कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले अब्दुल सत्तार के दावों पर यकीन करें तो पार्टी की मुश्किलें महाराष्ट्र और भी बढ़ने वाली हैं. उनका दावा है कि कांग्रेस के 8-10 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं, जो कभी भी पार्टी छोड़ सकते हैं.
मुंबई:
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से हिचकोले खा रही महाराष्ट्र कांग्रेस को झटके पर झटके लग रहे हैं. महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण पाटिल ने इस्तीफा दे दिया है. उनके साथ ही पूर्व मंत्री अब्दुल सत्तार ने भी विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. अब्दुल सत्तार के दावों पर यकीन करें तो कांग्रेस की मुश्किलें यहां और भी बढ़ने वाली हैं. उनका दावा है कि कांग्रेस के 8-10 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं, जो कभी भी पार्टी छोड़ सकते हैं.
राधाकृष्ण पाटिल ने बेटे को अहमदनगर सीट से लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिलने के बाद ही पार्टी छोड़ने के बारे में संकेत दे दिए थे. उन्होंने 25 अप्रैल को ही विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद छोड़ दिया था. लोकसभा चुनाव प्रचार में भी राधाकृष्ण विखे पाटिल ने हिस्सा नहीं लिया. उनके बेटे सुजोय पाटिल पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं, क्योंकि उन्हें अहमदनगर से कांग्रेस का टिकट नहीं मिला था.
दरअसल अहमदनगर की सीट एनसीपी के कोटे में जा रही थी और एनसीपी किसी कीमत पर ये सीट छोड़ने को तैयार नहीं हुई. इससे मायूस होकर सुजोय विखे पाटिल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने के बाद बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में सुजोय को अहमदनगर से अपना उम्मीदवार बनाया और उन्हें जीत भी मिली. तभी से ये कयास लगाए जा रहे थे कि राधाकृष्ण विखे पाटिल कभी भी कांग्रेस का हाथ झटक सकते हैं. आखिरकार मंगलवार को राधाकृष्ण विखे पाटिल ने अपना इस्तीफा विधासनभा के स्पीकर को सौंप दिया.
हालांकि राधाकृष्ण विखे पाटील ने अपने अगले कदम के बारे में बताया नहीं है, लेकिन जिस तरह इस्तीफा देने के बाद वह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिले उससे साफ है कि उनके इरादे क्या हैं. सूत्रों की मानें तो राधाकृष्ण विखे पाटिल ना सिर्फ बीजेपी ज्वाइन करेंगे बल्कि महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के विस्तार में भी उन्हें जगह मिल सकती है.
इधर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं. हालांकि उनके इस्तीफे पर कांग्रेस हाईकमान ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है. महाराष्ट्र में कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं. कुछ ही महीने पहले दिग्गज नेताओं के छोड़ने से पार्टी की मुश्किलें और बढ़ने वाली है. इसका सीधा असर विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा.