कर्णाटक संकट : इस्तीफ़ों की राजनीति
शनिवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस के जिन 11 विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दिया है, वे सब अलग-अलग कारणों से अपनी संबंधित पार्टियों से नाराज रहे हैं. कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले ज्यादातर बागी विधायक पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इस कारण सरकार पर मंडराते संकट के लिए परोक्ष रूप से सिद्धारमैया को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
बेंगलुरू: शनिवार को कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस सरकार के जिन 11 विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दिया है, वे सब अलग-अलग कारणों से अपनी संबंधित पार्टियों से नाराज रहे हैं. त्यागपत्र देने वाले कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या 9 है और सबकी नाराजगी गठबंधन सरकार की कार्यशैली से है. इनमें से ज्यादातर विधायकों की शिकायत इस बात से है कि मंत्रीपद के लिए उनकी अनदेखी की गई. कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले ज्यादातर बागी विधायक पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इस कारण सरकार पर मंडराते संकट के लिए परोक्ष रूप से सिद्धारमैया को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
रामलिंगा रेड्डी
इसमें सबसे बड़ा नाम रामलिंगा रेड्डी का है जो सिद्धारमैया सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं. उनको इस बार मंत्री पद नहीं दिया गया. रामलिंगा रेड्डी के साथ कम से कम तीन विधायक हैं जो रामलिंगा रेड्डी के गुट के हैं जो इस समय रामलिंगा रेड्डी के साथ हैं. सूत्रों के हवाले से ये भी खबर है कि यदि कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो इस धड़े को वापस लाया जा सकता है.
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रमेश जरकेहोली
वहीं कांग्रेस के दूसरे धड़े का नेतृत्व रमेश जरकेहोली कर रहे हैं. गोकाक से विधायक रमेश से मंत्री पद छीन कर उनके सगे भाई सतीश जरकेहोली को दे दिया गया था. रमेश तब से ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं और लगातार इस्तीफा देने की धमकी देते रहे हैं. इस समय में उनके साथ 4 अन्य बागी विधायक हैं और माना जा रहा है कि इस्तीफा स्वीकार होने के बाद ये गुट भाजपा में शामिल हो सकता है.
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एच विश्वनाथ
जेडीएस के तीन विधायकों का नेतृत्व एच विश्वनाथ कर रहे हैं. एक दौर में सिद्धारमैया को कांग्रेस पार्टी में शामिल कराने का श्रेय विश्वनाथ को जाता है पर जैसे-जैसे सिद्धारमैया कांग्रेस में मजबूत होते गये, वैसे-वैसे विश्वनाथ की अनदेखी करते रहे. नाराज विश्वनाथ जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) में शामिल हो गए. जेडीएस ने उनको प्रदेश अध्यक्ष तो बनाया पर इसके बावजूद अध्यक्ष के रूप में उन्हें न तो कोऑर्डिनेशन कमेटी में शामिल किया गया और ना ही मंत्री पद दिया गया. विश्वनाथ इन सबके पीछे सिद्धारमैया को दोषी मानते हैं. यही वजह है कि वो भी अपने समर्थक विधायकों के साथ इस सरकार को गिराना चाहते हैं.
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दलगत स्थिति
इस सियासी उठापटक के बीच यदि विधानसभा की दलगत स्थिति को देखा जाए तो स्पीकर को मिलाकर कुल 225 सीटें हैं. इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 113 सीटों का होगा.
यदि इसमें से स्पीकर को हटा दें तो कुल सीटें 224 होंगी.
मौजूदा स्थिति
BJP-105
कांग्रेस-79
जेडीएस-37
BSP-1
निर्दलीय -1
नॉमिनेटेड-1( वोट का अधिकार नहीं)
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के 78 में से अब तक 9 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. ( इनमें से आनंद सिंह पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं, बाकी 8 ने शनिवार को इस्तीफा दिया). दूसरी तरफ JDS के 37 में से 3 विधायकों ने इस्तीफा दिया.
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