नई दिल्ली/पटना :
लालू यादव के वकील कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दी है कि लालू यादव कि जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई हो, अब सिब्बल कहे और बात ना मानी जाये ऐसा तो हो ही नहीं सकता, उनकी जमानत पर सुनवाई अब 10 अप्रैल को होगी। अटकलें हैं कि उन्हे चुनावों के चलते सेहत के आधार पर जमानत मिल ही जाएगी।
चारा घोटाला के विभिन्न मामलों में सजा काट करे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई हो सकती है. लालू यादव के वकील कपिल सिब्बल ने जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है. खबर है कि सुप्रीम कोर्ट 10 अप्रैल को जमानत याचिका पर सुनवाई कर सकता है. इससे पहले कोर्ट ने 15 मार्च सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. ज्ञात हो कि लालू यादव ने स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांगी है.
इससे पहले झारखंड हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दरअसल, लालू प्रसाद यादव ने स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांगी है, जिसमें कहा गया है कि उनकी उम्र 71 की हो गई है. उन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग सहित कई अन्य बीमारियां हैं. फिलहाल, उनका रिम्स में इलाज चल रहा है. वह प्रतिदिन करीब 13 प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे हैं.
चुनाव के लिए अहम है जमानत
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. ऐसे में लालू प्रसाद यादव का सुप्रीम कोर्ट का रुख करना बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि वह आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी करनी है. इसको लेकर पार्टी नेताओं के साथ उन्हें कई बैठक करनी होगी और रणनीति तय करनी होगी.
हाईकोर्ट में दे थी ये दलीलें
झारखंड हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि इस मामले में तत्कालीन विभागीय मंत्री विद्यासागर निषाद, तत्कालीन विभागीय सचिव बेक जूलियस, नेता आरके राणा, जगदीश शर्मा और जगन्नाथ मिश्र बरी हो गए तो लालू प्रसाद ने किसके साथ मिलकर अवैध निकासी का षड्यंत्र रचा.
साथ वकील ने यह भी दलील दी थी कि कोर्ट ने लालू प्रसाद को षडयंत्र करने का दोषी पाया है, जबकि सीबीआई इसे साबित करने में विफल रही है.यदि यह मामला षड्यंत्र का रहता तो सभी को दोषी करार दिया जाना चाहिए. इससे साबित होता है कि उन्होंने कोई षड्यंत्र नहीं किया.
900 करोड़ रूपये से अधिक के चारा घोटाले से संबंधित तीन मामलों में प्रसाद को दोषी ठहराया गया है. ये मामले 1990 के दशक की शुरुआत में पशुपालन विभाग के कोषागार से पैसे की धोखाधड़ी करने से संबंधित थे. उस समय झारखंड बिहार का हिस्सा था.