Sunday, December 22

केरल में पिछले वर्ष हुए कई छात्र संघ के चुनावों में भाजपा की छात्रसंघ इकाई ने मोर्चा मार लिया था, इस बार केरल के निकाय चुनावों में मिली अप्रत्याशित जीत से भाजपा अभिभूत है। बंगाल में लोक सभा निकाय चुनावों में विजय प्राप्ति के पश्चात यह दूसरा राज्य है जहां से भाजपा के लिए सुहानी खबर आई है।

तिरुअनंतपुरम: लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद केरल में सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ ने स्थानीय निकाय के उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है. स्थानीय निकाय की 44 सीटों पर हुए उपचुनाव में एलडीएफ ने 22 सीटें अपनी झोली में डाली हैं. एलडीएफ ने छह सीटों को कांग्रेस नीत यूडीएफ से छीन लिया लेकिन वह सात सीटें यूडीएफ के हाथों हार भी गया. ये उपचुनाव गुरुवार को हुए थे.

इस उपचुनाव में बीजेपी के लिए भी खुशखबरी है. पार्टी ने पांच सीटों पर कब्जा जमाया है. यूडीएफ को 17 सीटें मिली हैं. राज्य में सत्तारूढ़ एलडीएफ का लोकसभा चुनाव में सफाया हो गया था और उसे 20 संसदीय सीटों में से एक सीट मिली थी. यूडीएफ ने 19 सीटें जीती थी. 

ये चुनाव 33 पंचायत वार्ड, छह ब्लॉक पंचायत वार्ड और पांच नगर पालिका वार्ड में हुए थे. 2015 में, एलडीएफ ने 591 में से 549 ग्राम पंचायत वार्ड, 152 ब्लॉक पंचायत वार्ड में से 90 में जीत हासिल की थी. इतना ही नहीं एलडीएफ ने 14 जिला पंचायतों में से 7 पर कब्जा जमाया था. नगरपालिका की बात करें तो पार्टी ने 87 नगरपालिकाओं में 44 पर फतह हासिल की थी.  

इस जीत से उत्साहित सीपीआई के राज्य सचिव कानम राजेंद्रन ने कहा हमारी पार्टी ने साबित कर दिया है कि केवल एक चुनाव में मिली हार से हमें खारिज नहीं किया जा सकता. इसी बीच, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि कई क्षेत्रों में बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा है. यह दिखाता है कि राज्य के लोगों में पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ रही है. पिल्लई ने आगे कहा, “बीजेपी की जीत दिखाती है कि केरल के लोगों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी की स्वीकार्यता बढ़ी है और लोग उनसे प्रभावित हैं.”