Saturday, December 21

शेख अब्दुल्लाह के बेटे फारूक अब्दुल्लाह अपने बड़े बोलों और तुनक मिजाजी के लिए जाने जाते हैं। गिरगिट की भांति रंग/सुर बदलने की कला से भी वह ख़ूब वाकिफ हैं। जब वह जम्मू में भी होते हैं तो उनके सुर घाटी वाले उनके सुरों से जुदा होते हैं। जब वह सत्ता पक्ष में मलाईदार माल छत कर रहे होते हैं तो उन्हे घाटी की फिक्र कम रहती है, पर जब वह विपक्ष में होते हैं तो उन्हे हर पल सत्ता पक्ष और केंद्र की सरकार काश्मीर के साथ खिलवाड़ करती दिखाई पड़ती है। आज वह कहते पाये गए की मौजूदा केंद्र सरकार काश्मीर से उसकी पहचान छिन लें चाहती है, गौर तलब बात यह है की काश्मीर की पहचान “काश्मीरी पंडित” तो कब के काश्मीरी अलगाववादियों की भेंट चढ़ गए। उन्के पुनर्वास का सबसे अधिक विरोध इन्ही पिता पुत्र ने किया था। आज वह केंद्र सरकार को धमका रहे हैं की हिम्मत है तो……. ।

श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने चुनावी रैली में एक बार फि‍र से बीजेपी के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाए. मंगलवार को उन्‍होंने सरकार को धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए को रद्द करने पर चुनौती देते हुए कहा “इससे राज्य और भारत के बीच संबंध खत्म हो जाएंगे. फारुख अब्दुल्ला ने गांदरबल में एक चुनावी सभा के दौरान कहा, “वह धारा 370 और 35 ए को छूने की हिम्मत करें”

उन्होंने कहा कि अगर वे कहते हैं कि ये संवैधानिक प्रावधान अस्थायी हैं तो विलय भी फिर अस्थायी है. उन्हें इसके लिए तैयार रहना होगा. फारुख अब्‍दुल्‍ला बोले “अमित शाह और अरुण जेटली ने कहा कि वे अनुच्छेद 35-ए और अनुच्छेद 370 को समाप्त कर देंगे. करें, हम यह भी देखेंगे कि वे यह कैसे कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि अगर धारा 370 खत्म हो जाता है तो जम्मू-कश्मीर और नई दिल्ली के बीच संबंध खत्म हो जाएंगे. पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए अब्दुल्ला ने कहा, वह देश को चलाने में सक्षम एकमात्र व्यक्ति नहीं थे. अब्दुल्ला ने कहा, “वह एक अभिनेता हैं और मैंने अब तक ऐसा अभिनेता कभी नहीं देखा है.” अगर पुलवामा नहीं होता तो उसकी (मोदी ) की हार पक्‍की थी.

फारुख अब्दुल्ला, जो श्रीनगर संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं ने कहा कि आज हमको पाकिस्तानी कहा जाता है अगर हमें पाकिस्तान जाना होता तो हम 1947 में गए होते मगर हमने भारत को चुना जो सब का भारत था. गांधी का भारत था .मगर आज भारत को बदलने की कोशिश की हो रही है. इसलिए हमें होशियार रहना है. राज्य को नहीं बल्कि देश को बचना है.