भारत की बात करें तो यहाँ हिंदोस्तानी बोली जाती है। इसे भाषा कहें या ज़ुबान, इसमें बात करनी या समझानी बहुत आसान होती है। चीन को भी शायद हिंदुस्तानी समझ आने लग पड़ी है। हिंदुस्तानी कहावत है कि,‘ कमजोर कभी माफ नहीं कर सकता’ बस यही कहावत शायद मौजूदा हिंदुस्तानी हुक्मरानों को समझ आ गयी तभी अपने शासन काल में चुनावों और नतीजों के ठीक 2 महीने पहले अपने इस कार्यकाल के समाप्त होने से ठीक पहले “मिशन शक्ति” को सरंजाम दिया गया। एक “balance of power (terror, चीन के संदर्भ में)” वाली बात चीन के समझ आ गयी।
बीजिंग:
चीन ने भारत के उपग्रह रोधी मिसाइल परीक्षण पर बुधवार को चीन ने प्रतिक्रिया व्यक्त की और आशा जताई कि नई दिल्ली गंभीरतापूर्वक बाह्य अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेगी. चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हम प्रस्तुत रिपोर्ट से अवगत हैं और हमें आशा है कि सभी देश गंभीरतापूर्वक बाह्य अंतरिक्ष में स्थायी शांति की रक्षा करेंगे.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत ‘एक अंतरिक्ष महाशक्ति’ बन गया है, क्योंकि उसकी उपग्रह-भेदी मिसाइल ने मात्र तीन मिनटों में पृथ्वी की निचली कक्षा में एक उपग्रह को सफलतापूर्वक भेदा है. इसके साथ ही भारत, अमेरिका, रूस और चीन के क्लब में शामिल हो गया है.
इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास यह क्षमता थी. चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत द्वारा उपग्रह रोधी मिसाइल के सफल परीक्षण को लेकर पीटीआई के एक सवाल पर लिखित जवाब में कहा, ‘‘हमने खबरें देखी हैं और उम्मीद करते हैं कि प्रत्येक देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाये रखेंगे. ’’
चीन ने ऐसा एक परीक्षण जनवरी 2007 में किया था जब उसके उपग्रह रोधी मिसाइल ने एक निष्क्रिय मौसम उपग्रह को नष्ट कर दिया था. मोदी ने कहा कि हमने जो नई क्षमता हासिल की है, यह किसी के विरूद्ध नहीं था. उपग्रह 300 किमी की ऊंचाई पर एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था.
मोदी ने कहा कि मिशन शक्ति का उद्देश्य भारत की समग्र सुरक्षा को मजबूती प्रदान करना था और इस मिशन का नेतृत्व डीआरडीओ ने किया. विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में जारी एक बयान में कहा कि भारत का बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की किसी होड़ में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है