चीन की विसतारवादी नीति का प्रमाण है ‘बीआरआई’ (Belt & Road Initiative), आज भी चीन इस परियोजना के साथ मित्र अथवा पड़ोसी राष्ट्रों की संवेदनाओं की अनदेखी करते हुए अपने अड़ियल रवैये के साथ इसे आगे बढ़ा रहा है। भारत चीन के इस अड़ियल रवैये के प्रति अपनी चिंताएँ जाहिर कर चुका है। इस बार भी भारत ने ‘बीआरआई’ की दूसरी बैठक में शामिल होने के प्रति अपनी अनिच्छा ज़हीर कर दी है।
बीजिंग: चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) की दूसरी बैठक में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. एक वरिष्ठ चीनी अधिकारी ने शनिवार को बताया कि इसमें करीब 40 देशों की सरकार के नेता भी शामिल हो रहे हैं.
चीन ने पहली बीआरआई बैठक 2017 में की थी. यह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सबसे पसंदीदा परियोजना है. इस परियोजना का मकसद दुनियाभर में चीन के निवेश से बुनियादी परियोजनाओं का विकास कर चीन के प्रभुत्व का विस्तार करना है.
भारत एक फिर बैठक का बहिष्कार कर सकता है
भारत ने पहली बीआरआई बैठक का बहिष्कार किया था. इसकी वजह चीन की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना का विवादास्पद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरना है.
हाल ही में चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने इस बात की तरफ इशारा किया था कि भारत दूसरी बीआरआई बैठक का बहिष्कार कर सकता है. मिसरी ने इंटरव्यू में कहा था, ‘ईमानदारी से कहूं तो बीआरआई को लेकर हमने अपनी चिंताएं स्पष्ट तौर पर रखी हैं. हमारा विचार अब भी पहले जैसा ही है और स्थिर है. इस विचार से हम संबंधित पक्षों को अवगत करा चुके हैं.’
चीन के स्टेट काउंसलर यांग जेइची ने सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि 40 देशों की सरकारों के नेताओं समेत 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि दूसरी बीआरआई बैठक में शामिल होंगे.