कांग्रेस का अग्निबाण अब शिव सेना के तूणीर से मोदी के लिए कांग्रेस ही के खिलाफ चलेगा। यूं तो शत्रुघ्न सिन्हा का जाना तय ही था परंतु एक ‘खामोश’ करवाने वाला सन्नाटा उनकी कमी को बार बार उजागर करता था। प्रियंका चतुर्वेदी के शिव सेना में शामिल होने से शत्रुघ्न सिन्हा की कमी काफी हद तक नहीं खलेगी। कांग्रेस की आत्ममुग्धता की पराकाष्ठा का नतीजा है प्रियंका चतुर्वेदी का इस्तीफा और झापड़ है शिव सेना में शामिल होना। कल ही से इसके कयास लगाए जा रहे थे की इस अग्निशामक दलों के लिए भय का कारण बनी प्रियंका अब भाजपा के किस घटक दल में शामिल होंगी? भाजपा के खिलाफ हमेशा मुखर रहने वाली प्रियंका के लिए कमाल थामना आसान राह नहीं थी, परंतु शिव सेना के शिव बन्धन में बंधना बनिस्पत आसान था। ख्म तो मोदी ही का है।
नई दिल्ली/मुंबई: लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को झटका देते हुए पार्टी की पूर्व प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. इसके थोड़ी देर बाद ही वह शिवसेना में शामिल हो गईं. शुक्रवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गईं. ठाकरे ने जल्दबाजी में बुलाए गए मीडिया कांफ्रेंस में उनका स्वागत किया और कहा कि वह खुश हैं कि ‘उन्होंने शिवसेना में शामिल होने का फैसला किया है.’
कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके शिवसेना में शामिल होने के बाद जब प्रियंका से पूछा गया अब वह बीजेपी की सहयोगी शिवसेना का हिस्सा हैं. ऐसे में क्या अब भी वह स्मृति ईरानी की डिग्री के खिलाफ उसी तरह हमलावर रहेंगी, जिस तरह से कांग्रेस में थीं. इस पर प्रियंका ने कहा, पिछले पांच साल में जब भी जरूरी हुआ शिवसेना ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है. जहां तक मेरी बात है तो मैं गाना गाती रहूंगी.
बता दें कि कुछ दिन पहले जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपना नामांकन दाखिल किया था, उस समय उन्होंने बताया था कि वह ग्रेजुएट नहीं हैं. इस पर तंज कसते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने एक गाना गाया था. यह सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था.
कांग्रेस पर लगाए उपेक्षा के आरोप…
इससे पहले उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने प्रियंका चतुर्वेदी को गुलदस्ता दिया और कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं की उपस्थिति में उन्हें ‘शिव बंधन’ धागा बांधा. इसके बाद चतुर्वेदी (39) ने कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किए जाने की घटना में उनका समर्थन नहीं करने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “मैंने बिना किसी स्वार्थ के कांग्रेस पार्टी की 10 वर्षो तक सेवा की. लेकिन, पार्टी ने मेरी शिकायत को दरकिनार कर दिया, जबकि यह मामला शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया गया था.”
चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं को दोबारा बहाल किए जाने को लेकर शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपना दर्द बयां किया था. चतुर्वेदी ने हालांकि स्वीकार किया कि वह मथुरा सीट की उम्मीदवारी को लेकर नजरअंदाज किए जाने से थोड़ी निराश थीं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस छोड़ने की मुख्य वजह उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना है.