दिल के छालों को कोई शायरी कहे तो परवाह नहीं
तकलीफ तो तब होती है जब लोग वाह वाह करते हैं
ऐसा ही कुछ आज ब्रिटेन की संसद में हुआ जब ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने अमृतसर के जलियांवाला नरसंहार कांड की 100वीं बरसी के मौके पर इस कांड को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर ‘शर्मसार करने वाला धब्बा’ करार दिया. टेरेसा मे को खेद है मगर माफी लायक नहीं। भारत बहुत से ऐसे नरसनहारों को सिने में दफन क्यी आगे बढ़ रहा है। हम अपने अतीत के काले पन्नों को भूले नहीं हैं परंतु जब कोई इस पर हाय तौबा मचाता है तब तकलीफ दोगुनी हो जाती है।
लंदन: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने अमृतसर के जलियांवाला नरसंहार कांड की 100वीं बरसी के मौके पर बुधवार को इस कांड को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर ‘शर्मसार करने वाला धब्बा’ करार दिया लेकिन उन्होंने इस मामले में औपचारिक माफी नहीं मांगी. ब्रिटेन की पीएम ने कहा कि जो कुछ भी हुआ उसका हमें बहुत दुख है.
हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रधानमंत्री के साप्ताहिक प्रश्नोत्तर की शुरूआत में उन्होंने औपचारिक माफी तो नहीं मांगी जिसकी पिछली कुछ बहसों में संसद का एक वर्ग मांग करता आ रहा है. उन्होंने इस घटना पर ‘खेद’ जताया जो ब्रिटिश सरकार पहले ही जता चुकी है.
क्या कहा ब्रिटेन की पीएम ने?
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मसार करने वाला धब्बा है. जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में जलियांवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे अतीत के इतिहास का दुखद उदाहरण है.’
ब्रिटेन की पीएम ने कहा कि जो कुछ भी हुआ उसका हमें बहुत दुख है. मुझे खुशी है कि आज ब्रिटेन-भारत के रिश्ते सहयोग, साझेदारी के हैं. भारतीय प्रवासियों ब्रिटिश समाज में महान योगदान दिया है. मुझे उम्मीद है कि यह सदन यही चाहता है कि भारत के साथ ब्रिटेन के रिश्ते मजबूत रहें.
1919 में बैसाखी के दिन हुआ था
जलियांवाला बाग नरसंहार
जलियांवाला
बाग नरसंहार अमृतसर में 1919 में अप्रैल माह में बैसाखी के दिन हुआ था. ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में बैसाखी की
सभा में जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के गोलीबारी शुरू कर दी और 10 मिनट तक गोलीबारी चलती रही. लोग
बचकर भागने की कोशिश कर रहे थे. उसने अपने सिपाहियों के साथ और बख्तरबंद गाड़ियों
से बाहर निकलने के रास्ते को बंद कर दिया था. इस गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए
थे.