की कक्षा से चांद पर शोध करने के लिए 8 उपकरण रहेंगे. इनमें चांद का डिजिटल मॉडल तैयार करने के लिए टेरेन मैपिंग कैमरा-2 है. 2. चांद की सतह पर मौजूद तत्वों की जांच के लिए इसमें चंद्रययान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (क्लास) है. 3. क्लास को सोलर एक्स-रे स्पेक्ट्रम इनपुट मुहैया कराने के लिए सोलर एक्स-रे मॉनीटर है.
4. चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाने और वहां मौजूद मिनरल्स पर शोध के लिए इसमें इमेजिंग आईआर स्पेक्ट्रोमीटर है.
5. चांद के ध्रुवों की मैपिंग करने और सतह व सतह के नीचे जमी बर्फ का पता लगाने के लिए इसमें डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार है. 6. चांद की ऊपरी सतह पर शोध के लिए इसमें चंद्र एटमॉसफेयरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2 है.
7. ऑर्बिटर हाई रेजॉल्यूशन कैमरा के जरिये यह हाई रेस्टोपोग्राफी मैपिंग की जाएगी.
8. चांद के वातावरण की निचली परत की जांच करने के लिए डुअल फ्रीक्वेंसी रेडियो उपकरण है.
चांद पर 2 बड़े गड्ढों के बीच उतरेगा विक्रम चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की सतह पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान उतरेंगे. लैंडर विक्रम का वजन 1,471 किलोग्राम है. इसका नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर हुआ है. इसे 650 वॉट की ऊर्जा से ताकत मिलेगी. यह 2.54*2*1.2 मीटर लंबा है. चांद पर उतरने के दौरान यह चांद के 1 दिन लगातार काम करेगा. चांद का 1 दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यह चांद के दो बड़े गड्ढों मैजिनस सी और सिंपेलियस एन के बीच उतरेगा.
विक्रम के पास रहेंगे 4 इंस्ट्रूमेंट : लैंडर विक्रम के साथ तीन अहम इंस्ट्रूमेंट चांद पर शोध के लिए भेजे जाएंगे. चांद पर होने वाली भूकंपीय गतिविधियों को मापने और उसपर शोध करने के लिए एक खास इंस्ट्रूमेंट लगाया गया है. इसके अलावा इसमें चांद पर बदलने वाले तापमान की बारीक जांच करने के लिए भी खास उपकरण है. इसमें तीसरा उपकरण है लैंगमूर प्रोब. यह चांद के वातावरण की ऊपरी परत और चांद की सतह पर शोध करेगा. विक्रम अपने चौथे उपकरण लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर के जरिये वहां मैपिंग और दूरी संबंधी शोध करेगा.
6 टायरों वाला प्रज्ञान रोवर भी है खास चंद्रयान-2 के तहत चांद पर उतरने वाले लैंडर विक्रम के साथ ही वहां प्रज्ञान रोवर भी उतरेगा. प्रज्ञान रोवर एक तरह का रोबोटिक यान है. जो चांद की सतह पर चलकर वहां शोध करेगा. इसका वजन 27 किलोग्राम है. यह 0.9*0.75*0.85 मीटर बड़ा है. इसमें छह टायर लगे हैं जो चांद की उबड़खाबड़ सतह पर आराम से चलकर विभिन्न शोध कर सकेंगे. यह चांद की सतह पर 500 मीटर तक 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड कर रफ्तार से सफर कर सकता है. यह अपनी ऊर्जा सूर्य से प्राप्त करेगा. साथ ही यह लैंडर विक्रम से संपर्क में रहेगा.
2 विशेष उपकरण हैं प्रज्ञान के पास रोबोटिक शोध यान (रोवर) प्रज्ञान के पास दो विशेष उपकरण रहेंगे. रोवर प्रज्ञान अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्टोमीटर के जरिये लैंडिंग साइट के पास में चांद की सतह पर मौजूद वातावरणीय तत्वों के निर्माण संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए शोध करेगा. इसके अलावा लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप के जरिये भी प्रज्ञान सतह पर मौजूद तत्वों पर शोध करेगा.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/3h496ed8_chandrayaan-2-launch-isro_625x300_14_July_19-2.jpg400650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-23 01:27:242019-07-23 01:29:00जानें भारत ने क्यों चुना चाँद का दक्षिणी ध्रुव
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन, मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/Hindu-Panchang-1.jpg388997Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-23 01:06:482019-07-23 01:07:16आज का पांचांग
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