राजनैतिक गलियारों में उठा पता तो चलती रहती है, लें सिद्ध दंपति जहां हों वहाँ सब कुछ ठीक हो ऐसा भी नहीं है। सिद्धू इमरान के कासीदे पढ़ कर ओर जन॰ बाजवा ए गले लग आर स्वयं को इंटरनेशनल खिलाड़ी मान बैठे और कैप्टन की सर-ए-आम बेइज्जती करते फिरते रहे। उनकी च्नावी सभाओं में पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के नारे तक लगे जिनकी उन्होने कभी भर्त्स्ना नहीं की। फिर चुनावों में अप्रत्यक्ष रूप से कैप्टन का बाहिशार किया। पंजाब में गले की बीमारी का बहन बनाया ओर पटना में “खामोश” की रैली को अपनी आवाज़ दी। ओर तो ओर डॉ॰ सिद्धू ने भी कैप्टन पर आरोपों की बौछार की। वैसे सिद्धू अपने कार्याल ए पहले दिन ही से विवादों में हैं चाहे वह न्के दफ्तर की renovation का मामला हो या फिर च्नावोन में बड़बोले पन का।
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनके मुखर मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच जारी गतिरोध का मुद्दा इस सप्ताह नई दिल्ली में राहुल गांधी के समक्ष उठाया जा सकता है. मुख्यमंत्री अमरिंदर लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी की आत्ममंथन बैठक के लिए फिलहाल दिल्ली में हैं और वह सोमवार शाम तक वापस लौट रहे हैं और वह गांधी से मिलने वापस दिल्ली जाएंगे. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, “मुख्यमंत्री इस सप्ताह के अंत तक राहुल गांधी से मिलने वाले हैं.”
मुख्यमंत्री और उनके स्थानीय निकाय मंत्री के बीच जुबानी जंग उस समय से शुरू है, जब अमरिंदर सिंह ने राज्य के शहरी इलाकों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि संसदीय चुनाव के दौरान उनके कदमों से न केवल उन्हें नुकसान हुआ है, बल्कि गांधी को भी.
दोनों के बीच ताजा विवाद की वजह अपवित्रीकरण के मुद्दे पर सिद्धू के विवादित बयान और उनकी पत्नी को चंडीगढ़ से टिकट न दिए जाने के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराना है. बठिंडा में अपवित्रीकरण के मामलों की जांच पर सिद्धू की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि मंत्री महोदय इस बात को स्पष्ट तौर पर नहीं समझ पाए कि एसआईटी का गठन विधानसभा ने किया है.
कांग्रेस बठिंडा सीट अकाली दल की उम्मीदवार हरसिमरत कौर से 21,772 मतों के मामूली अंतर से हार गई.