Saturday, December 21

तकरीबन हर चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा अनुछेद 370 और 35ए हटाने की बात करती है, इस बार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी चुनावों से पहले इन धाराओं को हटाने की आपनी प्रतिबद्धता दोहराई। पार्टी ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों के बाद अपने दम पर राज्य में सरकार बनाने का नेशनल कांफ्रेंस का दावा ‘खोखला’ है

जम्मू: बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई ने शनिवार को दावा किया कि जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों के लोग पार्टी को वोट देकर जल्द से जल्द संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को हटवाना चाहते हैं.  पार्टी ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों के बाद अपने दम पर राज्य में सरकार बनाने का नेशनल कांफ्रेंस का दावा ‘खोखला’ है.

बीजेपी ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की उधमपुर, जम्मू और लद्दाख सीट पर जीत दर्ज की है जबकि कश्मीर घाटी की सभी तीन सीटों श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस को जीत मिली थी.  नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा था कि प्रधानमंत्री विशाल बहुमत के बावजूद अनुच्छेद 35ए और 370 नहीं हटा सकते. 

इसपर बीजेपी की राज्य इकाई के प्रवक्ता ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) अनिल गुप्ता ने कहा, ‘अब्दुल्ला और नेशनल कांफ्रेंस के नेतृत्व के पास अनुच्छेद 35ए और 370 को लेकर बड़े-बड़े दावे करने के लिये जम्मू और लद्दाख का जनादेश नहीं है क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों के लोग इन अनुच्छेदों को जल्द से जल्द हटवाना चाहते हैं.’

‘कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 सबसे बड़ा अवरोधक’
इससे पहले बुधवार (22 मई) को भाजपा के महासचिव राम माधव ने कहा था कि कश्मीर को बाकी देश के साथ भावनात्मक तौर पर जोड़ने की राह में अनुच्छेद 370 सबसे बड़ा अवरोधक है. 

उन्होंने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को अलग-थलग विषय के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में स्थिति को संभालने की प्रक्रिया में जम्मू और लद्दाख बलि के बकरे बन गए हैं.’

माधव ने कहा कि घाटी के उन लोगों की हिफाजत होनी चाहिए जो भारत समर्थक भावनाएं रखते हैं. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण नहीं, जम्मू-कश्मीर के भारत के साथ आने के पत्र (इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन) पर दस्तखत के दिन ही कश्मीर भारत का अखंड हिस्सा बन गया.

माधव ने कहा कि कश्मीर के भारत से जुड़ने की वजह अनुच्छेद 370 नहीं है. कश्मीर के कुछ नेता देश में इस तरह की भ्रांति फैला रहे हैं. बाकी देश के साथ कश्मीर के भावनात्मक जुड़ाव में अनुच्छेद 370 सबसे बड़ा बाधक है.