Saturday, December 21

इस बार का चुनाव पढ़ाई और कड़ाही के बीच की लड़ाई है: कन्हैया कुमार। कन्हैया कुमार के इस ब्यान के जो भी मतलब निकले जाएँ वह सिरे से निरर्थक होंगे। कन्हैया कुमार का मानना है की जनता की लड़ाई जनता के पैसे से ही होनी चाहिए, तो कोई उनसे पूछे की वह आज तक डॉ॰ की उपाधि क्यों नहीं ले पाये। जबकि जनता का ही पैसा था जिस पर वह सालों जेएनयू में ऐश करते रहे।
जिस शोध कार्य के लिए इनहोने लाखों रुपये लिए क्या वह पूरा हो गया है?
यदि वह पूरा हो गया है तो उसका कीनिया को क्या लाभ हुआ?
या उस शोध कार्य का भारत को क्या लाभ हुआ?
और अब चुनाव लड़ने के लिए तत्पर होना।

कुछ भी कहें कन्हैया पर यह इबारत बिलकुल ठीक बैठती है

‘तालीम है अधूरी, मिलती नहीं मजूरी’

ऐसा प्रतीत होता है की कन्हैया कुमार को सिर्फ जनता के पैसे पर जीने की आदत हो गयी है.

बेगूसराय: मौजूदा लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) में बिहार की बेगूसराय सीट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को कड़ी टक्कर दे रहे जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने इस मुकाबले को पढ़ाई और कड़ाही के बीच की लड़ाई करार दिया. उन्होंने कहा कि एक ओर तो पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं और दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं.

लोकतंत्र पर खतरा
एनसीईआरटी की नौवीं कक्षा की किताब से लोकतंत्र का पाठ हटाए जाने के संदर्भ में वह कहते हैं, ‘‘अगर हम चुप रहें तो कल पूरे देश से ही लोकतंत्र को हटा दिया जाएगा.’’ चुनाव में जेएनयू प्रकरण और देशद्रोह को मुख्य मुद्दा बनाये जाने पर कन्हैया कुमार का कहना है, ‘‘अगर मैं देशद्रोही हूं, अपराधी हूं, दोषी हूं… तो सरकार मुझे जेल में क्यों नहीं डाल देती? अगर मैंने कुछ गलत किया है तब सरकार कार्रवाई करे. अगर मैं देशद्रोही हूं तो चुनाव कैसे लड़ रहा हूं?’’

देशद्रोह के आरोप बेबुनियाद
कन्हैया कुमार ने कहा,‘‘मेरा चुनाव लड़ना ही इस बात का सबूत है कि देशद्रोह के आरोप बेबुनियाद हैं. जनता सब जानती है. लोग वास्तविक मुद्दों पर बात करना चाहते हैं लेकिन भाजपा मनगढ़ंत मुद्दों की आड़ में लोगों को बांट रही है क्योंकि उसके पास जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है. पिछले पांच वर्ष में केंद्र सरकार ने कुछ भी ठोस नहीं किया इसलिए वह भ्रम फैला रही है.’’

भाकपा उम्मीदवार ने कहा कि साजिश करने वालों को देश की चिंता नहीं है बल्कि वे चाहते हैं कि ‘देश में न कोई बोले, ना सवाल करे.’ अपने चुनाव अभियान पर संतोष व्यक्त करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘मैं, खुद को मिल रहे जनसमर्थन से उत्साहित हूं और मुझे अपनी सफलता का पूरा भरोसा भी है. राजनीतिक लड़ाई में सच्चाई और ईमानदारी हो तो जनता का सहयोग अपने आप मिलता है.’’

महागठबंधन का सवाल
यह पूछे जाने पर कि अगर पूरा विपक्ष मिलकर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाता तो सीधी टक्कर होती, कुमार ने कहा, ‘‘भाजपा विरोधी मतों का विभाजन नहीं होगा… मुकाबला सीधा ही है.’’

राजनीति में प्रवेश संबंधी सवाल पर कन्हैया कुमार ने कहा ‘‘मैंने कुछ तय नहीं किया. संयोग और परिस्थितियां ही सब कुछ तय करती हैं. बेगूसराय में जन्म लेने के बाद मैंने सोचा नहीं था कि कभी दिल्ली जाऊंगा. दिल्ली पहुंच कर यह तय नहीं किया था कि जेएनयू जाऊंगा और छात्र संघ का अध्यक्ष बनूंगा. फिर मैं जेल भी गया. बेगूसराय से भाकपा उम्मीदवार बनना भी तय नहीं था.’’

चुनावी चंदे का मुद्दा
चुनावी चंदे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ‘‘मेरा मानना है कि जनता की लड़ाई जनता के पैसे से हो. मेरा पूरा अभियान जनता के सहयोग से ही चल रहा है. वैसे भी, यह लड़ाई तो पढ़ाई और कड़ाही के बीच है- एक तरफ पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं तो दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं.’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए भाकपा नेता ने कहा कि वह हर दिन 20 घंटे काम करते हैं और देश बर्बाद हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि एअर इंडिया, बीएसएनएल, एचएएल के बाद अब भारतीय डाक विभाग की भी हालत खराब हो गई है और उसे करोड़ों रुपये का घाटा हुआ है.

बेगूसराय का गणित
कभी कांग्रेस का गढ़ रही बेगूसराय सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के भोला सिंह ने राजद के तनवीर हसन को 58,335 मत से हराया था. भाकपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह 1,92,639 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

उससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के मोनाजिर हसन ने इस सीट पर भाकपा के कद्दावर नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को पराजित कर कब्जा जमाया था. वहीं 2004 में जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कांग्रेस की कृष्णा शाही को हराया था. इस सीट पर कांग्रेस ने अब तक आठ बार जीत दर्ज की है जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की.

बेगूसराय लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 19,53,007 है जिनमें 10,38,983 पुरुष और 9,13,962 महिला मतदाता हैं. इस सीट पर भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. इसके बाद मुसलमान, कुशवाहा, कुर्मी तथा यादव मतदाता हैं.

बिहार का लेनिनग्राद
‘बिहार का लेनिनग्राद’ और ‘लिटिल मॉस्को’ कहलाने वाला बेगूसराय गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है. इस लोकसभा सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कन्हैया कुमार का मुकाबला भाजपा के भूमिहार नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन से है. गिरिराज सिंह के बारे में कुमार ने कहा कि आम लोगों को उनके मंत्रालय तक का पता नहीं है और वे केवल अनाप-शनाप बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं.