Sunday, December 22

लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के अपने फैसले पर अडिग राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय पर जवाबदेही तय करने के लिये किया और इससे पीछे हटने का कोई सवाल नहीं उठता. कॉंग्रेस में राहुल पर इस्तीफा वापिस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। अमेठी की हार ने राहुल को मजबूर कर दिया है की वह संसद में स्मृति ईरानी का एक हरे हुए प्रत्याशी की तरह सामना करें। अब बात आती है इस्तीफे को वापिस लेने की। काँग्रेस के क्षत्रप जो अपना गढ़ नहीं बचा पाये अपने बेटे बेटियों की सीट नहीं निकाल पाये उनकी भी नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि वह भी अपना अपना त्याग पत्र सौंपें, परंतु काँग्रेस में यह संभव नहीं। इसीलिए सभी क्षत्रप रहुल पर दबाव दाल रहे हैं कि वह उन्हे उनके नैतिक दायित्व का बोध न कराएं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के अपने फैसले पर अडिग राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय पर जवाबदेही तय करने के लिये किया और इससे पीछे हटने का कोई सवाल नहीं उठता. राहुल गांधी ने गुरुवार को पार्टी की हरियाणा इकाई के नेताओं के साथ बैठक को संबोधित करते हुए ये बातें तब कहीं जब नेताओं उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने और पार्टी का नेतृत्व जारी रखने का अनुरोध किया.

उन्होंने कहा, “मैंने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए इस्तीफा दिया है. मैं दूसरों को भी इस्तीफा देने के लिए नहीं कह सकता. यह उन पर है कि वे अपनी जिम्मेदारी लेना चाहते हैं कि नहीं.” उन्होंने कहा कि इस फैसले से वापस हटने का कोई सवाल नहीं उठता.

आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने नेताओं को स्पष्ट तौर पर कहा कि इस बारे में वे आपस में ही चर्चा करें, जिससे राज्य की इकाई विचित्र स्थिति में फंस गई. बहरहाल बैठक में आम चुनाव में खराब प्रदर्शन की वजहों और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गई.


सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में राज्य प्रभारी गुलाम नबी आजाद, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर, पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह यादव और कई अन्य नेता शामिल हुए. सूत्रों का कहना है कि अब गांधी 29 जून को महाराष्ट्र इकाई के नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक गांधी जल्द ही दिल्ली कांग्रेस के नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं. दरअसल, इन राज्यों में अगले कुछ महीनों के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं.