राहुल गांधी ने आज पत्रकार वार्ता में एक धमाके की घोषणा का वादा किया और धमाका किया भी। राहुल ने चुनाव जीतने के पश्चात सत्ता में आने पर 5 करोड़ परिवारों को 72000 रुपए सालाना देने का वायदा किया, यानि सत्ता में आने पर अगले चुनावों तक प्रति वर्ष 72000 रुपए। जब इस रकम की भव्यता देखी जाये तो यह सकल घरेलू उत्पाद का 17.64% होती है। हमारा सकल घरेलू उत्पाद 17लाख 71 हज़ार करोड़ के लगभग बैठता है। और कांग्रेस प्रमुख द्वारा बांटी जाने वाली रकम 3लाख 40हज़ार करोड़ बनती है। यदि मौजूदा वित्तीय हालात देखें तो यह रकम जुटाना नामुमकिन है। यदि हम इस ओर अग्रसर होते भी हैं तो यह वित्तीय बोझ किस पर पड़ेगा? हमें कौन कौन से रक्षा सौदों से हाथ खींचना होगा? हम किस किस मोर्चे पर भारत की सीमाओं पर सम्झौता करेंगे? पहले तो राहुल गंदी इस फार्मूले के अनुसार कांग्रेस शासित प्रदेशों में इसे लागू कर के देखें। इसके लिए सम्पूर्ण राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की क्या आवश्यकता है? कांग्रेस का भारत के एक बड़े भू भाग पर शासन है। जहां हो सकता है की कुछ लाख परिवार ही हों? और वैसे भी सरकारी पैसा ही तो बांटना है फिर वह राज्य सरकार का हो या देश की।
कांग्रेस 1971 से गरीबी हटाओ के नारे पर है, 1972 में इन्दिरा लहर के चलते कर्नाटक में हुए विधान सभा चुनावों में जीत कर एक गरीब परिवार से आए खडगे आज अनुमानित 50हज़ार करोड़ के मालिक हैं। उनके चुनावी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय कितनी है इसका तो उन्हे भी अनुमान नहीं होगा परंतु इनकी कमाई तो लगभग 1000 करोड़ प्रति वर्ष की है। कांग्रेस ने इसी तरह अपनों की गरीबी हटाई है।
राहुल स्वयं को अर्थशास्त्र का स्नातक कहते हैं और यह भी कहा जाता है की उन्होने एम फिल भी अर्थशास्त्र ही में की है। मोदी के 15 लाख के बदले राहुल का नापा तुला 72 हज़ार कहीं जुमलों की खेती ही न रह जाये। राहुल को समझाना होगा की अः किस मद से पैसा लाएँगे और देश के माध्यम वर्ग पर इस राशि का कितना बोझ पड़ेगा।?
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) की जंग में कांग्रेस पार्टी ने बड़ा ऐलान कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान किया कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई तो गरीब परिवारों के खाते में सालाना 72 हजार रुपए भेजेगी. राहुल गांधी ने कहा कि ये पैसे न्यूनतम बुनियादी आय गारंटी योजना के तहत गरीब परिवारों के खाते में जमा किए जाएंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पिछले पांच साल में गरीबों को बहुत मुश्किलें सहनी पड़ी. हम उनको न्याय देना चाहते हैं. इसलिए हम उनको न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना का लाभ देना चाहते हैं. इस योजना के तहत देश में हरेक की न्यूनतम कमाई 12 हजार रुपए होगी. हम भारत के सबसे गरीब परिवारों को साल में 72 हजार रुपए उनके बैंक खातों में सीधा भेज देंगे.
राहुल ने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान के सबसे अमीर लोगों का कर्ज माफ कर सकते हैं तो कांग्रेस देश की 20 फीसदी गरीब परिवार को 72 हजार रुपए साल का दे सकती है. पांच करोड़ परिवारों यानी 25 करोड़ लोगों को सीधा इसका फायदा मिलेगा.
उन्होंने कहा कि इस योजना का सीधा लाभ देश के 5 करोड़ परिवारों यानी करीब 25 करोड़ लोगों को होगा. हमने योजना से संबंधित पूरा हिसाब लगा लिया है. दुनिया के किसी भी देश में ऐसी योजना नहीं है. राहुल गांधी ने कहा कि लोग मुझसे पूछते हैं कि न्यूनतम आमदनी की लाइन क्या होगी. मैं मानता हूं कि यह लाइन 12 हजार रुपए होगी.
पार्टी की कार्य समिति की बैठक के बाद गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘ पिछले पांच वर्षों में देश की जनता को बहुत मुश्किलें सहनी पड़ी हैं. हमने निर्णय लिया और हम हिंदुस्तान के लोगों को न्याय देने जा रहे हैं. यह न्याय न्यूनतम आय गारंटी है. ऐसी योजना दुनिया में कहीं नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘हम 12000 रुपये महीने की आय वाले परिवारों को न्यूनतम आय गारंटी देंगे. कांग्रेस गारंटी देती है कि वह देश में 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों में से प्रत्येक को हर साल 72000 रुपये देगी. यह पैसा उनके बैंक खाते में सीधा डाल दिया जाएगा.’ राहुल ने कहा, ‘अगर मोदी जी सबसे अमीर लोगों को पैसा दे सकते हैं तो कांग्रेस भी सबसे गरीब लोगों को पैसा देगी.’
इसे दुनिया की सबसे बड़ी न्यूनतम आय योजना करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह गरीबी पर आखिरी हमला है. यह योजना चरणबद्ध तरीके से चलाई जाएगी. ‘यह बहुत ही प्रभावशाली और सोची समझी योजना है. हमने योजना पर कई अर्थशास्त्रियों से विचार विमर्श किया है.’
गांधी ने कहा कि पूरा आकलन कर लिया गया. सब कुछ तय कर लिया गया. उन्होंने कहा कि इससे पांच करोड़ परिवार यानी 25 करोड़ लोगों को फायदा होगा.
गौरतलब है कि राहुल गांधी मौजूदा चुनाव अभियान में शुरू से ही यूनिवर्सल इनकम की बात कह रहे थे, लेकिन अब तक उन्होंने यह नहीं बताया था कि न्यूनतम आमदनी किन लोगों को और कितनी मिलेगी. पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के बाद से देश में जिस तरह से राष्ट्रवाद का माहौल गरमाया है और बाकी सारे मुद्दे हाशिए पर चले गए हैं, ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि 72 हजार रुपए सालाना की घोषणा कांग्रेस की किस्मत पलट सकती है.
इससे पहले 2009 में कांग्रेस मनरेगा के जरिए इस तरह का प्रयोग कर चुकी है. देश के हर ग्रामीण परिवार को 100 दिन रोजगार की गारंटी देकर कांग्रेस ने ग्रामीण भारत में न सिर्फ अच्छी पकड़ बनाई थी, बल्कि दोबारा सत्ता में भी आ गई थी. साल 2007 में यूपीए-1 ने किसानों का करीब 70 हजार करोड़ का कर्ज भी माफ किया था.
साल 2018 के अंत में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में तीन प्रमुख राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पहले ही किसान कर्जमाफी के वादे के जरिए चुनाव जीत चुकी है.