हम पहले ही बात कर चुके हैं की काँग्रेस ज़िम्मेदारी डालती है उठाती नहीं। जब राजस्थान, मध्यप्रदेश ओर छत्तीसगढ़ के विधान सभा चुनाव जीते थे तो राहुल गांधी के नेतृत्व की जीत थी, लेकिन 6 महीने बाद ही जब लो सभा चुनाव हारे तब सारा दोष ‘EVM’ का था। अब दिल्ली में भी इनका(काँग्रेस) का यही हाल है। दिल्ली की राजनीति वैसे भी बहुत अंतर्कलह से भरी है, दीक्षित और चाको समेत दिल्ली कांग्रेस के नेता शुक्रवार को गांधी से मिले थे. गांधी ने उन्हें अगले साल के प्रारंभ में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एकजुट होकर काम करने की सलाह दी थी.
नई दिल्ली: दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित द्वारा पार्टी की सभी 280 ब्लॉक स्तरीय समितियां भंग किये जाने के अगले ही दिन एआईसीसी में राष्ट्रीय राजधानी मामलों के प्रभारी पीसी चाको ने इस फैसले को पलट दिया. इस कदम से दोनों नेताओं के बीच मतभेद का संकेत मिलता है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के पार्टी मामलों के प्रभारी चाको ने ब्लॉक समितियां को भंग करने पर स्थगन लगा दिया और अपने आदेश की प्रतियां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एवं दीक्षित को भेज दीं.
दीक्षित और चाको समेत दिल्ली कांग्रेस के नेता शुक्रवार को गांधी से मिले थे. गांधी ने उन्हें अगले साल के प्रारंभ में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एकजुट होकर काम करने की सलाह दी थी. दीक्षित ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की करार हार के कारणों का पता लगाने के लिए स्वयं द्वारा बनायी गयी समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए गांधी से भेंट के बाद ब्लॉक समितियां भंग कर दीं. शनिवार को कांग्रेस नेताओं का एक समूह कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल एवं चाको से मिला था और उसने ब्लॉक समितियां भंग करने के कदम का विरोध किया था.
वेणुगोपाल और चाको से भेंट करने गये चतर सिंह ने कहा, ‘‘हमने दोनों नेताओं से कहा कि ब्लॉक समितियां और उनके अध्यक्ष निर्वाचित हैं और वे विधानसभा चुनाव से पहले अचानक भंग नहीं की जा सकती हैं क्योंकि उनके बनने में ढेर सारा समय लगता है.’’ ऐसा लगता है कि कांग्रेस की दिल्ली इकाई अपने नेताओं के बीच मतभेद से उबर नहीं पायी है. दीक्षित विरोधी खेमे ने दावा किया है कि दीक्षित ने चाको से चर्चा किये बगैर ही इन समितियों को एकतरफा ढंग से भंग कर दिया.