Saturday, December 21

राजनैतिक ख़बरों के बीच जब समग्र उन्नति की बात आत है तो मन प्रफुल्लित हो उठता है। एक्ज़िट पोल या नतीजे कुछ भी हों भारत आगे बढ़ता रहेगा। मोदी ए आने से पहले चंद्रयान आ सपना देखा जा चुका था, मोदी के आने पर न केवल इसे अमली जमा पहनाया गया अपितु चंद्रयान 2 को भी साकार किया गया। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि अगला चंद्रयान-दो भारत के लिए ऐतिहासिक मिशन होने जा रहा है

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने सबसे महत्वाकांक्षी मिशन के तहत चंद्रयान-2 का 9 से 16 जुलाई के बीच प्रक्षेपण करने की तैयारी कर रहा है.  इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि छह सितंबर को चंद्रमा पर लैंडिंग की संभावना है . उन्होंने कहा,‘एक खास स्थान पर लैंडिंग होने जा रही है, जहां पर इससे पहले कोई नहीं पहुंचा है. ’

बुधवार को पीएसएलवी-सी 46 द्वारा रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह रीसैट-2 बी के सफल प्रक्षेपण के बाद सिवन ने कहा कि अगला चंद्रयान-दो भारत के लिए ऐतिहासिक मिशन होने जा रहा है . 

मिशन कंट्रोल सेंटर के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,‘इसरो का यह सबसे जटिल मिशन होने वाला है. यह इस साल नौ से 16 जुलाई के बीच होगा. ’ उन्होंने कहा कि एजेंसी छह सितंबर को चंद्रमा की सतह पर रोवर की लैंडिंग पर नजर रखेगी.  इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 दूसरा चंद्र अभियान है और इसमें तीन मॉडयूल हैं ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान).

रिसैट-2बी का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
बता दें इसरो ने पृथ्वी की निगरानी करने वाले उपग्रह रिसैट-2 बी को बुधवार को सफलतापूर्वक उसकी कक्षा में पहुंचा दिया. यह उपग्रह घने बादलों के बावजूद भी पृथ्वी की तस्वीरें ले सकेगा और इसके जरिए सीमा पार पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर निगरानी रखी जा सकेगी। साथ ही, इसने सैन्य एवं असैन्य क्षेत्रों में देश की निगरानी क्षमताओं को भी बढ़ाया है। ‘जासूस’ उपग्रह बताए जा रहे रिसैट-2 बी (रडार इमेजिंग सैटेलाइट-2बी) अपने पूर्ववर्ती रिसैट-2 का स्थान लेगा। 

उल्लेखनीय है कि आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए सीमा पार आतंकी ठिकानों में गतिविधियों की निगरानी करने में भारत ने रिसैट-2 का सक्रियता से उपयोग किया है। उस उपग्रह को 2009 में प्रक्षेपित किया गया था।