Sunday, December 22

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (न्याय) को लेकर पार्टी को शुक्रवार को नोटिस जारी किया. इस जनहित याचिका में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी के वादे को हटाने की मांग की गई है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिस याचिक को स्वीकार किया है वह याचिका बहुत साल पहले ही स्वत: संगयान से ले ली जानी चाहिए थी। लैपटाप, साइकल, राशन, कर्जा माफी इत्यादि। 72000 हों या मुफ्त राशन पानी, यह सब बंद होना चाहिए। न्यायालय का यह स्वागत योग्य कदम है, बस यह वकीलों की बहस ही में न उलझ कर रह जाये।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (न्याय) को लेकर पार्टी को शुक्रवार को नोटिस जारी किया. इस जनहित याचिका में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी के वादे को हटाने की मांग की गई है.

जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार की पीठ ने अधिवक्ता मोहित कुमार और अमित पांडेय द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया. अदालत ने कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को दो सप्ताह के भीतर अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. 

अदालत ने पूछा- इस तरह की घोषणा वोटरों को रिश्वत देने की कैटगरी में क्यों नहीं? क्यों न पार्टी के खिलाफ पाबंदी या दूसरी कोई कार्रवाई की जाए, अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग से भी जवाब मांगा, कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया, अदालत ने माना कि इस तरह की घोषणा रिश्वतखोरी व वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश है. 

याचिकाकर्ता की दलील थी कि चुनावी घोषणा पत्र में 72,000 रुपये न्यूनतम आय की गारंटी का वादा रिश्वत के समान है और यह जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है. एक राजनीतिक दल इस तरह का वादा नहीं कर सकता क्योंकि यह कानून और आचार संहिता का उल्लंघन है. इस याचिका में अदालत से चुनाव आयोग को निर्देश जारी कर कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी का वादा हटवाने का अनुरोध किया गया है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 13 मई तय की.